कोरोना का भय खत्म, अस्पताल में बढ़ने लगी भीड़
जागरण संवाददाता उरई जिले में कोरोना का पहला केस बीते वर्ष 25 अप्रैल को जिला अस्पताल के एक
जागरण संवाददाता, उरई : जिले में कोरोना का पहला केस बीते वर्ष 25 अप्रैल को जिला अस्पताल के एक चिकित्सक के रूप में सामने आया था। इससे प्रशासन से लेकर आम जनमानस में भय हो गया। स्वास्थ्य विभाग के प्रयास और लोगों की जागरूकता का नतीजा था कि अब एक्टिव केस महज सात रह गए हैं। वहीं भय खत्म होते ही अब अस्पताल में भी भीड़ उमड़ने लगी है।
जिले में सबसे पहले कोविशील्ड वैक्सीन की डोज आई। जिसे स्वास्थ्य कर्मियों को फोन कॉल और एसएमएस भेज कर बुलाया गया। दूसरा चरण भी चालू हो चुका है। स्वास्थ्य के आंकड़े में भी एक्टिव केस सात पर पहुंच गई। स्वास्थ्य कर्मी यह अनुमान लगा रहे है कि दो से तीन सप्ताह के अंदर जिला कोरोना मुक्त हो जाएगा। फरवरी के आंकड़ों पर नजर डाले तो सिर्फ 13 पॉजिटिव केस सामने आए हैं। जबकि दिसंबर माह की बात करें तो उस माह में 268 केस मिले थे। लोगों की जागरूकता ही थी कि वैक्सीन से पहले ही शारीरिक दूरी, मास्क व सैनिटाइजर के दम लड़ाई लड़ी जा रही थी। लेकिन अब वैक्सीन की वार से कोरोना को बेदम करने का काम किया जा रहा है।
25 अप्रैल को आई रिपोर्ट में हुई संक्रमण की पहली पुष्टि :
चिकित्सक के पॉजिटिव आते ही अस्पताल परिसर और सीएमओ कार्यालय स्थित आवास पर सैनिटाइजेशन का काम किया गया। यह भी ज्ञात हो कि जिला अस्पताल के डॉक्टर की ड्यूटी 7 अप्रैल को मेडिकल कॉलेज में लगाई गई थी। इसके बाद तीन दिन पूर्व यानी 21 अप्रैल को अचानक डॉक्टर को तेज बुखार के साथ गले में दर्द की शिकायत हुई। वह दोनों भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए। लेकिन इलाज के दौरान ही डॉक्टर की मृत्यु हो गई। लोगों ने खुद को घरों में बंद कर लिया। आंकड़ों पर एक नजर
माह - पॉजिटिव केस
अप्रैल, 05
मई, 39
जून, 148
जुलाई, 325
अगस्त, 807
सितंबर, 960
अक्टूबर, 600
नवंबर, 701
दिसंबर, 268
जनवरी, 69
फरवरी, 13
कुल 3920 केस जिले में भले ही कोरोना वायरस के एक्टिव केसों की संख्या सात पर पहुंच गई है, लेकिन अब हमें जड़ से समाप्त करने के लिए दो से तीन सप्ताह तक और सतर्कता बरतने की आवश्यक है। जिससे कोरोना को पूरी तरह समाप्त किया जा सके।
ऊषा सिंह, सीएमओ उरई