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चूल्हे-चौके के साथ दिखा आत्मनिर्भरता का हुनर

जज्बा आत्मनिर्भर बनने के लिए स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हैं हाथरस की महिलाएं। ग्रामीण महिलाएं कर रही हैं अतिरिक्त कमाई परिवार का बन रहीं संबल

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 May 2021 01:06 AM (IST)Updated: Mon, 17 May 2021 01:06 AM (IST)
चूल्हे-चौके के साथ दिखा आत्मनिर्भरता का हुनर
चूल्हे-चौके के साथ दिखा आत्मनिर्भरता का हुनर

योगेश शर्मा, हाथरस : चौका-चूल्हा के साथ बिना घर की देहरी लांघे आत्मनिर्भर बनने का हुनर ग्रामीण महिलाओं से सीखा जा सकता है। हाथरस में तमाम महिलाएं जीवन का अंधियारा मिटाकर उंजियारा बांट रही हैं। उन्हें ये हुनर मिला स्वयं सहायता समूह के जरिये।

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न देहरी लांघी, न संस्कार भूली

सासनी ब्लाक के गांव खेड़़ा फिरोजपुर में ब्याही सर्वेश का मायका हाथरस जंक्शन के गांव रामपुर में है। 10 साल पहले खेड़ा फिरोजपुर आईं। कुछ साल के बाद दो बच्चों की मां बन गईं। पति रजनीश तब नोएडा में नौकरी करते थे, मगर नौकरी छूट गई तो घर चले आए और गांव में बिजली मरम्मत का छोटा-मोटा काम करने लगे। इस बीच आर्थिक संकट सामने खड़ा हुआ। पारिवारिक बंदिशों के बीच सर्वेश ने नया रास्ता खोजा। घर में ही मोमबत्ती बनाने का लघु उद्योग शुरू किया।

आत्मनिर्भरता का रास्ता : सीएम योगी आदित्यनाथ ने आधी आबादी को आत्मनिर्भर बनाने की पहल की। सरकारी खजाना भी खोल दिया। स्वयं सहायता समूह बनाकर 11 महिला सदस्यों को जोड़कर लघु उद्योग चलाने की पहल की। गांव में भी रोजगार के तमाम विकल्प हैं। बीए पास कर चुकी सर्वेश भी वर्ष 2019 में स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं और मोमबत्ती बनाने का काम सरकारी मदद से शुरू कर दिया। शिव बाबा स्वयं सहायता समूह के नाम से बनाए गए ग्रुप से 10 अन्य महिलाओं को भी जोड़ा और धीरे-धीरे मोमबत्ती का कारोबार रफ्तार पकड़ने लगा। दीवाली पर तो मोमबत्ती की सप्लाई आसपास के जनपदों में भी की गई।

घर से बाहर भी निकलीं : सरकार लगातार महिलाओं को प्रोत्साहित कर रही है। ऋण के रूप में 10 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक रोजगार के लिए यानी आटा चक्की, स्वेटर बनाने, पत्ता-दोना बनाने से लेकर दरी बनाने के लिए बैंक से दिलाए जा रहे हैं। कई महिलाएं सरकारी मदद के बाद रोजगार भी कर रही हैं। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अब घर-घर जाकर बिजली बिल वसूलने का काम भी कर रही हैं। दो हजार रुपये तक के बिल की वसूली पर 20 रुपये और दो हजार से 20 हजार रुपये तक दो फीसद कमीशन पा रही हैं। सामुदायिक शौचालय के

रखरखाव का भी जिम्मा

महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सामुदायिक शौचालयों के रखरखाव का जिम्मा भी महिला स्वयं सहायता समूहों को दिया गया है। हर शौचालय के रखरखाव के लिए छह हजार रुपये महीने दिए जाते हैं। वर्जन --

सरकार लगातार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तत्पर है। यहां भी महिलाएं रोजगार चला रही हैं। कुल मिलाकर महिलाओं को रोजगार के दरवाजे खोले जा रहे हैं।

आरबी भास्कर, मुख्य विकास अधिकारी हाथरस।


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