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सादाबाद के पीयूष की अगुवाई में हाकी टीम ने रचा इतिहास

भारतीय हॉकी टीम ने टोक्यो ओलिंपिक में 41 साल बाद मेडल जीतकर बढ़ाया देश का मान।

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Aug 2021 01:19 AM (IST)Updated: Fri, 06 Aug 2021 01:19 AM (IST)
सादाबाद के पीयूष की अगुवाई में हाकी टीम ने रचा इतिहास
सादाबाद के पीयूष की अगुवाई में हाकी टीम ने रचा इतिहास

संसू, सादाबाद (हाथरस)। टोक्यो ओलिंपिक में 41 साल बाद पदक जीतकर भारतीय हाकी टीम ने इतिहास रचा है। सहायक कोच पीयूष दुबे की अगुवाई में टीम इंडिया ने यह ऐतिहासिक जीत हासिल की है। पीयूष दुबे मूलरूप से सादाबाद तहसील के गांव गांव रसमई के रहने वाले हैं। टीम इंडिया की जीत पर उनके पैतृक गांव में भी जश्न का माहौल है। टीम की सफलता के बाद दुबे परिवार भी गर्व महसूस कर रहा है। प्रयागराज से टोक्यो तक का सफर

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हॉकी टीम के सहायक कोच पीयूष दुबे के पिता गवेन्द्र सिंह दुबे भूमि संरक्षण विभाग में अधिकारी थे। माता स्नेहलता शिक्षिका हैं। पीयूष के बड़े भाई श्रवण कुमार दुबे गुरुग्राम में रहते हैं और गांव आते-जाते हैं। श्रवण कुमार ने बताया कि प्रयागराज में तैनाती के दौरान उनकी सलाह पर 1994 में पीयूष ने हॉकी खेलना शुरू किया था। स्पो‌र्ट्स अथारिटी ऑफ इंडिया में कोचिग ली। वह प्रयागराज विवि और प्रदेश स्तर पर हाकी खेले। 2003 में पटियाला से कोच की परीक्षा पास करने वाले उन्हें पटियाला में नियुक्ति मिली। 2004 में पीयूष दुबे वहां के केन्द्रीय विद्यालय की हॉकी टीम के कोच बने। 2008 में प्रयागराज विवि विद्यालय की टीम के कोच के रूप में कार्य किया। यहां से उन्होंने स्पो‌र्ट्स अथारिटी ऑफ इंडिया के कोच की परीक्षा में टाप किया और साईं की सोनीपत शाखा में कोच बने। लगातार बेहतरीन प्रदर्शन करने और बेहतर प्रशिक्षण के चलते उन्हें हॉकी टीम के सहायक कोच के रूप में काम करने का मौका मिला। उनकी अगुवाई में टोक्यो ओलिंपिक में बेहतरीन प्रदर्शन कर भारत ने 41 साल बाद पदक जीता है। आइएएस बनाना चाहते थे पिता

श्रवण कुमार ने बताया कि पिता का निधन 2008 में हो गया था। उनका सपना था कि पीयूष आइएएस बनें। पीयूष की शुरुआती शिक्षा इलाहाबाद से ही हुई। 1995 में हाईस्कूल और 1997 में इंटर की पढ़ाई पूरी की। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए अर्थशास्त्र में वह गोल्ड मेडलिस्ट रहे। गांव में मनाया गया जश्न

पीयुष दुबे के पैतृक गांव रसमई में हाकी टीम की सफलता का जश्न मनाया गया। उनके चचेरे भाई लखन दुबे के साथ गांव और परिवार के लोगों ने जश्न मनाया। मिठाई बांटकर ढोल, नगाड़ों की थाप पर लोग खूब थिरके। इस दौरान लखन दुबे, उदयवीर दुबे, दिनेश दुबे, देवकीनंदन, ललित गोपाल, राहुल कुमार शामिल रहे। गुजरात से गांव के रवि ठाकुर ने भी उनके लिये बधाई भेजा है।


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