Move to Jagran APP

दस्तकारी से फूंक रहे आत्मनिर्भरता का बिगुल

भगवान बुद्ध के अनुयायियों में हाथरस में तैयार प्रतिमा व पूजा के सामान की जबरदस्त मांग धंधे का फंडा 50 करोड़ रुपये से अधिक का हर साल होता है कारोबार देश-दुनिया में तांबा व पीतल की मूर्तियों से बना रहे पहचान

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Jul 2020 12:31 AM (IST)Updated: Fri, 24 Jul 2020 06:03 AM (IST)
दस्तकारी से फूंक रहे आत्मनिर्भरता का बिगुल
दस्तकारी से फूंक रहे आत्मनिर्भरता का बिगुल

केसी दरगड़, हाथरस : एक जिला एक उत्पाद स्कीम में हींग ही नहीं यहां का बना हैंडीक्राफ्ट भी भारत को आत्मनिर्भर बनाने के नारे को साकार कर रहा है। यहां की बनी पीतल व तांबे की भगवान बुद्ध की मूर्तियों के अलावा बिगुल व पूजा के सामान की विदेशों में खासी मांग है। हर साल 50 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होता है। कोरोना संक्रमण के बाद बंद हुए निर्यात के खुलने के बाद मिले ऑर्डर से यहां के उत्पाद एक बार फिर धूम मचाएंगे।

loksabha election banner

प्रदेश सरकार ने यहां हींग के कारोबार को एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) स्कीम में शामिल किया था, जबकि यहां पर रेडीमेड कपड़े, नमकीन, रंग, मसाले, दाल, चप्पल व अन्य उत्पाद भी बड़े पैमाने पर तैयार किए जाते हैं। अपनी मेहनत और कौशल के चलते यहां के कारीगरों के हुनर ने शहर को नई पहचान दी है। हार्डवेयर और हैंडीक्राफ्ट का काम भी बड़े स्तर पर हो रहा है।

बुद्ध प्रतिमा की मांग :

यहां पर तांबा व पीतल की भगवान बुद्ध की प्रतिमा बनाई जाती है। इसमें विभिन्न तरह की डिजाइन होती हैं। भगवान बुद्ध के अनुयायी भारत के अलावा तिब्बत, चीन के अलावा अन्य देशों में रहते हैं। वे भगवान बुद्ध की मूर्ति के अलावा पूजा के दीपक, फूलदान, बिगुल व अन्य पात्र भी प्रयोग करते हैं। पूजा के समय शंख के स्थान पर बिगुल बजाया जाता है। उनकी यह मांग हाथरस से भी पूरी होती है। हर साल रक्षाबंधन से पहले ही माल बनने की शुरुआत हो जाती है और दीपावली तक चलती है। कोरोना संक्रमण के कारण यहां के माल के निर्यात पर असर पड़ा है। कुछ कारोबारी सीधे माल निर्यात करते हैं, वहीं दिल्ली के बड़े कारोबारियों के द्वारा उपलब्ध कराए गए सैंपल के आधार पर माल तैयार कर भेजते हैं।

एक से पांच किलो तक की मूर्तियां

भगवान बुद्ध की मूर्तियां एक किलो से पांच किलो तक की होती हैं। इनकी कीमत दस हजार रुपये तक होती है। वहीं बिगुल एक किलोग्राम वजन तक के होते हैं। इसी प्रकार दीपक, कलश, फूलदान व पूजा के सामान की कीमत वजन और धातु के भाव पर निर्भर करती है। बोले कारोबारी

यहां से धार्मिक के अलावा सजावट के कलात्मक सामान की मांग रहती है। कोरोना संक्रमण से कारोबार पर असर पड़ा है। अब उम्मीद है कि धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ेगा।

-अजीत वर्मा, निर्माता कोरोना संक्रमण के कारण निर्यात बंद हो गया था। अब खुलने से नए ऑर्डर मिल रहे हैं। यहां से तांबा व पीतल की मूर्तियां बनाकर देश के बाहर भी भेजी जाती हैं।

नरेश चंद्र वर्मा, हाथरस हैंडीक्राफ्ट एसोसिएशन इनकी सुनो

यहां बने हैंडीक्राफ्ट के सामान बाहर भी जाते हैं। कोरोना संक्रमण के कारण उद्योगों पर बुरा असर पड़ा है। अब हालात सुधरने लगे हैं। अब कारोबार की रफ्तार बढ़ेगी।

-दुष्यंत कुमार, उपायुक्त, जिला उद्योग केंद्र


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.