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रफ्तार से प्यार, मतलब मौत से दोस्ती

यातायात नियमों का पालन करने से ही बच सकती है ¨जदगी सावधानी जरूरी -पब्लिक को जागरूक करने के लिए चला जा रहे विभिन्न अभियान -हादसों के आंकड़ों से भी सबक लेने को तैयार नहीं फर्राटेबाज

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 12:56 AM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 12:56 AM (IST)
रफ्तार से प्यार, मतलब मौत से दोस्ती
रफ्तार से प्यार, मतलब मौत से दोस्ती

कमल वाष्र्णेय, हाथरस : सारा दारोमदार सिर्फ एक ही बात है। इसी कारण हर साल यातायात माह मनाया जाता है। परिवहन विभाग हर बुधवार को सीट बेल्ट/हेलमेट-डे मनाता है। हर साल सड़क हादसों में मारे जाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि देकर याद दिलाई जाती है। समय-समय वाहन चे¨कग अभियान भी चलते हैं। इन सब गतिविधियों का केवल एक ही मकसद है, यातायात जागरूकता। लोगों को व्यक्ति की जान का महत्व समझाना तथा मोटर व्हीकल एक्ट में दिए प्रावधान का पालन कराना। सिफारिश से चालान व जुर्माने से तो बचा जा सकता है, लेकिन यम से बचने के लिए नियम का पालन तो करना ही होगा। कहर बरपा रही रफ्तार

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सड़क पर बेतरतीब वाहन दौड़ाना सड़क हादसों को न्योता देने के बराबर है। यही वजह है कि यातायात माह में ही दो दर्जन से अधिक लोग सड़क हादसों में मारे गए। कोई भी दिन हादसों से खाली नहीं जा रहा। शुक्रवार को मुरसान, हाथरस जंक्शन व सिकंदराराऊ में हुए हादसों में तीन की मौत हुईं। इन तीनों ही मामलों में रफ्तार हादसे की वजह बनी। इस तरह इस साल अब तक सड़क हादसों का आंकड़ा 540 तक पहुंच चुका है। जिले में हर महीने 10 से 15 लोगों की मौत का औसत है। ठंड के मौसम में यह संख्या बढ़ जाती है। नवंबर में हल्की ठंड शुरू होते ही रफ्तार ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। 17 दिन में अब तक 27 लोगों की मौत हो चुकी है तथा 40 से अधिक लोग घायल हुए हैं। यम से बचाएंगे नियम

यातायात नियम ही अकाल मौत से बचा सकते हैं। सड़क पर कुचलने से बचना है तो बाइक पर हेलमेट का प्रयोग करें। तीन सवारी ना चलें। बाइक पर भी साइड मिरर जरूर होना चाहिए। यातायात संकेतक पर निर्धारित गति का पालन करें। ध्यान केवल वाहन चलाने पर हो। इधर-उधर ध्यान भटका तो दुर्घटना निश्चित है। इसी तरह कार में सीट बेल्ट का प्रयोग करें। एक लेन में चलें, बार-बार बदलें नहीं। इससे पीछे से आ रहे वाहन से भिड़ने की संभावना बढ़ जाती है। ओवरटेक व हॉर्न से बचें

सड़क पर जल्दबाजी अकसर भारी पड़ती है। इसलिए हाईवे व अन्य सड़कों पर ओवरटेक करने से बचें। ओवरटेक में बरती गई लापरवाही ही अधिकतर हादसों की वजह होती है। कुछ दिन पहले अलीगढ़ रोड पर रोडवेज बस व टेम्पो की भिड़ंत इसी कारण हुई थी, जिसमें छात्रा सहित दो की मौत हुई थी। इसके अलावा लगातार हॉर्न न बजाएं। इससे दूसरे वाहन चालकों का ध्यान भंग होता है। लाइसेंस प्रक्रिया सख्त हो

ड्राइ¨वग लाइसेंस प्रक्रिया में और सख्ती की आवश्यकता है। यहां ट्रैक न होने के कारण अधिकारी आवेदक से गाड़ी चलवाकर नहीं देख पाते। बायोमेट्रिक व कंप्यूटर पर टेस्ट लेने के बाद लाइसेंस जारी कर दिया जाता है। कंप्यूटर पर टेस्ट से पहले विभाग द्वारा एक बुकलेट भी दी जाती है, जिसमें यातायात नियमों की जानकारी दी गई थी। संकेतकों को समझना बताया जाता है। इसे पढ़ने के बाद व्यक्ति आसानी से टेस्ट पास कर सकता है। हैवी व्हीकल व कमर्सियल वाहनों के लाइसेंस बनवाने में दलालों की भूमिका रहती है। उसका भी यही प्रक्रिया है। संसाधनों के अभाव के कारण आवेदकों का वाहन चलवा कर टेस्ट नहीं लिया जाता। लग रहे स्पीड गवर्नर

परिवहन विभाग ने फिटनेस से पहले अब व्यावसायिक वाहनों में स्पीड गवर्नर आवश्यक कर दिए हैं। बड़े वाहनों की स्पीड लिमिट 60 किलोमीटर प्रतिघंटा तथा हल्के वाहनों की स्पीड अधिकतम 80 किलोमीटर प्रतिघंटा रहेगी। कितना भी एक्सीलेटर दबाएं, गाड़ी इस लिमिट से आगे नहीं भागेगी। अक्टूबर से विभाग स्पीड गवर्नर लगवा रहा है। इसके लिए डीलर भी नामित किए गए हैं। अब तक तीन सौ से अधिक छोटे-बड़े वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाए जा चुके हैं। संसाधनों की कमी :

यातायात नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण ट्रैफिक व परिवहन विभाग संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। ट्रैफिक पुलिस में एक टीआई के अलावा मात्र 4 एचसीपी व 15 कांस्टेबल हैं, जबकि जिले की आबादी 15 लाख से अधिक है। इनमें भी कई पुलिस कर्मी छुट्टी पर रहते हैं। यही हाल एआरटीओ कार्यालय का है। स्टॉफ की कमी के चलते एआरटीओ प्रवर्तन और एआरटीओ प्रशासन की भी दोहरी जिम्मेदारी है। दोनों अधिकारी चे¨कग करते हैं। इनके पास भी पर्याप्त मात्रा में सिपाही व चालक नहीं हैं। कार्यालय में बाबुओं की कमी है। यहां आरआइ भी तैनात नहीं हैं।


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