आजादी की अमृत बेला में भी दर्द दे रहे सड़क के गढ्डे
महिला हाकी टीम के सहायक कोच के घर तक है कच्ची सड़क नहीं बन सकी पक्की सड़क।
किशोर वाष्र्णेय, हाथरस : सादाबाद में जब सारे दल विकास के मुद्दे पर मतदाताओं को लुभाने में जुटे हैं, तब आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में भी गांवों के लोग सड़क के गड्ढों का रोना रो रहे हैं। यह उनकी मजबूरी भी है। अबकी विधानसभा चुनाव में ग्रामीणों के लिए यही बड़ा मुद्दा है।
महिला हाकी टीम के राष्ट्रीय सहायक कोच पीयूष दुबे का गांव रसमई नसीरपुर विकास से वंचित है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गांव की पहचान दिलाने के बावजूद किसी भी जनप्रतिनिधि अथवा प्रशासनिक स्तर से गांव के विकास की सुध नहीं ली गई। दैनिक जागरण ने गांव रसमई जाकर दुबे के स्वजन तथा अन्य ग्रामीणों से उनका मन टटोला तो दर्द उभर आया।
पीयूष दुबे का गांव राजा मार्ग पर रसमई नसीरपुर के नाम से है। इस गांव के कई प्रतिष्ठित लोग उच्च पदों पर आसीन हैं, लेकिन पीयूष ने गांव विशेष पहचान दिलाई है। स्वदेश लौटने के बाद गांव में आए पीयूष दुबे का अभूतपूर्व स्वागत ग्रामीणों ने किया था, लेकिन तब भी उनके गांव की सड़क में गहरे गड्ढे थे। ग्रामीण चाहते हैं कि राया मार्ग से गांव को आने वाला करीब एक किलोमीटर का डामरीकरण हो जाए। चुनाव को लेकर ग्रामीण उत्साहित हैं। वे चाहते हैं कि ऐसा जनप्रतिनिधि बने जो क्षेत्र में विकास की गंगा बहाए और लोगों के सुख-दुख में शामिल हो।
सहायक कोच पीयूष दुबे के चाचा उदयवीर सिंह दुबे का कहना है कि गांव में विकास कार्य नहीं हुआ है। कई बार प्रशासन से शिकायत करने के बाबजूद राया मार्ग से गांव का मुख्य मार्ग गड्ढों में तब्दील है। स्थानीय नेताओ से भी शिकायत की गई पर किसी ने सुनवाई नहीं की। कोच के भाई लखन दुबे का कहना है कि गांव में आज भी कच्ची सड़क है। गांव के तेजवीर ठाकुर, सतेंद्र ठाकुर, सोनू ठाकुर, दिनेश शर्मा, प्रेमपाल सिंह, बंटू ठाकुर, संजू सिंह, राहुल सिंह, विवेक दुबे, रविदर सिंह प्रधान भी चाहते हैं कि गांव का बेहतर विकास हो। सड़क तो पक्की बननी ही चाहिए।