सौंदर्यीकरण योजना फेल, जलकुंभी से पटा ऐतिहासिक धनु तलाब
संवाद सहयोगी कोंच मैं धनुताल हूं मुझे चंदेलकालीन
संवाद सहयोगी, कोंच : मैं धनुताल हूं मुझे चंदेलकालीन राजाओं ने गायों को (धेनु) पानी पीने के लिए बनवाया था। जिससे मेरा नाम धनुतालाब पड़ गया। आज यह तालाब गंदगी व जलकुंभी से पटा हुआ है। जिसकी सफाई के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
कस्बे के धनुतालाब के निर्मल जल में भगवान सदियों से बिहार करते आ रहे हैं सभी देवियों का विसर्जन भी इसी जल में होता आ रहा है। इस तालाब के तट पर असत्य पर सत्य की जीत का महापर्व दशहरा मनाया जाता है। अब इस तालाब का पानी गंदा हो गया है लोग इसमें कूड़ा करकट डाल रहे हैं। जल कुंभी ने पानी तालाब के पानी ढक लिया है जिससे लोग अब इधर टहलने नहीं आते हैं। चार वर्ष पूर्व धनुताल के सौंदर्यीकरण की हुई थी पहल
ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के इस धनुताल को सुंदर और आकर्षक पर्यटक स्थल बनाने की पहल तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष विनीता सीरौठिया के समय शुरू हुई थी। सांसद भानु प्रताप वर्मा के साथ चेयरमैन प्रतिनिधि विज्ञान सीरौठिया ने केंद्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा से दिल्ली में उनके कार्यालय में मुलाकात कर तालाब के ऐतिहासिक महत्व को समझाया था और उनसे सौंदर्यीकरण हेतु धनराशि की मांग भी की थी। इस मुलाकात के बाद पर्यटन विभाग के कुछ अधिकारी तालाब का निरीक्षण करने आये थे और वादा किया था कि जल्द ही यह तालाब पर्यटक स्थल के रूप में स्थापित होगा पर आज तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया। आराजी संख्या 2204 में 12 एकड़ भूखंड में इस धनुताल का काफी हिस्सा अतिक्रमणकारियों ने दवा रखा है। नगर के जितने भी धार्मिक रीतिरिवाज होते है वह इसी तालाब में हुआ करते हैं। तालाब के एक तट पर काली देवी का प्राचीन मंदिर है लंका गेट भी इसी तालाब के तट पर बना हुआ है। इसके अतिरिक्त विजय श्री हनुमान लंकेश्वर मंदिर सहित कई धार्मिक स्थलों को यह तालाब अपने आगोश के समेटे हुए है।
तालाब में फैली जलकुंभी और गंदगी को समय-समय पर साफ कराया जाता है। सौंदर्यीकरण की जो फाइल लंबित है उसे जल्द ही शासन को भेजा जाएगा। तालाब के रकबे को पूरा कराने के लिए इसकी पैमाइश के लिए एसडीएम को पत्र लिखा जाएगा।
- बीपी यादव, ईओ नगर पालिका