विधानसभा चुनाव में इस बार, वर्चुअल वार
कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते 23 जनवरी तक राजनीतिक दलों की रैलियों पर है रोक।
जागरण संवाददाता, हाथरस : कोरोना की चुनौतियां और ओमिक्रोन के बढ़ते खतरे के बीच फिलहाल बाइक रैली और जनसभाओं पर प्रतिबंध होने के बाद डिजिटल और वर्चुअल चुनाव प्रचार की उम्मीदें बढ़ गई हैं। सभी राजनीतिक दलों को डिजिटल व वर्चुअल चुनाव प्रचार पर ज्यादा निर्भर रहना होगा।
जनपद की तीन विधानसभा सीटों हाथरस, सादाबाद और सिकंदराराऊ में मतदान तीसरे चरण में 20 फरवरी को कराया जाना है। 25 जनवरी से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। नामांकन के साथ प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार का सिलसिला तेज हो जाएगा। मगर कोरोना संक्रमण के चलते चुनाव आयोग ने 23 जनवरी तक रैलियों पर रोक लगा रखी है। संभावना इस बात की भी है कि रैलियों पर रोक की अवधि को आगे भी बढ़ाया जा सकता है। ऐसे में वर्चुअल माध्यम से प्रत्याशी एक दूसरे पर वार करेंगे और अपनी सरकार की उपलब्धियों और दूसरी सरकारों की नाकामियों को आम आदमी तक लाने के लिए सोशल मीडिया का भी सहारा लेंगे।
ऐसे में डिजिटल और वर्चुअल माध्यम मतदाताओं तक पहुंच पाना संभव हो पाएगा? इसपर चर्चाओं का दौर जारी है। सवाल यह भी है कि क्या राजनीतिक दल इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं? यदि हां, तो क्या सभी मतदाताओं तक उनकी डिजिटल और वर्चुअल माध्यम से पहुंच संभव है! क्या सभी विधानसभा क्षेत्रों में डिजिटल संसाधन उपलब्ध हैं, जिसका फायदा निर्दलीय उम्मीदवार भी आयोग द्वारा तय चुनाव खर्च सीमा के अंदर उठा सकें। सवाल यह भी है कि अपने यहां मीडिया और इंटरनेट का जाल कितना बड़ा है और राजनीति के डिजिटलीकरण से कौन सी आबादी चुनावी अभियानों से जुड़ पाएगी और कौन सी नहीं? क्योंकि एक तरफ डिजिटल क्रांति है तो दूसरी तरफ गरीबी, अशिक्षा के साथ ही दूरस्थ इलाकों तक कई तरह की डिजिटल सुविधाओं व अन्य संसाधनों की समुचित पहुंच नहीं है, जिस पर गौर किये बिना शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष चुनाव की गारंटी नहीं दी जा सकती है।
वैसे आगामी 23 जनवरी तक के लिए सभी तरह के रोड शो, साइकिल रैली, पदयात्रा और जनसभाओं पर स्पष्ट रूप से रोक लगी है। साथ ही आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे जनसंपर्क के लिए ज्यादा से ज्यादा डिजिटल व वर्चुअल साधनों का ही प्रयोग करें। इसके अलावा, डोर टू डोर संपर्क में भी अधिकतम पांच लोग ही शामिल हों। यदि कोरोना संक्रमण के मामलों में उस दिन तक गिरावट नहीं आई तो जनसंपर्क के लिए ज्यादा से ज्यादा डिजिटल व वर्चुअल चुनाव प्रचार के साधनों का ही प्रयोग करने का विकल्प राजनीतिक दलों के पास बचेगा।