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जिला अस्पताल में इलाज के लिए भटक रहे मरीज

रेफर मरीजों को जिला अस्पताल में भी नहीं मिल पा रहा इलाज ओपीडी बंद होने से इमरजेंसी में संसाधनों की कमी से इलाज नहीं डॉक्टरों के प्रयास के बावजूद रोजाना कई मरीज तोड़ रहे दम।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 12:16 AM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 12:16 AM (IST)
जिला अस्पताल में इलाज के लिए भटक रहे मरीज
जिला अस्पताल में इलाज के लिए भटक रहे मरीज

जासं, हाथरस : सीएचसी और प्राइवेट डॉक्टरों पर पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। गांव में मरीज आज भी झोलाछाप से इलाज कराने को मजबूर हैं। उधर, जिला अस्पताल की ओपीडी बंद है। ऐसे में गंभीर मरीज रेफर करने से या तो वे रास्ते में दम तोड़ रहे हैं या फिर जिला अस्पताल की दहलीज पर। इमरजेंसी में डॉक्टर तो मरीजों के साथ जूझते दिखाई देते हैं लेकिन संसाधन की कमी के आगे वे भी बेबस नजर आ रहे हैं। गुरुवार को दैनिक जागरण की टीम की पड़ताल में यह हकीकत सामने आई।

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केस-एक : गांव चंद्रगढ़ी निवासी 62 वर्षीय मंजू देवी को कई दिन से बुखार था। उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत आ रही थी। आसपास के डॉक्टरों को दिखाया। हालत नहीं सुधरी तो स्वजन जिला अस्पताल ले आए। यहां ओपीडी बंद थी। समय पर इलाज नहीं मिलने से मंजू देवी ने दम तोड़ दिया। फाटक बंद होने पर उन्हें ई रिक्शा से स्वजन ले जा रहे थे।

केस-दो : पहाड़पुर निवासी 63 वर्षीय मालती देवी की सांस उखड़ रही थी। उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत थी। उन्हें जिला अस्पताल लाया गया। अस्पताल में इलाज शुरू होने से पहले ही प्राण पखेरू उड़ गए।

केस-तीन : सादाबाद निवासी 68 साल की कृपाली देवी को रेफर कर जिला अस्पताल भेजा गया था। उन्हें सांस लेने में दिक्कत आ रही थी। ऑक्सीजन की सख्त जरूरत थी, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी जान चली गई। इमरजेंसी का हाल

इमरजेंसी में चार ऑक्सीजन सिलिडर वाले बेड हैं। इससे ज्यादा मरीज आने पर स्ट्रैचर और बेंच पर ही लिटाना पड़ता है। कभी-कभी तो इमरजेंसी के गेट के सामने फर्श पर ही मरीजों को लिटाकर इलाज शुरू करना पड़ता है। ओपीडी बंद होने के बावजूद इमरजेंसी में न तो बेड बढ़ाए गए और न ही ऑक्सीजन सिलिडर।

खुल जाए फाटक

तो बच जाए जान

तालाब चौराहा फाटक पर फ्लाईओवर बनने के कारण फाटक स्थायी रूप से बंद कर रखा है। रेलवे लाइन के ऊपर पुल का काम पूरा हो चुका है। इन दिनों काम बंद है। सादाबाद और मुरसान के अलावा आगरा रोड की ओर शहर से होकर आने वाले मरीजों के लिए सासनी गेट फाटक से होकर जाना पड़ता है। एंबुलेंस या अन्य साधन से जाने वाले मरीजों को जिला अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचने में काफी समय लग जाता है। जो मरीज जिदगी मौत से जूझ रहे हैं उन्हें एक सेकंड की देरी भी जिदगी में भारी पड़ जाती है। ऐसे में कोविड संक्रमण को देखते हुए मरीजों को फाटक खोलकर जाने की सुविधा मिल जाए तो उन्हें काफी सहूलियत हो सकती है। तीन घंटे एंबुलेंस में चक्कर लगाता रहा कोविड पीड़ित

जासं, हाथरस : कोविड मरीजों को कोविड अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं। गुरुवार को एक मरीज के साथ ऐसा ही हुआ। सासनी से रेफर होकर आए वृद्ध को लेकर एंबुलेंस तीन घंटे तक कोविड अस्पतालों के चक्कर लगाती रही। सासनी के स्टेशन रोड निवासी 60 वर्षीय वृद्ध को ऑक्सीजन लगी हुई थी। हालत बिगड़ने पर उसे एंबुलेंस से हाथरस के जिला अस्पताल के एलटू श्रेणी के एमडीटीबी हॉस्पिटल भेज दिया गया। आधा घंटा तक मरीज एंबुलेंस में रहा। काफी कोशिश के बाद यहां बेड न मिलने पर कह दिया कि मुरसान के कोविड अस्पताल ले जाओ। वहां पर ले गए तो वहां भी यही जवाब मिला। मरीज के तीमारदार से कहा गया कि सिकंदराराऊ के जेपी हॉस्पिटल ले जाओ। देर रात यहां से मरीज को सिकंदराराऊ लेकर गए हैं।


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