गुजर गया रविवार, नहीं थमा इंतजार
हाथरस में भाजपा प्रत्याशी को लेकर सियासी सस्पेंस चरम पर सियासी सरगर्मी पल-पल अपडेट ले रहे समर्थक और सियासी दलों के लोग संभावित उम्मीदवारों का दिल्ली में डेरा मंगलवार को ही घोषणा होगी
जागरण संवाददाता, हाथरस : भाजपा प्रत्याशी को लेकर पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हाथरस लोकसभा सीट पर रविवार को भी फैसला नहीं हो सका। दिनभर लोग सोशल मीडिया, टीवी और मोबाइल पर टकटकी लगाए रहे, लेकिन देर रात तक यहां प्रत्याशी की घोषणा नहीं की गई। हाथरस सीट पर किसकी किस्मत चमकेगी, कौन निराश होगा, इस पर अब सोमवार को ही फैसला होगा, क्योंकि मंगलवार नामांकन की आखिरी दिन है।
भाजपा की छह सूचियां जारी होने के बावजूद हाथरस की तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। हाथरस सुरक्षित सीट पर हमेशा से भाजपा का दबदबा रहा है। इसलिए यहां भाजपा के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है। 21 मार्च की शाम को जारी हुई भाजपा की पहली सूची में उत्तर प्रदेश के चार सुरक्षित सीटों हाथरस, इटावा, नगीना और बुलंदशहर पर प्रत्याशी घोषित नहीं किए गए थे। लगा था कि पहले चरण की बाकी सीटों के साथ हाथरस प्रत्याशी भी घोषित होगा मगर ऐसा न हो सका।
फिलहाल टिकट के दावेदार दिल्ली में जमे हुए हैं और पार्टी हाईकमान में उम्मीदवारों के नाम पर मंथन चल रहा है। अब नामांकन के लिए केवल सोमवार और मंगलवार का दिन शेष है। इसलिए इस सीट को लेकर सस्पेंस चरम पर है। सर्वाधिक चर्चाओं में
भाजपा के 20 से अधिक उम्मीदवार दावेदारी कर रहे हैं। इनमें सात नाम फिलहाल तेजी से चर्चाओं में हैं। इनमें मौजूदा सांसद राजेश दिवाकर, उनकी पत्नी श्वेता दिवाकर, आगरा की पूर्व मेयर अंजुला माहौर, पूर्व केंद्रीय मंत्री अशोक प्रधान, इगलास के विधायक राजवीर दिलेर की बेटी और केंद्रीय सफाई कर्मचारी आयोग की सदस्य मंजू दिलेर के साथ-साथ आगरा के सांसद डॉ. रामशंकर कठेरिया, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रामसखी कठेरिया का नाम चर्चाओं में है।
आगरा के दावेदारों का
हाथरस के लिए यू-टर्न
आगरा से दावेदारी कर रहे उम्मीदवारों ने वहां एसपी सिंह बघेल का नाम फाइनल हो जाने के बाद हाथरस के लिए यू-टर्न ले लिया है। डॉ. रामशंकर कठेरिया समेत कुछ अन्य उम्मीदवार टिकट की होड़ में लग गए हैं। इससे दावेदारों की सूची और लंबी हो गई है। अब देखना यह है कि पार्टी इस पर क्या निर्णय लेती है। भाजपा की मुश्किल बढ़ा
सकती है टिकट की देरी
भाजपा के लिए टिकट की देरी मुश्किल पैदा कर सकती है। प्रत्याशी के पास प्रचार के लिए महज 20 दिन का वक्त शेष है। जबकि गठबंधन के प्रत्याशी रामजीलाल सुमन चार माह से अपनी जमीन मजबूत करने में जुटे हुए हैं। इधर जिनको टिकट नहीं मिलेगी वह विरोध भी कर सकते हैं। यह सब परिस्थितियां भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती हैं।