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भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए राम मंदिर जरूरी

हाथरस अयोध्या में भगवान राम का जन्म होना एक प्रतीक मात्र है। वह तो इस पूरी सृष्टि के आधार हैं। वह आदर्श पुरुष ही नहीं बल्कि मर्यादाओं की स्थापना करने वाले भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम हैं जो एक आदर्श पुत्र और राजा भी हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 01:28 AM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 07:23 AM (IST)
भारतीय संस्कृति की रक्षा  के लिए राम मंदिर जरूरी
भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए राम मंदिर जरूरी

हाथरस : अयोध्या में भगवान राम का जन्म होना एक प्रतीक मात्र है। वह तो इस पूरी सृष्टि के आधार हैं। वह आदर्श पुरुष ही नहीं बल्कि मर्यादाओं की स्थापना करने वाले भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम हैं जो एक आदर्श पुत्र और राजा भी हैं। इसीलिए सभी लोग हर युग में रामराज्य की कल्पना करते हैं। रामराज्य का अर्थ एक व्यक्ति का शासन नहीं बल्कि एक आदर्श शासन की स्थापना है, जिसमें राजा और प्रजा दोनों एक दूसरे के पूरक हों। राजा एक पिता की तरह अपनी प्रजा का पालन करें तो समस्त प्रजा सुख की अनुभूति करते हुए अपने पिता तुल्य राजा के प्रति समर्पित एवं विश्वास से परिपूर्ण हो। राम समग्र मानव जाति को प्रेरणा देने वाले एक आदर्श हैं, सृष्टि के प्राण हैं। अर्थव्यवस्था एवं राजनीति में राम राज्य की परिकल्पना इसीलिए की जाती है। भगवान राम भारतवर्ष की आत्मा हैं। उन्हें भारत से अलग नहीं रखा जा सकता। अयोध्या में श्रीराम का मंदिर निर्माण होना भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म की रक्षा के लिए भी आवश्यक है। मंदिर निर्माण हो रहा है तो धर्म की विजय पताका भी जोरों से फैल रही है। मंदिर निर्माण का उद्देश्य भविष्य में आने वाली पीढि़यों को भगवान राम के आदर्शों से परिचित कराना भी है।

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-पुनीत पाठक, भागवताचार्य

धर्म का आचरण करने की प्रेरणा देता रहेगा राम मंदिर

अयोध्या में निर्माणाधीन भगवान राम का मंदिर सदियों तक संपूर्ण मानव जीवन को धर्म का आचरण करने की प्रेरणा देता रहेगा। मानव जीवन के हर क्षेत्र में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम प्रेरणा स्त्रोत और प्रकाश स्तंभ हैं। जो लोगों के जीवन को पाप रूपी अंधकार से धर्म रूपी उजाले की ओर ले जाते हैं। भगवान राम का जीवन सदैव से ही प्रासंगिक रहा है। उनके आदर्शों की प्रासंगिकता वर्तमान में और अधिक बढ़ जाती है। उनके आदर्श हमारे जीवन पथ को प्रशस्त करते हैं। संसार का कोई भी प्रश्न ऐसा नहीं है जिसका व्यवहारिक आदर्श उत्तर राम ने अपने आचरण से नहीं दिया हो। उनके जीवन में संपूर्ण संसार समाया हुआ है। वह ऐसे अवतार हैं जिन्होंने अपनी वाणी से नहीं बल्कि आचरण से जीवन दर्शन को प्रस्तुत किया। असाधारण होकर भी अपने साधारण जीवन से पूरे संसार का नेतृत्व किया। भगवान राम भारतीय संस्कृति के ऐसे नायक है जिन्होंने समाज के सुख-दुख और उसकी रचना को बहुत नजदीक से देखा और समझा है। अयोध्या के राजकुमार और राजा से भी अधिक बड़ी भूमिका उनकी ऐसे जननायक की दिखाई देती है। जिसमें उन्होंने दुष्ट राजाओं के आतंक से भारतीय समाज को जागृत किया और एकजुट किया। अन्याय के विरुद्ध पराक्रम पर जोर दिया। भगवान राम ने राष्ट्र के सोए हुए भाग्य को जगाने का काम किया।

- पंडित सुभाष दीक्षित, कथावाचक


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