आइपीएल से शहर में सट्टे का बाजार गरम
चेन्नई सुपर किग-आरसीबी सहित तीनों मैचों पर लगा लाखों रुपये का सट्टा ब्लर्ब- मोबाइल व क्रिकेट एप्लीकेशन के कारण पुलिस से एक कदम आगे चल रहे सट्टेबाज
जागरण संवाददाता, हाथरस : इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) के मुकाबले शुरू होने के साथ शनिवार को क्रिकेट के सट्टेबाज भी सक्रिय हो गए। दो दिन में हुए तीनों मैचों में शहर में लाखों रुपये का सट्टा लगा। हाथरस शहर क्रिकेट सट्टे का हब है। केवल आइपीएल ही नहीं, बल्कि अब हर वन-डे, टी-20 व टेस्ट सीरीज में सट्टा लगता है। पहला मैच चेन्नई सुपर किग व रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूरू के बीच हुआ, जिसमें सट्टेबाजों की फेवरेट चेन्नई थी। चेन्नई की जीत से बुकी संचालकों को तगड़ा झटका लगा। आगे चल रहे सट्टेबाज
क्रिकेट पर सट्टा भी समय के साथ आधुनिक होता जा रहा है। अब न टीवी की जरूरत है और न किसी कार्यालय की। पूरा कारोबार मोबाइल फोन पर शिफ्ट हो चुका है। बुकी संचालक कार, बाइक पर चलते समय भी ग्राहकों को खिलाते रहते हैं। हर मैच के बाद ये नंबर बदलते हैं, जिससे मोबाइल का प्रयोग होने पर भी सर्विलांस व इंटेलीजेंस टीमें इन तक नहीं पहुंच पातीं। इसके अलावा भाव जानने के लिए डिब्बा की जगह एंड्रॉयड एप्लीकेशन का प्रयोग हो रहा है। उन्हें प्ले-स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। इनमें क्रिकेट लाइव लाइन, क्रिकलाइन, क्रिक-बज आदि एप हैं। टीवी पर लाइव दो गेंद पीछे होता है, लेकिन इस एप्लीकेशन पर लाइव का मतलब लाइव है। हर गेंद व रन के साथ भाव की भी जानकारी मिल जाती है।
डिब्बा चलन बंद :
बुकी संचालकों पर पहले एक की-पैड मोबाइल हुआ करता था, जिसे डिब्बा कहा जाता था। इस पर दूसरी ओर से एक व्यक्ति मैच के दौरान लगातार भाव बोलता रहता था। इसे सुनकर बुकी सट्टा लगवाते थे। अब डिब्बा प्रथा बंद हो चुकी है। अब सीधे मोबाइल पर भाव पता किए जाते हैं। सट्टेबाज भी बुकी के पास नहीं जाते, वे भी फोन के जरिए सट्टा लगाते हैं। बुकी संचालक इसके लिए चुनिदा कंपनियों के की-पैड मोबाइल प्रयोग करते हैं, जिनमें रिकॉर्डिंग की व्यवस्था है। फोन पर बुकी व सट्टा लगाने वाले एक-दूसरे का नाम नहीं लेते। हर बुकी व सट्टेबाज का कोड-नेम होता है, जिसे मोबाइल में फीड कर लिया जाता है। सट्टेबाज अपना कोड नाम बोलता है और सट्टा लगाकर फोन काट देता है।
ऐसे लगता है सट्टा :
बुकी संचालकों के ग्राहक निर्धारित रहते हैं। मैच में हार-जीत का भाव होता है। दो टीम में से एक मजबूत टीम को फेवरेट बोला जाता है। सट्टा में दो शब्दों का प्रयोग होता है 'खाया' और 'लगाया'। यदि भाव 50-55 है तथा सट्टेबाज फेवरेट टीम पर सौ रुपये लगाता है। जीत की स्थिति में उसे 55 रुपये मिलेंगे। यदि टीम हारती है तो सौ रुपये पर 50 रुपये ही चुकाने होंगे। फेवरेट टीम पर लगाने की बजाय सट्टेबाज इस टीम पर खाता है और दूसरी टीम को सपोर्ट करता है। इस स्थिति में सट्टेबाज के जीतने पर उसे पूरे सौ रुपये मिलते हैं तथा हारने पर पूरे सौ रुपये ही देने पड़ते हैं। गिनी-चुनी कार्रवाई
23 अप्रैल 2017 को सादाबाद में आइपीएल के दौरान दो बुकी संचालक पकड़े गए थे। इसके बाद 18 जून 2017 को भारत-पाकिस्तान मैच के दौरान साकेत कॉलोनी में भाजपा नेत्री के घर पर सट्टा पकड़ा गया। यहां मेंडू गेट के दो युवकों को गिरफ्तार किया गया था। पिछले साल आइपीएल में करोड़ों रुपये का सट्टा लगा, लेकिन पुलिस एक भी कार्रवाई नहीं कर सकी। यही नहीं एशिया कप, भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज, टी-20 आदि टूर्नामेंट में जमकर सट्टा लगा, लेकिन कार्रवाई शून्य रही। इस बार आइपीएल में 23 मार्च से 5 अप्रैल तक 17 मैच होने हैं। शहर में लगभग 60 बुकी संचालक हैं। हर मैच पर लाखों रुपये का सट्टा लगेगा। इस बार पुलिस चुनाव में व्यस्त है, सो कार्रवाई के आसार शून्य हैं। दूसरे मैच में बुकी की बल्ले-बल्ले
पहले मैच में फेवरेट टीम चेन्नई की जीत से बुकी संचालकों की झटका लगा था, लेकिन रविवार को हुए हैदराबाद व कोलकता के मैच में बुकी संचालकों की चांदी कटी। शुरुआत से लेकर मैच के आखिरी क्षणों तक हैदराबाद फेवरेट टीम थी। 181 के स्कोर के कारण ग्राहकों ने हैदराबाद पर सट्टा लगाया था। कोलकता की इनिग में चौथे नंबर पर खेलने आए आंद्रे रसल ने 19 गेंदों पर 49 रन मारकर कोलकाता को जीत के मुकाम तक पहुंचा दिया। अचानक पलटी बाजी से ग्राहक सकते में आ गए। रात को हुए दिल्ली व मुंबई इंडियंस के मैच में भाव 68-70 का रहा तथा फेवरेट मुंबई इंडियंस रही। इनका कहना है
क्रिकेट सट्टेबाजों तक पहुंचने के लिए सर्विलांस व एसओजी टीम को लगाया गया है। पुरानी कार्रवाइयों का भी सहारा लिया जाएगा, जिससे बुकी संचालकों तक पहुंचा जा सके।
सिद्धार्थ वर्मा, एएसपी