Move to Jagran APP

जब साइकिल से चुनाव प्रचार को आए थे अटल बिहारी वाजपेयी

1956 में मथुरा में सभा करने के बाद सादाबाद के गांव पटलोनी पहुंचे थे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 04:52 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 04:52 AM (IST)
जब साइकिल से चुनाव प्रचार को आए थे अटल बिहारी वाजपेयी
जब साइकिल से चुनाव प्रचार को आए थे अटल बिहारी वाजपेयी

हाथरस : वक्त की रफ्तार ने चुनाव प्रचार के तरीके भी बदल दिए हैं। आज के लग्जरी वाहनों और इंटरनेट मीडिया के दौर से 60-65 साल पहले के चुनाव प्रचार के तरीकों पर बात करें तो देश के शीर्ष राजनेताओं ने भी बड़ी सादगी से चुनाव प्रचार कर लोगों का दिल जीता था। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी यहां चुनाव प्रचार करने आ चुके हैं। तब वे मथुरा में सभा करने के बाद मथुरा जनपद की सीमा में शामिल सादाबाद क्षेत्र में साइकिल से प्रचार करने आए थे।

loksabha election banner

रामलहर के दौरान क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके बिसावर निवासी 90 वर्षीय पूर्व विधायक चौ. बृजेंद्र सिंह का कहना है कि तब नेता गांव में प्रचार करने के लिए आते थे तो उनके पास आज जैसे संसाधन नहीं होते थे। कोई साइकिल से तो कोई तांगे से चुनाव प्रचार के लिए गांव में आता था। ढोला गीत गाकर पैदल-पैदल चुनाव प्रचार किया जाता था। रात के समय लालटेन लेकर घर-घर जाकर चुनाव प्रचार किया जाता था। वर्ष 1956 में स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी मथुरा में सभा कर रहे थे। उस वक्त हम लोगों के पास भी संसाधन नहीं थे। तब वे अपने पिता के साथ गांव से पैदल ही अटल बिहारी वाजपेयी की सभा में शामिल होने के लिए मथुरा पहुंचे। उस समय सादाबाद जनपद मथुरा का हिस्सा हुआ करता था।

मथुरा की सभा को संबोधित करने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी साइकिल से सादाबाद क्षेत्र के गांव पटलोनी में चुनाव प्रचार के लिए आए थे। यहां ग्रामीणों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। सभी ग्रामीण उनके गले मिले और गांव में ही खीर-पूड़ी की दावत उनके सम्मान में की गई थी। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी भी युवा थे। उन्होंने 25 पूड़ी खा ली। गर्मी का मौसम होने के कारण पूड़ियां खाने के बाद उनकी तबीयत खराब हो गई। ग्रामीण उनको मथुरा उपचार के लिए ले गए, जहां दुरुस्त होने के बाद वह दूसरी जगह प्रचार के लिए रवाना हुए।

आज समय बदला तो नेता भी बदले और नेताओं की आस्था भी बदल गई। चुनाव प्रचार का तरीका भी पूरी तरह से बदल गया। उस समय के चुनाव प्रचार के दौरान नेता लोगों के साथ दोस्ताना रवैया रखते थे, लेकिन आज के नेता सिर्फ वोट मांगने के दौरान ही आम लोगों से मिलते हैं। चुनाव जीतने के बाद आम जनता को कुछ नहीं समझते। मैं नहीं गिरा.. अशरफ

अली को गिरा लिया है

पूर्व विधायक चौधरी बृजेंद्र सिंह ने 1957 के चुनाव का एक रोचक किस्सा बताते हुए कहा कि ऊंचागांव क्षेत्र के क्रांतिकारी रहे टीकाराम पुजारी विधायकी का चुनाव लड़ रहे थे। वह पैदल ही चुनाव प्रचार कर रहे थे। चुनाव प्रचार के दौरान वह ढोला भी गा रहे थे। एक दिन वह चुनाव प्रचार करते हुए बिसावर आए और काफी तेज गति से प्रचार करते हुए जा रहे थे। अचानक उनको ठोकर लगी और वह गिर गए तो उनके साथियों ने पूछा पुजारी जी कैसे गिर गए, कहीं चोट तो नहीं लगी। इस बात को सुनकर पुजारी जी मजाकिया अंदाज में बोले, 'अरे भाई मैं गिरा नहीं हूं। मैंने अपने प्रतिद्वंद्वी अशरफ अली को गिरा लिया है और उसमें घोंटू लगा रहा हूं।'

उन्होंने पूर्व विधायक व क्रांतिकारी टीकाराम पुजारी का दूसरा किस्सा बताते हुए कहा कि पुजारी जी कई बार जेल भी गए थे। एक बार उनसे मिलने उनकी पत्नी आई और उनके हाथ में हथकड़ी व पैरों में बेड़ी देखकर रोने लगीं तो उन्होंने कहा, 'तू मुझसे जल रही है। तू रोज चांदी के खडुए पहनती है। मैं तो आज तक जला नहीं और आज मैंने जब लोहे के पहने हैं तो तू मुझे देखकर जल रही है।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.