जब काका हाथरसी को उठाकर ले गए थे डाकू
जन्मदिन व अवसान दिवस पर याद किए गए काका उनके संस्मरण याद कर कवियों ने दर्शकों को गुदगुदाया श्रद्धांजलि ऑनलाइन कवि सम्मेलन में काका की याद में खो गए नामचीन कवि साहित्यकारों ने काका स्मृति सभागार में आयोजित किया कार्यक्रम
जासं, हाथरस : काका हाथरसी की बात हो और ठहाके न लगें, इसकी संभावनाएं न के बराबर हैं। ऐसा ही नजारा शुक्रवार को काका कुटुंब की ओर से उनके जन्मोत्सव और पुण्यतिथि पर आयोजित ऑनलाइन कवि सम्मेलन का था। करीब ढाई घंटे के इस आयोजन में देशभर के नामचीन कवियों ने हिस्सा लिया। काका के संस्मरणों को याद करके खूब हंसे।
आमतौर पर जब किसी कवि की स्मृति में कोई आयोजन होता है तो कुछ देर के लिए माहौल गमगीन हो जाता है, लेकिन काका हाथरसी की याद में हुए ऑनलाइन कवि सम्मेलन में कवि खूब ठहाके लगा रहे थे। इसमें दिल्ली और देश के अलग-अलग हिस्सों से देश के नामचीन कवि इस आयोजन में शामिल हुए। वरिष्ठ कवि अशोक चक्रधर ने काका के परलोकगमन के समय शवयात्रा ऊंटगाड़ी पर निकालने और रोने के स्थान पर ठहाके लगाने वाले संस्मरण को सुनाया। उन्होंने ऊंटगाड़ी पर काका जी के लाउडस्पीकर पर आजादी के तराने हाथरस में गाने का जिक्र किया। 'उनके द्वारा मार्ग से अब हट गया अंग्रेजो का ठूंठ, आजादी को लादकर लाया मेरा ऊंट', रचना को सराहा गया। हास्य की दुनिया के जाने-माने कवि सुरेंद्र शर्मा ने काका के संस्मरणों का याद कर सभी को लोट-पोट कर दिया। उन्होंने बाल कवि वैरागी के साथ के उस घटना का जिक्र भी किया जब काका को डाकू उठाकर ले गए थे। उन्होंने बताया कि मुरैना के एक कवि सम्मेलन में काका हाथरसी और बालकवि बैरागी सम्मिलित होने गए थे। कवि सम्मेलन के ़खत्म होने के बाद वहां कुछ डाकू आए और दोनों का अपहरण कर, आंख पर पट्टी बांध अपने अड्डे पर ले गए, तो काका बोले कि ऐसे कहां ले जा रहे हो, पहले पेमेंट की बात तो कर लो। तब बाल कवि वैरागी ने काका को बताया कि उन्हें असली डाकू उठाकर ले जा रहे हैं। बाद में डाकुओं ने दोनों ही हास्य कवियों से कहा, 'हमारे साथियों को कविताएं सुनाइए।' उसके बाद काका हाथरसी और बालकवि बैरागी ने अपनी कविताएं वहां सुनाईं। डाकुओं ने उन्हें 100 रुपये भी दिए। इसके साथ ही उन्होंने एक और घटना का जिक्र किया, जहां गांव में कवि सम्मेलन के लिए गए काका के सामने सांप आ गया था और उनके चेहरे का रंग उड़ गया था। दोनों ही किस्सों को सुनकर सभी खूब हंसे। इसके साथ साथ अरुण जैमिनी, मंजीत सिंह, चिराग जैन ने अपनी रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को लोटपोट किया। कवि सम्मेलन का संयोजन काका के पौत्र अशोक गर्ग ने अमेरिका से किया। कविताओं के जरिए याद किए गए काका
संस, हाथरस : हास्य सम्राट काका हाथरसी की जन्म व अवसान तिथि शुक्रवार को सादगी के साथ मनाई गई। इस अवसर पर ओढ़पुरा तिराहा स्थित काका हाथरसी स्मारक भवन पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें वाणीपुत्रों ने अपनी रचनाओं से काका को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि नगर पालिका अध्यक्ष आशीष शर्मा, पूर्व ब्लॉक प्रमुख ओंकार सिंह वर्मा आदि ने काका के छवि चित्र पर माल्यार्पण और द्वीप प्रज्वलित कर किया। आचार्य महेशचंद उपाध्याय ने इस रचना से भावांजलि दी, 'प्रत्येक देश में अपनी बोली की हरियाली भाती है, हरेक देश में अपनी बोली प्यार से बोली जाती है।' माधव शर्मा ने सुनाया, 'हम अपने घर के आंगन में तम का आतंक न झेलेंगे, हम जब जक जीवित हैं काका! हम तुमको न मरने देंगे।' बाल कवि रविकांत सिंह ने कविता लिखकर हास्य की, 'कियो हाथरस का नाम, पदम सिंह अलबेला आप आए हैं, कविता श्रवन कीजिए, काका को पहले नमन कीजिए।'
काका स्मारक संघ के प्रवक्ता चंद्रगुप्त विक्रमादित्य, श्यामबाबू चितन रामजीलाल शिक्षक आदि कवियों ने भी अपनी रचनाओं से काका को श्रद्धांजलि दी। साहित्यकार विद्यासागर विकल व गोपाल चतुर्वेदी के संयोजन में हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता दिनेश सेकसरिया ने की। इस मौके पर पूर्व पालिकाध्यक्ष अगमप्रिय सत्संगी, योगा पंडित, ताराचंद माहेश्वरी, डा. जितेंद्र स्वरूप शर्मा फौजी, आकाश पौरुष आदि मौजूद थे।