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तारों से मांगी आंखों के तारों की दीर्घायु

आस्था - शहर के साथ देहात क्षेत्रों में भी मनाया अहोई अष्टमी का पर्व - दोपहर दो बजे से रात्रि नौ बजे तक पूजा के लिए रहा शुभ मुहूर्त

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Oct 2019 01:26 AM (IST)Updated: Tue, 22 Oct 2019 01:26 AM (IST)
तारों से मांगी आंखों के तारों की दीर्घायु
तारों से मांगी आंखों के तारों की दीर्घायु

संवाद सहयोगी, हाथरस : अहोई अष्टमी का पर्व शहर में धूमधाम के साथ मनाया गया। दिनभर चलीं तैयारियां तारों के निकलने तक जारी रहीं। आसमान में तारों के निकलते ही पूजा-अर्चना करते हुए अपने पुत्र की दीर्घायु की कामना माताओं ने ताराओं से की। इसके लिए विद्वानों ने दोपहर दो बजे से रात्रि नौ बजे तक का शुभ मुहूर्त बताया। वहीं सिकंदराराऊ, सादाबाद, सहपऊ, सासनी, मुरसान आदि देहात क्षेत्रों में यह पर्व श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया गया।

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सोमवार को अहोई अष्टमी की पूजा-अर्चना सुबह से ही घरों में होना शुरू हो गई। घर की महिलाओं ने साफ-सफाई करते हुए तैयारियां शुरू कर दीं। बच्चों में तो इसे लेकर खूब उत्साह दिखा। शाम को घरों में हलवा पूरी सहित अन्य पकवान भी खूब बनाए गए। सभी तैयारियां पूरी करने के बाद दिन छिपने का इंतजार शुरू हो गया। शाम को जैसे ही तारों का टिमटिमाना शुरू हुआ सभी माताएं अपने पुत्रों को लेकर छतों पर आ गईं। वहां पर तारों की पूजा-अर्चना की गई। तारों को हलवा-पूरी का भोग लगाने के साथ अ‌र्घ्य देते हुए अपने पुत्रों की दीर्घायु की कामना तारों से की गई। इससे पूर्व दिन में मां गौरा की पूजा घर-घर में की गई।

मान्यता

अहोई अष्टमी का पर्व विशेषतया पुत्र की दीर्घायु को लेकर मनाया जाता है। इसमें माताएं अपने पुत्रों की दीर्घायु की कामना करती हैं। विद्वानों का मानना है कि दोपहर दो बजे से रात्रि नौ बजे तक महूर्त है। इस समय में पूजा-अर्चना करना लाभप्रद माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि तारों की उम्र सबसे अधिक होती है। करवा चौथ के पर्व में जिस तरह पति की दीर्घायु के लिए चंद्रमा को अ‌र्घ्य दिया जाता है, ठीक वैसे ही इसमें तारों को अ‌र्घ्य देते हुए पुत्र की दीर्घायु की कामना की जाती है। इस अवसर पर बच्चों के सभी परिजनों का होना और भी अच्छा माना जाता है।

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पहली बार रखा व्रत

रामनगर कॉलोनी की रहने वालीं ऋतु कौशिक का यह पहला त्योहार है। उनका बेटा अविरित तीन माह का है। सोमवार को ऋतु ने पहली बार व्रत रखा। बताया कि बेटे की अच्छी सेहत व लंबी आयु के लिए व्रत रखा है। यह सुखद अहसास है। अहोई अष्टमी का यह पहला त्योहार हमेशा याद रहेगा।

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इनका कहना है :

- अहोई अष्टमी का पर्व पुत्र की दीर्घायु के लिए मनाया जाता है। इसमें माताएं तारों की पूजा करते हुए तारों के समान अपने पुत्र की दीर्घायु की कामना तारों से करतीं हैं।

पंडित पवन गौतम


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