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टीटीएसपी के गायब अभिलेखों से बड़े घोटाले की आशंका

तो क्या कागजों में बन गईं 13 टैंक टाइप स्टैंड पोस्ट परियोजनाएं? अंधेरगर्दी पता चलते ही विभाग में खलबली भौतिक सत्यापन के लिए टीम गठित भौतिक सत्यापन में 13 परियोजनाएं नहीं पाई गईं तो दर्ज होगा मुकदमा

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 Nov 2019 12:29 AM (IST)Updated: Thu, 28 Nov 2019 12:29 AM (IST)
टीटीएसपी के गायब अभिलेखों से बड़े घोटाले की आशंका
टीटीएसपी के गायब अभिलेखों से बड़े घोटाले की आशंका

जागरण संवाददाता, हाथरस : जल निगम की टैंक टाइप स्टैंड पोस्ट (टीटीएसपी) परियोजना से खारे पानी से निजात का सपना देखा गया था, मगर वर्ष 2012 में गांव-गांव लगाए गए वाटर टैंक की 13 फाइलों का गुम होना किसी बड़े घोटाले की ओर इशारा कर रहा है। इसे लेकर विभाग में खलबली मची है। इस मामले में विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। भौतिक सत्यापन के लिए टीमें भी बना दी गई हैं, ताकि सच्चाई सामने आ सके।

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हाथरस के सादाबाद व सहपऊ ब्लाक क्षेत्र में खारे पानी की समस्या गंभीर है। इससे लोगों को निजात दिलाने के लिए जलनिगम ने वर्ष 2012 में टीटीएसपी योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत जनपद के विभिन्न गांवों में पेयजल आपूर्ति को 450 टैंक और नलकूप लगाए गए थे। इस कार्य में तीन करोड़ रुपये से अधिक खर्च हुए थे। जलनिगम ने सभी परियोजनाएं पूरी कर ग्राम पंचायतों को हैंडओवर कर दिए थे, मगर बेहतर देखरेख के अभाव में अधिकांश परियोजनाएं बंद हो गईं। जब जगह-जगह खारे पानी की समस्या फिर से खड़ी होने लगी तो इस परियोजना की पड़ताल शुरू हुई। पिछले कुछ महीनों में यह भी शिकायतें मिलीं कि अधिकांश पीवीसी टैंक बंद हो चुके हैं। इस बारे में जल निगम के अधिकारियों ने जब सभी 450 कार्यों की फाइलें आफिस के क्लर्को से तलब कीं तो सिर्फ 437 कार्यों की फाइलें ही टेबल पर आ सकीं। बाकी 13 फाइलें कहां गई? इस सवाल का जवाब कोई नहीं दे पा रहा है। सीडीओ आरबी भास्कर ने जब इन कार्यों की समीक्षा की तो उनके समक्ष फाइलें गायब होने की बात आई। वे हैरान रह गए। उन्होंने बाकी 13 फाइलों के बारे में जल निगम के अधिकारी से जवाब मांगा है।

अब सवाल उठने लगे हैं कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि कुल 437 कार्य ही हुए हों और भुगतान 450 कार्यों का हो गया हो? अगर ऐसा हुआ है तो बड़े घोटाले की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता। दरअसल, पीवीसी टैंक और नलकूप में करीब पांच लाख रुपये लागत आती है। यदि 13 कार्य कागजों में हुए होंगे तब करीब 65 लाख रुपये का घालमेल हुआ होगा। गांवों के लोगों का कहना है कि शुद्ध पेयजल आपूर्ति पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी कुछ महीने बाद ही ये टंकी महज शोपीस साबित हुईं। वर्जन -

फिलहाल फाइलों की तलाश की जा रही है। इसके बाद जिले भर में भौतिक सत्यापन टीमों की ओर से कराया जाएगा। भौतिक सत्यापन के बाद 13 टैंक कम मिले तो दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।

-आरके शर्मा, अधिशासी अभियंता, जल निगम।


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