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न कोर्ट की परवाह थी, न खौफ था खाकी का

निर्देश थे दस बजे तक के, रात दो बजे तक हुई आतिशबाजी त्योहारी उमंग लोगों में नहीं दिखा किसी भी कार्रवाई का खौफ

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 12:33 AM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 12:33 AM (IST)
न कोर्ट की परवाह थी, न खौफ था खाकी का

संवाद सहयोगी, हाथरस : सुप्रीम कोर्ट ने दीपावली पर आतिशबाजी चलाने के लिए समय सीमा निर्धारित की थी। रात आठ से दस बजे तक ही पटाखे चलाने के निर्देश थे, लेकिन लोगों ने न तो कोर्ट की परवाह की और पुलिस का कोई खौफ दिखा। रात दो बजे तक पटाखे चलते रहे।

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पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के लिए पटाखों से बचने के लिए जहां स्कूल-कॉलेजों में विद्याíथयों को शपथ दिलाई गई थी, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी आतिशबाजी को समय सीमा में बांध दिया था। प्रशासनिक अफसरों ने गत दिनों बैठक में दिशा-निर्देश भी जारी किए थे। इसी वजह से इस बार आतिशबाजी के लाइसेंस जारी होने में भी देरी हुई। बुधवार को लोगों ने नियम व आदेशों को ताक पर रख दिया। सुबह से ही पटाखों की गूंज गली-मोहल्लों में सुनाई देने लगी। शाम होते-होते पटाखों का शोर असहनीय होने लगा। रात आठ से ग्यारह बजे तक तो धरती से आसमान तक धूम-धड़ाकों से गुंजायमान था।

इसके बाद पटाखों का शोर कुछ कम जरूर हुआ मगर आतिशबाजी का सिलसिला रात दो बजे तक चलता रहा। गुरुवार को सुबह से ही एक बार फिर पटाखों की गूंज सुनाई देने लगे। दूसरे दिन भी देर रात तक आतिशबाजी हुई। पुलिस ने भी दस बजे के बाद आतिशबाजी बंद कराने की जहमत नहीं उठाई। एक दो जगह जाकर आतिशबाजी बंद कराने की कोशिश की भी तो लोग से सालभर का त्योहार होने की दुहाई देते रहे।

आतिशबाजी से नुकसान : पटाखों के धुआं में हाइड्रो कार्बन्स की मात्रा ज्यादा होती है। इसमें अमोनिया, मिथेन, कार्बन डाईआक्साइड, नाइट्रोजन आदि गैसों का मिश्रण होता है, जो वायुमंडल में घुल जाती है। यह गैसें श्वास के साथ फेफड़ों तक पहुंच जाती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।


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