रेडीमेड कारोबार को मिले टैक्स से निजात
पिछले साल की मंदी का रेडीमेड कारोबारियों पर अब तक असर धंधे का फंडा मार्केट में पैसा न होने के कारण डिमांड घटी कारोबार प्रभावित शहर से परिवहन की सीधी व्यवस्था न होने से बड़े व्यापारी नहीं आते प्वाइंटर- 80 पंजीकृत इकाई हैं रेडीमेड कपड़ों
जागरण संवाददाता, हाथरस : नोटबंदी, जीएसटी व पिछले साल हुई वैश्विक मंदी के कारण शहर का रेडीमेड गारमेंट कारोबार पर गहरा असर पड़ा है। डिमांड घटने से प्रोडक्शन पर असर पड़ रहा है। यहां तक कि व्यापारियों को लेबर घर बैठानी पड़ी है। रेडीमेड कारोबारियों की मांग है कि सरकार इस तरह का माहौल बनाए जो व्यापार के अनुकूल हो। टैक्स से कुछ निजात मिले तो कारोबार रफ्तार पकड़ेगा।
रेडीमेड कारोबार
हींग व रंग की तरह रेडीमेड गारमेंट कारोबार भी हाथरस शहर की पहचान है। चक्की बाजार व उसके आसपास का एरिया कारोबार का हब है। यहां सर्वाधिक फैक्ट्रियां हैं। शहर में लगभग 80 पंजीकृत इकाई हैं, जो कि हर साल लगभग 60 करोड़ रुपये का टर्नओवर देती हैं। पिछले चार दशक में यह कारोबार घर-घर पहुंच चुका है। रेडीमेड कारोबार में सबसे अधिक बाबा सूट्स (बच्चों के परिधान) का निर्माण होता है। आगरा, सूरत, दिल्ली व मुंबई से कपड़ा आता है। इसके बाद तैयार माल उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य प्रांतों में भेजा जाता है।
कारोबार पर असर
रेडीमेड कपड़े पर पहले टैक्स नहीं लगता था, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद कपड़े को पांच फीसद के स्लैब में रखा गया। कारोबार पर प्रभाव पड़ने के कारण उस दौरान कारोबारियों ने प्रदर्शन भी किए थे, लेकिन लाभ कुछ नहीं हुआ। नोटबंदी व जीएसटी के बाद कपड़ा कारोबारियों को पिछले वर्ष वैश्विक मंदी का सामना करना पड़ा। हालात ये थे कि डिमांड कम होने के कारण प्रोडक्शन बंद करना पड़ा था। 50 फीसद कारोबार प्रभावित हुआ था। पिछले छह महीने में कारोबार पटरी पर आया है, लेकिन पहले जैसी बात नहीं। डिमांड कम होने के कारण प्रोडक्शन भी कम हो रहा है।
सुविधाओं का अभाव
शहर के उद्यमियों के सामने एक नहीं कई परेशानियां हैं। सरकार की बदलती नीतियों के साथ-साथ मूलभूत सुविधाओं का अभाव भी इनकी वजह है। हाथरस से बड़े शहरों के लिए सीधे कनेक्टिविटी नहीं है। सूरत, मुंबई व दिल्ली जैसे शहरों के लिए यहां के व्यापारियों को आगरा, मथुरा या अलीगढ़ जाना पड़ता है। नियमित लंबी दूरी की ट्रेनों की मांग दो दशक से है। बाहर से आने वाले व्यापारी भी इसी कारण यहां आने की बजाय उन शहरों में जाना ठीक समझते हैं, जहां सीधे स्टेशन हैं।
नकदीकरण की समस्या
व्यापार में नकदीकरण की समस्या अभी भी है। लेबर से लेकर पार्टी के भुगतान में इसी वजह से दिक्कत होती है तथा मार्केट में पैसा फंस जाता है। इसका सीधा असर प्रोडक्शन पर पड़ता है। व्यापारियों की मांग है कि सरकार को इस ओर सोचने की आवश्यकता है। व्यापारियों को राहत देने की आवश्यकता है।
वर्जन -
सबसे बड़ी समस्या व्यापारियों के लिए रेल सुविधा का न होना है। बड़े शहरों से कनेक्टिविटी न होने के कारण दिक्कत होती है। छोटे शहरों में व्यापार को बढ़ावा देना है तो सरकार को इस ओर कदम उठाने चाहिए।
-विकास गर्ग, रेडीमेड गार्मेंट्स कारोबारी केंद्र सरकार को अपनी नीतियों में सुधार करना चाहिए। व्यापारियों के प्रति सख्त रुख के कारण ही डाउन फॉल है। व्यापारी भयभीत हैं, इसलिए रिस्क लेने की स्थिति में नहीं है। सरकार का रुख जब तक नरम नहीं होगी, तब तक सुधार की उम्मीद नहीं है।
-सुरेंद्र वाष्र्णेय, पूर्व अध्यक्ष, हाथरस रेडीमेड गार्मेंट एसोसिएशन नोटबंदी के बाद से ही नकदीकरण की दिक्कत है। इस वजह से मार्केट में पैसा फंसता है। डिजिटल भारत की आड़ में मार्केट से कैश खींच लिया गया है। जीएसटी से भी कारोबार पर असर पड़ा है। इसका सरलीकरण किया जाना चाहिए।
-राकेश गोयल, रेडीमेड गार्मेंट्स कारोबारी जब से टैक्स लगा है तब से रेडीमेड कपड़ा कारोबार प्रभावित हुआ है। सरकार को इसमें रियायत देनी चाहिए। इसके अलावा रेल सुविधा भी बढ़ाई जाए, जिससे बाहर से आने वाले व्यापारी आसानी से हाथरस आ सकें तथा यहां के व्यापारियों को भी सुविधा मिले।
-कन्हैया गर्ग, रेडीमेड गारमेंट कारोबारी