अधर में लटकी 28 गांवों के डस्टबिन घोटाले की जांच
जांच की आंच में फंस रहे हैं कई अधिकारी और कर्मचारी भ्रष्ट तंत्र -डीएम के संज्ञान में मामला आने पर दस दिन में मांगी थी रिपोर्ट -जांच में देरी का फायदा उठा सकते हैं भ्रष्टाचार में फंस रहे लोग
संवाद सहयोगी, हाथरस : स्वच्छ भारत मिशन के तहत कूड़ा प्रबंधन के लिए कूड़ेदान लगाने में हुए गोलमाल की जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है। अब तक की जांच में 28 गांवों में कूड़ेदान खरीद में गोलमाल की बात सामने आ रही है। डीएम ने 10 दिन में जांच रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे, मगर अभी तक इसकी रिपोर्ट उन्हे नहीं मिली है।
गांवों में लगाए गए कूड़ेदान अफसर व कर्मचारियों के लिए जी का जंजाल बन गए हैं। कूडे़दान की रिपोर्ट मिलने के बाद इसमें कई राज सामने आ सकते हैं। जिलाधिकारी डॉ. रमाशंकर मौर्य के आदेश पर पीडी डीआरडीए चंद्रशेखर शुक्ला विभिन्न ¨बदुओं पर डस्टबिन खरीद की जांच कर रहे हैं। उन्होंने कूड़ेदान खरीद से संबंधित सभी अभिलेख तलब किए हैं। अभी तक की जांच में 28 गांवों में डस्टबिन खरीद में घोटाले की बात सामने आई है। इनमें सबसे ज्यादा 22 गांव सासनी ब्लॉक के हैं। वहीं हसायन के तीन, हाथरस का एक और सिकंदराराऊ के दो गांव शामिल हैं।
ऐसे किया खेल :
जांच में पता चला है कि कूड़ेदान लगाने में शासनादेश के मानकों का खुलकर उल्लंघन हुआ है। एक लाख रुपये से अधिक की खरीद के लिए निविदा आमंत्रित की जानी चाहिए, लेकिन किसी भी ग्राम पंचायत ने कोई निविदा नहीं निकाली और महज कुटेशन के आधार पर खरीद की गई है। ग्राम पंचायत 50 हजार रुपये से अधिक के कार्यों के लिए एस्टीमेट बनाकर इसकी स्वीकृति के बाद ही कोई कार्य कर सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। यह भी सामने आया है कि है करीब 1500 रुपये की कीमत के डस्टबिन के लिए कई हजार रुपये का पेमेंट किया गया है। इसमें कई अफसर व ग्राम प्रधान शामिल हैं।
10 दिन में देनी थी रिपोर्ट
एस्टीमेट की एक प्रति एडीओ पंचायत के पास होनी चाहिए, लेकिन एडीओ पंचायत के पास इन कार्यों से जुड़े कोई अभिलेख नहीं हैं। अब जान बचाने के लिए प्रधान व पंचायत सेक्रेटरी कागजी घोड़े बैकडेट में दौड़ा रहे हैं। जांच रिपोर्ट दस दिन में देने को कहा गया था मगर देरी हो रही है। इससे गड़बड़ी में फंस रहे लोगों को लीपापोती का पर्याप्त समय मिल जाएगा। एबीएसए के तबादले
से भी अटकी जांच
घोटाले की जांच कर रहे परियोजना निदेशक चंद्रशेखर शुक्ला ने खंड शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर जानकारी मांगी थी। गांवों में शौचालय लगे हैं या नहीं, इसकी जानकारी के लिए उन्होंने शिक्षकों की मदद ली थी। इसके कुछ दिन बाद ही एबीएसए के कार्यक्षेत्र बदल गए। इसके चलते भी जांच प्रक्रिया अटक गई है। इनका कहना है
अभी तक की जांच में 28 गांवों में डस्टबिन खरीद की बात सामने आई है। किन-किन गांवों में शौचालय लगे हैं, इसकी जानकारी के लिए संबंधित गांव के विद्यालय के शिक्षकों से जानकारी मांगी थी, लेकिन एबीएसए के कार्यक्षेत्र बदल जाने से जानकारी नहीं आ सकी है। दूसरा इस मामले की जांच जेडीसी कर रहे हैं। अब यह मामला शासन तक चला गया है।
-चंद्रशेखर शुक्ला, जांच अधिकारी।