पक्का मकान, बाइक भी, फिर भी गरीब!
सरकारी आवास योजना का लाभ पाने के लिए तमाम तथ्यों को छिपाने की कोशिश धांधली आवास योजना के लाभार्थियों के सत्यापन में सामने आया सच अपात्रों को सूची से बाहर कर पात्रों के लिए अनुदान की मांग की गई
योगेश शर्मा, हाथरस : जिन गरीबों को सचमुच घर की जरूरत होती है, उनकी कोई सुनता नहीं और जिनके पास अपना मकान और वाहनों तक की सुख-सुविधाएं हैं, वे गरीबों की आवास योजना का लाभ लेने वालों की लाइन में हैं। इस बात का पता सत्यापन के दौरान चला। करीब 150 ऐसे लोग पाए गए जिनके पास पक्का मकान, बाइक और टै्रक्टर भी है।
शहरी गरीबों को पक्का मकान देने के लिए शहरी पीएम आवास योजना संचालित है और देहात में पीएम आवास योजना चल रही है। पीएम आवास योजना में दो साल पहले ग्रामीण क्षेत्र के ऐसे लोगों से ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे, जिनके पास रहने को घर नहीं है। शर्त यह थी कि आमदनी 50 हजार रुपये सालाना से अधिक न हो। बाइक, स्कूटर, कार और ट्रैक्टर वालों को अपात्र बताया गया था। दो साल पहले 4704 आवेदन प्राप्त हुए थे। डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार के निर्देश पर लाभार्थियों के सत्यापन के लिए जिला स्तरीय टीमों को लगाया गया। सत्यापन का काम ब्लॉकवाइज किया गया। इस दौरान करीब 1916 लोग अपात्र निकले, जिनमें 150 तो ऐसे थे जिनके पास पक्का मकान, बाइक एवं ट्रैक्टर आदि भी थे। इन सभी आवेदनों को निरस्त कर दिया गया। बाकी आवेदनों में कुछ ऐसे भी थे जो मकान का इंतजार करते-करते स्वर्ग सिधार गए। कुछ ने तो इंतजार लंबा होते देख जुगाड़ से अपना घर बनाया ताकि सिर पर छत नसीब हो।
ये भी जानिए : जरूरतमंद परिवार का सत्यापन कर उनका विवरण एप पर सीधे फीड किया गया था, फिर मुखिया समेत घर के सदस्यों के आधार फीड किए गए। आवास एप सर्वे पारदर्शिता के लिए था। अब आधार फीडिंग के बाद अपात्रों का सत्यापन शुरू हुआ। यह कार्य सात सितंबर को 30 जांच अधिकारी लगाकर सौंपा गया। अधिकारियों की जिम्मेदारी यह दी गई कि घर-घर सत्यापन कर अपात्र मिलने पर उनका नाम एप पर फीड किया जाए। यह कार्य 15 सितंबर तक करना था जो पूरा हो गया है। हर लाभार्थी को 1.20 लाख रुपये अनुदान के रूप में मिलेगा। 100 दिन की मनरेगा मजदूरी का भुगतान भी मिलेगा। इसके अलावा 12 हजार रुपये शौचालय बनाने को अलग से मिलेंगे। वर्जन--
लाभार्थियों का सत्यापन कर अपात्रों को सूची से हटा दिया गया है। अब पात्रों की सूची को शासन को भेजा जाएगा ताकि गरीबों को मकान के लिए अनुदान मिल सके।
-अश्वनी कुमार मिश्रा, परियोजना निदेशक, ग्राम्य विकास अभिकरण हाथरस। आंकड़ों पर नजर
4704 ऑनलाइन आवेदन पत्र प्राप्त हुए थे।
1916 लोग अपात्र निकले लाभार्थियों की सूची से।
30 जांच अधिकारी लगाए गए थे सत्यापन करने के लिए।
1.20 लाख रुपये अनुदान के रूप में मिलेगा।
100 दिन की मनरेगा मजदूरी का भुगतान भी मिलेगा।
12 हजार रुपये शौचालय बनाने को मिलना है भुगतान।