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25 साल बसपा में रहे, आज भाजपा मे वापसी

बसपा में ब्राह्मण चेहरे के रूप में कद्दावर नेता रहे कई बार मंत्री और अन्य पदों पर भी रहे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 04:46 AM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 04:46 AM (IST)
25 साल बसपा में रहे, आज भाजपा मे वापसी
25 साल बसपा में रहे, आज भाजपा मे वापसी

जासं, हाथरस : भारतीय जनता पार्टी से अपनी राजनीति शुरू करने वाले सादाबाद विधायक रामवीर उपाध्याय ने करीब तीन दशक पहले टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी थी। 25 वर्ष बसपा में सफर के बाद शनिवार को उनकी भाजपा में वापस हो जाएगी। बसपा में रामवीर कद्दावर नेता थे और कई बार मंत्री और अन्य पदों पर रहकर राजनीति के अर्श को छुआ।

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हाथरस की राजनीति में रामवीर का नाम बड़े नेता के रूप में हमेशा से रहा है। राम मंदिर आंदोलन के दौरान रामवीर उपाध्याय भाजपा में थे। उभरते नेता के रूप में उन्होंने वर्ष 1993 में हाथरस सदर सीट से भाजपा से टिकट के लिए दावेदारी की, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दी। राजवीर पहलवान को प्रत्याशी बनाया था। रामवीर उपाध्याय निर्दलीय मैदान में उतरे थे और चुनाव हार गए थे। इसके बाद वह 1996 में बसपा में शामिल हुए और हाथरस सदर सीट से चुनाव लड़े। भारी बहुमत से चुनाव जीतकर वह विधायक बने। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 2002 और 2007 में हाथरस सदर, वर्ष 2012 में सिकंदराराऊ और 2017 से सादाबाद से विधायक बने। इस बीच वह ऊर्जा, परिवहन, चिकित्सा शिक्षा, समेत कई अहम विभागों के मंत्री रहे। बसपा ने उन्हें लोक लेखा समिति का सभापति भी बनाया। विधानमंडल दल में मुख्य सचेतक भी रामवीर रहे। हाथरस को जिले का दर्जा दिलाया

वर्ष 1997 में हाथरस को अलग जनपद का दर्जा दिलाने में रामवीर उपाध्याय की अहम भूमिका रही। ऊर्जा और अन्य विभागों के मंत्री रहते हुए रामवीर उपाध्याय ने हाथरस जिले के लिए अभूतपूर्व कार्य किए। जिले में कई बिजलीघरों की सौगात दी। परिवार ने भी छुईं ऊंचाइयां

रामवीर उपाध्याय का बसपा में बड़ा कद रहा। वह बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के करीबी मंत्रियों में थे। बसपा के स्टार प्रचारक थे। बड़ा ब्राह्मण चेहरा रहे। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र के प्रभारी भी रहे। चुनाव में टिकट वितरण के दौरान भी रामवीर की अहम भूमिका रहती थी। रामवीर ने बसपा में रहते परिवार को भी ऊचाइयों तक पहुंचाया। इनकी पत्नी सीमा उपाध्याय सबसे पहले 2002 में हाथरस की जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। इसके बाद 2007 में भी वह जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। वर्ष 2009 में उन्होंने इस्तीफा दिया और रामवीर के कुशल प्रबंधन से फतेहपुरसीकरी सीट से राज बब्बर को हराकर सांसद बनीं। छह महीने पहले हुए पंचायत चुनाव में भी रामवीर ने सीमा उपाध्याय को फिर से हाथरस का जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने में अहम भूमिका निभाई है। रामवीर के छोटे भाई मुकुल उपाध्याय भी उपचुनाव में इगलास से विधायक बने थे। उन्हें अलीगढ़ मंडल से एमएलसी बनाने में भी रामवीर की अहम भूमिका रही। राज्य सेतु निगम का निदेशक बनाकर उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिलाया। भाई विनोद उपाध्याय को भी जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने में वह कुशल रणनीतिकार रहे। मायावती को ये लिखा पत्र

मैं वर्ष 1996 से बसपा का सदस्य हूं। पार्टी को ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए पूरे प्रदेश में दिनरात कड़ी मेहनत की। जिसके फलस्वरूप वर्ष 2007 में बसपा ने प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई, लेकिन सत्ता में रहने के बावजूद 2009 के लोकसभा चुनाव में अच्छी स्थिति नहीं रही। 2012 के विधानसभा चुनाव, 2014 के लोक सभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में उम्मीद के अनुसार सीट नहीं जीतने पर भी पार्टी द्वारा कोई समीक्षा नहीं की गई। मैं लगातार समीक्षा की माग कर रहा था। 2019 के लोकसभा चुनाव में बताया था कि उम्मीद के अनुसार सीट हासिल नहीं कर रहे हैं, और कैडर वोट खिसक रहा है। इस सच्चाई को नकारते हुए मुझे पार्टी से निलंबित कर दिया। बसपा काशीराम के बनाए गए सिद्धातों और आदशरें से भटक चुकी है, इसलिए बसपा की सदस्यता से त्यागपत्र दे रहा हूं।

-रामवीर उपाध्याय


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