जन-जन में हो प्रशांत जैसी सोच
-आवारा पशुओं के लिए हर रविवार को करते हैं चारे की व्यवस्था -प्रशासन के साथ-साथ आम लोगों को पशुओं के हित में आगे आने की जरूरत
संवाद सहयोगी, हाथरस : इंजीनियर प्रशांत भारद्वाज जैसी सोच यदि हर व्यक्ति में हो तो आवारा पशुओं की समस्या खत्म हो सकती है। प्रशांत अपने स्तर से हर रविवार पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था करते हैं। इसके लिए वे नोएडा से हाथरस आते हैं। पिछले डेढ़ साल से पशुओं के लिए खाने का इंतजार कर रहे हैं तथा उन्हें सड़क हादसों से बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
गिने-चुने लोग : शहर की डेढ़ सौ साल पुरानी श्रीकृष्ण गोशाला हो या फिर कुछ साल पहले शुरू हुआ बालाजी गायों का अस्पताल। आवारा पशुओं की मदद करने वालों की संख्या उंगलियों पर हैं। शहर की ये दोनों गोशालाएं अपने स्तर से हर संभव प्रयास कर रही हैं, लेकिन इनकी भी क्षमता है, मवेशी रखने, फं¨डग आदि की। इनके अलावा भी लोग हैं, जो आवारा पशुओं के लिए नित्य भोजन की व्यवस्था करते हैं। इनमें से नवल नगर के प्रशांत भारद्वाज भी एक हैं। प्रशांत पिछले डेढ़ साल से आवारा पशुओं के हित में काम कर रहे हैं। बिना किसी टीम के उन्होंने इस काम की शुरुआत की। सड़क हादसों व भूखे जानवरों की हालत को देखते हुए उन्होंने यह कदम उठाया। हाइवे पर घूमने वाले मवेशियों के सींघों पर रेडियम पट्टी लगाने के साथ-साथ वे हर सप्ताह चारे की भी व्यवस्था करते हैं। इसलिए अपनी तनख्वाह का कुछ हिस्सा आवारा पशुओं के लिए बचा कर रखते हैं।
इसी जज्बे की जरूरत :
रविवार की सुबह प्रशांत ने मंडी समिति व अलीगढ़ रोड पर पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था की। जगह-जगह चारा रखा गया। नोएडा में जॉब करने के कारण वे वीक-एंड पर ही यह काम कर पाते हैं। फेसबुक के जरिए लोगों को जागरूक भी करते हैं। इनकी फ्रेंड लिस्ट में दर्जनों लोग हैं, जो अपने-अपने जिलों में आवारा पशुओं के लिए व्यवस्था कर रहे हैं। सभी लोग यदि केवल अपने-अपने इलाके में ही खाने की व्यवस्था करें तो पशुओं को ¨हसक होने से रोका जा सकता है।
गो संरक्षण केंद्र से बनेगी बात
दैनिक जागरण के अभियान के बाद प्रशासनिक अधिकारी सिकंदराराऊ में बनने जा रहे गौ संरक्षण केंद्र को लेकर सक्रिय हो गए हैं। पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि 1.20 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट में 50 लाख रुपये आ चुके हैं। अधिकारी जरूरी कागजी कार्रवाई पूरा करने में लग गए हैं।