हिदू संस्कृति के समान विश्व में कोई संस्कृति नहीं
विश्व की पहली और महान संस्कृति के रूप में भारतीय संस्कृति को माना जाता है।
जासं, हाथरस : विश्व की पहली और महान संस्कृति के रूप में भारतीय संस्कृति को माना जाता है। विविधता में एकता का कथन यहां पर आम है अर्थात भारत एक विविधता पूर्ण देश है जहां विभिन्न धर्मों के लोग अपनी संस्कृति और परंपरा के साथ शांतिपूर्ण तरीके से एक साथ रहते हैं। अलग-अलग धर्मों, परंपराओं से जुड़े लोग यहां रहते हैं। हिदू संस्कृति के समान विश्व में कोई संस्कृति नहीं है। हमारी संस्कृति गीता रामायण भागवत से जुड़ी है।
यह उद्गार विश्व हिदू परिषद के केंद्रीय सह मंत्री दिनेश उपाध्याय ने हिदू संस्कृति चितन शिविर को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वह अपनी हिदू संस्कृति के रक्षार्थ व हितार्थ अपने जीवन को न्योछावर करने के लिए तत्पर हैं। विशिष्ट अतिथि डा. सत्यदेव पचौरी ने कहा कि धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए मनुष्य का स्वस्थ होना आवश्यक है। स्वस्थ मनुष्य ही समाज के लिए और देश के लिए कार्य कर सकता है। डा. डीके राजपूत ने हिदू संस्कृति की एकता बनाए रखने पर जोर दिया। हिदू संस्कृति पर उमाशंकर वशिष्ठ, प्रकाश चंद शर्मा सासनी, कृष्ण गोपाल शर्मा, डा. नथी लाल शर्मा, डा. बीपी सिंह ने अपने विचार रखें।
मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों का स्वागत रामनिवास रावत, नानक चंद पचौरी, चौधरी हरेंद्र सिंह, श्रीनिवास दीक्षित, चौधरी रमेश सिंह, नेहाल सिंह दीक्षित, राजेश शर्मा, कमलेश सारस्वत, विक्रम रावत ने माल्यार्पण एवं भारत माता का छवि चित्र प्रदान कर किया। मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों ने प्राथमिक पाठशाला दयानतपुर में पौधारोपण किया व लोकतंत्र रक्षक सेनानी समिति के जिला कार्यालय का ग्राम दयानतपुर में उद्घाटन किया। अध्यक्षता रामशरण आर्य उर्फ लहटू ताऊ पूर्व विधायक ने की। संचालन रामनिवास रावत व गोविद उपाध्याय एडवोकेट ने संयुक्त रूप से किया। हिदू संस्कृति चितन शिविर में पूर्व सांसद डा. बंगाली सिंह, भाजपा महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष सुनीता वर्मा, अभिषेक रंजन आर्य प्रदेश मंत्री हिदू जागरण मंच, राजेंद्र नाथ चतुर्वेदी विभागाध्यक्ष विश्व हिदू परिषद हाथरस, मुकेश सूर्यवंशी जिला अध्यक्ष विश्व हिदू परिषद हाथरस, आशा ठाकुर वीरांगना वाहिनी जिला अध्यक्ष हाथरस, श्याम दत्त शर्मा राम प्रकाश शर्मा प्राचार्य छीतरमल उपाध्याय एडवोकेट उपस्थित थे।