पेट्रोल में सॉल्वेंट व डीजल में मिट्टी के तेल की मिलावट
पूर्ति विभाग से लेकर पुलिस प्रशासन आंख मूंदे बैठा मुरसान और उसके आसपास के इलाके प्रभावित तेल के खेल का स्टेडियम रहे हाथरस में मिलावट के खेल पर नहीं लग पाई लगाम
जागरण संवाददाता, हाथरस: यूं तो सॉल्वेंट फैक्ट्री में मशीन क्लीनिग से लेकर ड्राई क्लीनिग, नेल पॉलिश रिमूवर तक के प्रयोग में लिया जाता है, लेकिन यहां पेट्रोल में मिलावट के लिए इसे स्टॉक किया जा रहा था। गिरफ्तार किए गए दोनों युवक जिले के पेट्रोल पंप संचालकों के अलावा फीरोजाबाद व कासगंज भी सप्लाई कर रहे थे। पुलिस की प्रारंभिक छानबीन में मिलावट की बात सामने आई है।
तेल में मिलावट का खेल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। हर साल एक नया प्रकरण सामने आ जाता है। पिछले वर्ष कोतवाली सदर के चामड़ गेट क्षेत्र में तीन गोदामों में मिट्टी के तेल का भंडारण पकड़ा गया था। मुकदमा भी दर्ज हुआ, लेकिन बाद में प्रकरण ठंडे बस्ते में चला गया। इस बार सॉल्वेंट पकड़ा गया है।
दरअसल वर्तमान में पेट्रोल के रेट 75 रुपये प्रति लीटर के आसपास है तथा अच्छे से अच्छा सॉल्वेंट 60 रुपये प्रति लीटर में उपलब्ध है। इसके अलावा बाजार में 22 रुपये व 47 रुपये प्रति लीटर में भी सॉल्वेंट उपलब्ध है। मूल्य के अनुसार तेल की गुणवत्ता घटती-बढ़ती है। इस पदार्थ का रंग पेट्रोल से मिलता-जुलता रहता है तथा ज्वलनशील भी उतना ही है, इसलिए आसानी से पेट्रोल में मिलावट हो जाती है। गाड़ी को नुकसान धीरे-धीरे पहुंचता है, इसलिए लोगों को मिलावट का अहसास नहीं होता। यदि 22 रुपये प्रति लीटर वाले सॉल्वेंट की मिलावट की जाए तो सीधे 50 से 55 रुपये प्रति लीटर का लाभ है। इस लाभ से विनोद व सत्यवीर जैसे कारोबारी व मिलावटखोर पंप संचालक पनपते हैं। सूत्रों के अनुसार इस प्रॉफिट में संबंधित अधिकारियों का भी हिस्सा रहता है। जिस फैक्ट्री में सॉल्वेंट बनता है, वहां से लेकर रास्ते, भंडारण व मिलावट वाली जगह तक सभी की मिलीभगत होती है। उसके बिना यह काम संभव ही नहीं। डीजल में मिट्टी का तेल
डीजल में मिलावट के लिए पुराने तौर तरीके ही अपनाए जा रहे हैं। डिपो से अभी भी गरीबों का कोटा चोरी कर गोदामों पर मिट्टी का तेल एकत्रित किया जाता है। शहर से दूर-दराज इलाके में गोदाम बनाया जाता है। जहां टैंक बनाए जाते हैं। अंडर ग्राउंड टैंक में मिट्टी का तेल भरा जाता है। इसमें विशेष तरह का केमिकल युक्त सफेद पाउडर डाला जाता है। इसकी मदद से मिट्टी का तेल रंग छोड़ देता है तथा डीजल में मिलावट आसान हो जाती है। सफेद पाउडर का 20 किलो का कट्टा 600 से 700 रुपये में उपलब्ध हो जाता है। इस मिलावटी डीजल को फैक्ट्री व पेटी डीलर्स को सप्लाई किया जाता है। परिचालक से बना टैंकर मालिक
पुलिस के अनुसार सत्यवीर पंद्रह साल पहले तक टैंकर पर परिचालक था। शहर के एक जनप्रतिनिधि के टैंकर पर नौकरी करता था। तेल का खेल समझ आने पर उसने नौकरी छोड़ दी तथा खुद इस मिलावट के खेल में लग गया। मिलावट से पैसा कमाया तो दो टैंकर भी ले लिए। टैंकर के एक चेंबर मे वह मिट्टी का तेल भरता था तथा दूसरे चेंबर में पेट्रोल पंपों पर जाकर डीजल भरवा लेता था। एक चैंबर से दूसरे में मिलावट करने के बाद फैक्ट्री व पेटी डीलर्स को सप्लाई कर देता था। एसएचओ वीपी गिरी ने बताया कि इसके पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए छानबीन चल रही है। कई ठिकानों पर काला कारोबार
सत्यवीर व विनोद के अलावा तेल कारोबार की कई बड़ी मछलियां मिलावट के इस खेल में शामिल हैं। कोटा रोड पर ही इस तरह के कई गोदाम हैं, जहां मिलावट हो रही है। मुरसान में भी इस तरह के कई गोदाम हैं।