रोकथाम नाकाफी, बढ़ रहे एचआइवी पॉजिटिव
चिंताजनक - पिछले पांच साल साल में घटती बढ़ती गई एचआईवी पॉजिटिव की संख्या - जिले में कई एरिया जहां नशे के इंजेक्शन से हो रहा एचआइवी
संवाद सहयोगी, हाथरस: जानलेवा बीमारी एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए चलाए गए अभियान नाकाफी साबित हो रहे है। हाथरस एचआईवी पॉजिटिव की संख्या बढ़ती जा रही है। विभिन्न कारणों से एड्स लोगों को हो रहा है। पांच साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो मरीजों की संख्या 43 से बढ़कर 75 पहुंच गई है।
लक्षण व फैलने के कारण
विशेषज्ञों के अनुसार एचआइवी एक विषाणु होता है, जो शरीर की रोग-प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रहार करता है। संक्रमण के प्रति उसकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। संक्रमित व्यक्ति से असुरक्षित यौन संबंध बनाने, एचआइवी संक्रमित रक्त चढ़वाने, बिना इस्तेमाल की गई सुइयों से एड्स होता है। गर्भावस्था में बच्चे को जन्म देते समय एचआइवी संक्रमित मां से उसके बच्चे को एड्स हो जाता है।
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गर्भवती महिलाओं के प्रति सचेत अफसर
गर्भवती महिलाएं इस रोग से पीड़ित और संक्रमित होती हैं। प्रसव के समय उनकी सुरक्षित डिलीवरी कराई जाती है। वहीं पैदा होने वाले बच्चे को नैवरा पैन दवा दी जाती है। जब परिजन इस बीमारी की बात को छिपाते हैं तो बच्चों को एड्स का खतरा बढ़ जाता है। उक्त मामले भी ऐसे ही होंगे। सीएमओ की ओर से एचआईवी पॉजिटिव केस की रिपोर्ट हर माह शासन को भेजी जाती है। इन रोगियों की काउंसिलिग के लिए जिला अस्पताल में सेंटर है। यहां उन्हें दवाओं के साथ-साथ बचाव के तरीके भी बताए जाते हैं। तीन तरह के लोग होते हैं चिह्नित
एचआइवी पॉजिटिव केस की जानकारी के लिए स्वास्थ्य विभाग ने तीन श्रेणी तय की है। इनमें एफएसडब्लू (फीमेल सेक्स वर्कर), आई ड्यूज (इंजेक्शन के कारण) और एमएसएम (मेल सेक्स टू मेल) हैं।
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कहां हो सकती है जांच व उपचार
संभावित रोगियों की जांच करने की व्यवस्था तीन स्थानों पर होती है। जिला अस्पताल, महिला अस्पताल व सादाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सुविधा है। क्षय रोग से पीड़ित हर रोगी की एचआइवी जांच कराई जाती है। जांच कराने की सुविधा प्रत्येक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर है। अनिवार्य रूप से क्षय रोगियों की जांच होती है। कार्ड के जरिए जांच कराई जाती है। एचआइवी की पुष्टि करने के लिए रिपोर्ट को अलीगढ़ भेजा जाता है। एचआइवी मरीजों को एआरटी सेंटर अलीगढ़ के माध्यम से मुफ्त एचआइवी की दवा दिलाई जाती है, जिनका बाद में जिला अस्पताल के एआरटी सेंटर के माध्यम से इलाज चलाया जाता है।
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इनकी सुनो
एड्स की चपेट में लोग न आए। इसके लिए समय-समय पर स्वास्थ्य विभाग व एनजीओ की ओर से जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं। स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच के बंदोबस्त हैं। डॉ. ब्रजेश राठौर,सीएमओ,हाथरस
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क्या कहते हैं आंकड़े
05 साल में 253 एचआइवी केस
मार्च से अप्रैल तक के वर्षवार
वर्ष, पॉजिटिव केस
2014-15, 43
2015-16, 24
2016-17,25
2017-18,49
2018-19,75
अप्रैल 2019 से अब तक 37
(स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार)