डंपिग ग्राउंड न होने से खाली पड़ी जमीन पर फेंका जाता कूड़ा
संवाद सहयोगी जालौन नगर पालिका परिषद वर्षों से क्लीन जालौन ग्रीन जालौन का नारा लगा रही है। यह नारा अभी तक धरातल पर परणित नहीं हो पाया है। इसके पीछे सबसे बड़ी समस्या नगर में कूड़े के लिए डंपिग ग्राउंड का न होना है। इसके बाद भी नगर पालिका प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है।
संवाद सहयोगी, जालौन : नगर पालिका परिषद वर्षों से क्लीन जालौन ग्रीन जालौन का नारा लगा रही है। यह नारा अभी तक धरातल पर परणित नहीं हो पाया है। इसके पीछे सबसे बड़ी समस्या नगर में कूड़े के लिए डंपिग ग्राउंड का न होना है। इसके बाद भी नगर पालिका प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है।
नगर पालिका परिषद जालौन की स्थापना 1950 में हुई थी। नगर पालिका की स्थापना को 71 वर्ष बीत चुके हैं। नगर पालिका की स्थापना को 7 दशक होने को हैं। इसके बाद भी नगर से निकलने वाले कचरे को फेंकने का कोई स्थान निर्धारित नहीं किया है। जिस समय नगर पालिका परिषद के पास अपनी जमीन थी। उस समय प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया जब प्रशासन को याद आया तो अब नगर पालिका परिषद के पास अपनी जमीन नहीं है। क्लीन जालौन ग्रीन जालौन का नारा देने वाली नगर पालिका परिषद के पास नगर से निकलने वाले कचरे को फेंकने के लिए कोई निर्धारित स्थान नहीं है जिसके कारण नगर पालिका परिषद कभी तालाब में तो कभी चन्दा छाया के सामने तो कभी हुल्की माता मंदिर के पास कूड़ा डालकर गंदगी फैला रहा है। शहर से निकलने वाले खचरें से निकलने वाली बदबू के कारण उरगांव रोड, हल्की माता मंदिर से निकलना भी मुश्किल हो जाता है। डंपिग ग्राउंड न होने से स्वच्छता अभियान भी फेल :
नगर में कूड़ा घर न होने के कारण तथा कूड़ा को सड़क किनारे डाल दिए जाने के कारण सरकार के स्वच्छता अभियान को बट्टा लग रहा है। शहर की सीमा में डलने वाले कूड़ा के कारण शहर की सफाई व्यवस्था भी खराब होती है। 20 मीट्रिक टन निकलता है प्रतिदिन कूड़ा :
सफाई निरीक्षक देवेंद्र कुमार के अनुसार नगर में लगभग प्रतिदिन 20 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है जिसे नगर के बाहर निचले इलाके में डाला जाता है जिससे निचले इलाका भी भर जाए तथा कूड़ा भी डल जाए। कोट
शासन को कूड़ा घर का प्रस्ताव जिलाधिकारी के माध्यम से गया है तथा उम्मीद है कि जनपद का कूड़ा घर कोटरा में बनेगा। वहां पर प्लांट लगाकर कूड़े से बिजली बनाई जाएगी।
डीडी सिंह, ईओ