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राष्ट्रीय स्तर पर फिर चमके हाकी के कोच पीयूष दुबे

गांव रसमई के रहने वाले हैं पुरुष हाकी के सहायक कोच पीयूष दुबे बेहतर प्रदर्शन के लिए भारतीय खेल प्राधिकरण ने किया सम्मान।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Nov 2021 01:16 AM (IST)Updated: Thu, 18 Nov 2021 01:16 AM (IST)
राष्ट्रीय स्तर पर फिर चमके हाकी के कोच पीयूष दुबे
राष्ट्रीय स्तर पर फिर चमके हाकी के कोच पीयूष दुबे

संसू, हाथरस : टोक्यो ओलंपिक में पुरुष हाकी टीम को अपनी अगुवाई में मेडल दिलाने वाले सहायक कोच पीयूष दुबे का नाम एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर चमका है। उन्हें बेहतरीन प्रदर्शन के लिए बेस्ट कोच आफ स्पो‌र्ट्स अथारिटी आफ इंडिया (साई) के अवार्ड से नवाजा गया है। उन्हें सम्मान दिए जाने से उनके पैतृक गांव रसमई में भी जश्न का माहौल है।

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सादाबाद क्षेत्र के गांव रसमई के रहने वाले पीयूष दुबे कई साल से भारतीय पुरुष हाकी टीम को सहायक कोच के रूप में सेवा दे रहे हैं। टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारतीय हाकी टीम को कांस्य पदक दिलाकर पीयूष दुबे ने बेहतरीन प्रशिक्षक होने का प्रमाण दिया था। इसके बाद टोक्यो से लेकर दिल्ली तक, दिल्ली से गांव तक भारतीय हाकी टीम और कोच पीयूष दुबे को सम्मानित किया गया। इसके अलावा हाल ही में पीयूष दुबे को बेहतरीन प्रशिक्षण के लिए प्रोन्नत किया गया था। अब पीयूष दुबे को केंद्रीय खेल मंत्रालय द्वारा बेस्ट साईं हाकी कोच के अवार्ड से नवाजा गया है। उन्हें यह सम्मान 2016-17 से 2018-19 तक कोच भारतीय पुरुष हाकी टीम के रूप में बेहतरीन सेवा देने के लिए दिया गया है। 17 नवंबर को दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में खेल मंत्रालय के तत्वावधान में आयोजित समारोह में केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने उनको सम्मानित किया। विद्यालय के लिए भूमि दान दिया

संसू, सासनी : ग्रामीण अंचल में बालिकाओं की अधूरी शिक्षा विकास में बाधक बनी हुई थी। अधिकांश बालिकाएं बाहर जाने के कारण शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह जाती थीं। यह विचार बुधवार को एसडीएम अंजली गंगवार ने गांव हडौली में विद्यालय के लिए भूमि का दान ग्रहण करते हुए व्यक्त की। उन्होंने कहा कि शासन की मंशा है कि कोई भी व्यक्ति शिक्षा के अधिकार से वंचित न रहे। इसके लिए शासन ने गांव हडौली में राजकीय कन्या इंटर कालेज बनाने का निर्णय लिया है, लेकिन गांव में भूमि उपलब्ध न होने के कारण अवरोध पैदा हो रहा था। गांव हडौली के सत्यपाल सिंह ने स्वेच्छा से कन्याओं की शिक्षा का सतत उद्देश्य पूरा करने के लिए अपनी पांच बीघा भूमि शासन को दान की है, जिसका आज पंजीकरण कराया गया है। इस मौके पर सत्यपाल सहित कई ग्रामीण मौजूद थे।


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