पगड़ी वाले बाबा का चमत्कार
शिक्षकों के नेताजी पगड़ी वाले बाबा का कोई जवाब नहीं है। ब्लॉक के डिप्टी साहब की कुर्सी पर उन्हीं का नुमाइंदा बैठ सकता है। पगड़ी वाले बाबा के इशारे पर ही ब्लॉक पर हर काम होता है।
गलियारा
शिक्षकों के नेताजी पगड़ी वाले बाबा का कोई जवाब नहीं है। ब्लॉक के डिप्टी साहब की कुर्सी पर उन्हीं का नुमाइंदा बैठ सकता है। पगड़ी वाले बाबा के इशारे पर ही ब्लॉक पर हर काम होता है। किसी ब्लॉक ऑफीसर की क्या मजाल जो डिप्टी वाली कुर्सी पर बिना पगड़ी वाले बाबा की सहमति के बैठ सके। जैसे-तैसे ताज नगरी वाले साहब ने हिम्मत दिखाई, लेकिन उनसे खता यही हो गई कि उन्होंने पगड़ी वाले बाबा के दरबार मे मत्था नहीं टेका। फिर क्या था, पगड़ी वाले बाबा ने ऐसी बिसात बिछाई कि पहले ताज नगरी वाले साहब के एक नुमाइंदे का विकेट शिकायत करके गिरवा दिया। किरकरी हुई तो काम का हवाला देकर ब्लॉक की कुर्सी ताज नगरी वाले साहब को छोड़नी पड़ी। अब पगड़ी वाले बाबा ने ऐसी चाल चली की उनकी पसंद के बाहुबली साहब एक झटके में डिप्टी की कुर्सी पर काबिज हो गए। खेल की मलाई की लड़ाई
लंबदंड गोलपिड धरपकड़ खेल का रसनगरी में अपना ही क्रेज है। आइपीएल की तर्ज पर रस नगरी में यह खेल रेल पथ गामिनी की तरह रफ्तार पकड़ चुका है। शहर में लंबू भाई के नाम से मशहूर क्रिकेटर ने एचपीएल का श्री गणेश कराया। खेल की मलाई की जानकारी रस नगरी में फैली तो खूंटी पर बल्ला टांग बैठे खिलाड़ी भी मैदान में दंड मारते दिखे। एचपीएल की मलाई पर सबकी नजरें हैं। एचपीएल के तृतीय संस्करण के लिए लंबू भाई के कूदते ही ही 'पपई भाई' ने भी ताल ठोंक दी। पपई भाई ने बुजुर्ग क्रिकेट एसोसिएशन के संरक्षक के यहाँ दंडौती लगाई। आशीर्वाद ले लिया और एलान कर दिया। लंबू भाई को लगा कि अब तो मलाई उनके हाथ से निकली तो उन्होंने खुशबू वाले होटल में मंत्रणा की। इधर पपई भाई अपनी 'फसल' तैयार कर रहे हैं तो उधर, लंबू भाई उस फसल में 'कीटनाशक' डालकर उसको नष्ट करने में जुट गए हैं। देखने वाली बात यह है कि अब मलाई किसके हाथ लगती है। रेल की सीटी ने उड़ाई नींद
आजकल करंट महकमे के एक आला अधिकारी की नींद उड़ी हुई है। उन्हें नहीं पता था कि रस नगरी में उन्हें कांटों का ताज मिलेगा। एक ओर दिन का चैन बकायेदारों ने छीन रखा है, वहीं रातों की नींद ट्रेन के शोर और सायरन ने उड़ा दी है। ऐसे में करंट महकमे के आला अधिकारी पूर्व में यहां तैनात रहे विवादित अफसर को कोस रहे हैं। आखिरकार आवास के लिए रेल लाइन के पास ही की जगह क्यूं चुनी गई? करंट महकमे के साहब को आवास रास नहीं आ रहा। उन्होंने मानकों के विपरीत आवास का निर्माण कराने की शिकायत महकमे के सर्वोच्च अधिकारी के समक्ष की है। ट्रेन की सायरन साहब के कानों में दिनभर दौड़ती रहती है। गदर के बाद मिला रुतबा
नौनिहालों के स्कूल वाले विभाग की कक्षा पांच तक की पाठशाला में तैनात एक विधि विशेषज्ञ मास्साब को पिछले दिनों जिला नरेश के आदेश पर हटाया गया और सिकंदराराऊ की एक पाठशाला में बिठा दिया गया। विभाग में जय के नाम से चर्चित विधि विशेषज्ञ मास्साब को यह नागवार गुजरा और उन्होंने एलान कर दिया कि अब सत्यचंद्र का तख्ता पलट करने के लिए दम लगाया जाएगा। उन्होंने विभाग में जमकर गदर मचाया। सत्यचंद्र को लगा कि कहीं विधि विशेषज्ञ व पंडित जी मामला गड़बड़ न कर दें, क्योकि शिक्षकों की नियुक्तियों में हुए गोलमाल की जानकारी विधि विशेषज्ञ को थी। ऐसे में सिकंदराराऊ भेजने का तबादला सत्यचंद्र को तत्काल प्रभाव से निरस्त करना पड़ा और मुताबिक जगह पर तैनाती देनी पड़ी। विधि विशेषज्ञ मास्साब के सहपाठी वीरू यानी पंडित जी के कक्ष पर लगी सील को भी आखिरकार सत्यचंद्र को खुलवानी पड़ गई।
-प्रमोद सिंह