संवर रहा किला परिसर, पर्यटन को मिलेगा बल
प्रदेश सरकार ने मंजूर किए हैं 49.48 लाख पहली किस्त में मिले 25 लाख रुपये।
जासं, हाथरस : जनपद में पर्यटन के विकास की काफी संभावनाएं हैं। इसी को देखते हुए ऐतिहासिक राजा दयाराम का किला परिसर और दाऊजी मंदिर को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने को मंजूर की गई राशि से अब परिसर की सूरत बदलने लगी है। किला परिसर में इंटरलाकिग की गई है और दर्शकों को बैठने के लिए पत्थर की बेंच लगाई गई है। दूसरी किस्त से और विकास कार्य कराया जाएगा।
किले की स्थिति : शहर में राजा दयाराम का ऐतिहासिक किला था, जिस पर 1817 में अंग्रेजों ने आक्रमण किया था। आज भी इस किले पर अंग्रेजों द्वारा बरसाए गए गोलों के निशान बने हुए हैं। एक निष्क्रिय गोला संरक्षित कर रखा है। पिछले साल किले की गुंबद पर लगा सुर्री (कलश) टूट गया था। उसे पुरातत्व विभाग ने बदलकर लोहे की सरिया की फाउंडेशन के स्थान पर स्टील की राड लगाकर नया कलश स्थापित किया है। संरक्षण के अभाव में किला परिसर जर्जर होता जा रहा है। इसे और संरक्षण की जरूरत है। इसी किला परिसर में दाऊजी का मंदिर बना हुआ है, जिसके इर्द-गिर्द हर साल मेला लगता है, लेकिन पिछले दो साल से कोरोना के कारण मेला नहीं लग पा रहा है।
सरकार की पहल : मुख्यमंत्री पर्यटन स्थल संवर्धन योजना के तहत जनपद के दाऊजी किले को 49.48 लाख रुपये मंजूर किए गए हैं। इससे किले का सुंदरीकरण कार्य किया जाएगा। पहली किस्त के रूप में 25 लाख रुपये जारी हो चुके हैं। पर्यटन विभाग की ओर से यहां सुंदरीकरण के रूप में इंटरलाकिग का कार्य किया गया है। इसके अलावा यहां बेंच भी लगाई गई है। सीढि़यों को सही करने का काम किया जाएगा। वर्जन
किला और दाऊजी मंदिर से शहर की पहचान है। मुख्यमंत्री ने पर्यटन विकास के लिए धनराशि मंजूर की थी। पहली किस्त के तौर पर जो राशि मिली है, उससे काम कराया गया है और भी विकास कराया जाएगा।
हरीशंकर माहौर, विधायक, सदर ऐतिहासिक किला और मंदिर से हमारी संस्कृति की पहचान है। इसलिए इसके संरक्षण की जरूरत है। नई पीढ़ी को पहचान कराने के लिए किले के इतिहास का चित्रण कराने के लिए झांकियां प्रोजेक्टर कराने की व्यवस्था होनी चाहिए। जर्जर छतों व रसोई को भी सही कराना चाहिए।
हरीश शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता