महीनेभर पुरदिलनगर में रहे थे तेंदुलकर के गुरु
संसू, हाथरस : दिग्गज क्रिकेट कोच और सचिन तेंदुलकर के गुरु रमाकांत आचरेकर के निधन की बुध
संसू, हाथरस : दिग्गज क्रिकेट कोच और सचिन तेंदुलकर के गुरु रमाकांत आचरेकर के निधन की बुधवार को खबर सुनकर क्षेत्र में भी शोक की लहर दौड़ गई। मुंबई निवासी आचरेकर से पुरदिलनगर वालों से आत्मीय रिश्ता तब बना, जब वे 11 साल पहले यहां पैरालिसिस का इलाज कराने आए थे। यह बात वर्ष 2007 की है। तब, वह एक महीने तक यहीं रुके थे। कई कार्यक्रमों में भी शामिल हुए थे। उनकी यादें आज भी हर किसी के जेहन में ताजा हैं।
पुरदिलनगर के मूंगा मोती कारोबारी पवन गुप्ता से रमाकांत आचरेकर का जुड़ाव था। उनका व्यापार के सिलसिले में दिल्ली आना-जाना रहता था। तभी, फरवरी 2003 में एक क्रिकेट एकेडमी में आचरेकर सर से मुलाकात हुई। दरअसल, वे एकेडमी में मूंगा मोती व्यापारी सत्यप्रकाश सैनी के बेटे केशव को कोचिंग कराते थे। सत्यप्रकाश सैनी के जरिये हुआ परिचय आगे आत्मीय रिश्तों में बदल गया। करीब दो महीने बाद पवन गुप्ता के पिता रमनलाल गुप्ता का निधन हुआ तो 14 अप्रैल को त्रयोदशी संस्कार में सत्यप्रकाश सैनी के साथ आचरेकर भी आए। उस वक्त वह पैरासिलिस से पीड़ित थे। पवन ने उन्हें कस्बे के ही भजनलाल कुशवाह से दवा दिलवाई। इसके बाद वे लौट गए। दवा से कुछ आराम मिला तो आचरेकर मई 2007 में मुंबई से फिर पुरदिलनगर आए और एक महीने तक यहीं रहकर उपचार कराया। इस दौरान उन्होंने कई क्रिकेट टूर्नामेंट में शिरकत की। युवा खिलाड़ियों को टिप्स भी दिए। तब, सरस्वती शिशु मंदिर प्रबंधक कमेटी ने आचरेकर का सम्मान भी किया था। स्वस्थ होने पर उनकी बेटी विशाखा व बहन मुंबई से लेने आईं। वे पहले आगरा में ताज महल देखने गए। तीन जुलाई को ट्रेन से दिल्ली पहुंचे और आगे हवाई जहाज से मुंबई। इनसर्ट व्यापारियों ने श्रद्धांजलि दी
कोच आचरेकर के निधन की खबर पर पवन गुप्ता की अगुवाई में व्यापारियों ने शोकसभा की और भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर ओमप्रकाश गुप्ता, दीपक गुप्ता, वरुण राठी, दीनदयाल कुशवाह, शशिकांत भारद्वाज, संजीव शर्मा, हरीश अग्रवाल, डीके वर्मा, पवन पंडित, चेतन शर्मा आदि मौजूद रहे।