'आधी आबादी' के समय प्रबंधन से बढ़ा मतदान
गांव की सरकार बनाने में महिलाओं ने निभाई दोहरी जिम्मेदारी पति के साथ खेत पर काम कर पहुंचीं वोट डालने।
केसी दरगड़, हाथरस : गुरुवार को गांव की सरकार चुनने में महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। खेतों में गेहूं की सुनहरी बालियां फसल काटने का दबाव डाल रही थीं तो प्रधानी का चक्कर मतदान को विवश कर रहा था। चूल्हे-चौके की जिम्मेदारी अलग से थी। 'आधी आबादी' इनमें बेहतर तालमेल बिठाया। प्रचंड गर्मी के बावजूद इसका असर मतदान फीसद पर दिखा।
महिलाओं को कटी फसल काटने के साथ ही सुबह के कलेऊ से लेकर दोपहर के भोजन के लिए चौका-चूल्हा समेटने की भी चिता सता रही थी। इसके बाद वोट डालने का दबाव। तीनों जिम्मेदारियों को बखूबी निभाने में आधी आबादी का समय प्रबंधन कारगर साबित हुआ। खेत की कटाई और चौका चूल्हे से निपटने के बाद कड़ी धूप में लाइन में लगकर सूरज ढलने तक मतदान का पारा चढ़ाया। पारा इतना चढ़ा कि सुबह के आंकड़ों पर भारी पड़ता चला गया।
महिलाओं को पता था कि आज वोट भी पड़ेंगे। वे तड़के चार बजे हाथ में दरांती लेकर पति के साथ खेतों में निकल पड़ीं और सुबह दस बजे तक कटाई करती रहीं। जिनके घर में हाथ बंटाने लिए बेटियां और बहुएं नहीं थीं, वे चली आईं जबकि घर के और सदस्य खेतों में लगे रहे। कलेऊ और दोपहर के भोजन के इंतजाम किया। खेतों से पति और अन्य सदस्य लौटे तो उन्हें भोजन कराया। फिर दौड़ लगा दी बूथ की ओर। कोई पति के साथ तो कोई घर की बहुओं के साथ या फिर गांव की अन्य महिलाओं के साथ मतदान के लिए जाती दिखी। दोपहर एक बजे से कड़ाके की धूप में ऐसी लाइन लगीं कि सूर्यास्त तक नहीं टूटी। जो मतदान शुरू के घंटों में 10-20 फीसद था वह 60 फीसद से ऊपर चला गया। वार्ड 14 के गांव चंदपा, कुंवरपुर, कोटा, रोहई व अन्य गांवों के स्कूलों में बने मतदान केद्रों पर लंबी लाइन दिखी। कुछ स्थानों पर लंबी लाइन के कारण मतदाता बाउंड्री के सहारे और बरामदे में छाया तलाशते रहे। महिलाओं में कोरोना का खौफ भी दिखाई दिया। मतदान केंद्रों पर हाथ सैनिटाइज करने के साथ मास्क लगाकर वोट डालते नजर आईं।