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हौसलों से बदले हालात, बच्चों को बनाया लायक

नगला काठ कुरसंडा की श्रीमती देवी मेहनत मजदूरी कर बनीं स्वावलंबी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 05:25 AM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 05:25 AM (IST)
हौसलों से बदले हालात, बच्चों को बनाया लायक
हौसलों से बदले हालात, बच्चों को बनाया लायक

संसू, हाथरस : कहते हैं, जब ईश्वर किसी का हाथ पकड़ता है तो वह परिस्थितियां बदल देता है। मुफलिसी में अपने चार बच्चों के साथ जीवन-यापन करने वाली बेवा श्रीमती देवी ने बुलंद हौसलों के चलते मेहनत मजदूरी करके गरीबी से उठकर आर्थिक प्रगति की है। सामाजिक सद्भाव व जन सहयोग से बच्चों को शिक्षित करने के उपरांत बेटी की शादी करके एक बेटा को सेना में भेज दिया। दोनों अन्य बेटों की भी सेना में भेजने की तैयारी चल रही है।

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कुरसंडा क्षेत्र के गांव नगला काठ निवासी श्रीमती देवी भूमिहीन होने के कारण मेहनत मजदूरी करके अपने बच्चों का पालन पोषण कर रही हैं। इनके पति ओमवीर सिंह का स्वर्गवास वर्ष 1999 में मजदूरी करने के दौरान हो गया था। पति की मौत से महिला टूटी जरूर, लेकिन उनके हौसले नहीं टूटे। उनपर अपने चार छोटे-छोटे बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी आ चुकी थी। कठिन परिस्थिति में परिवार के लोगों ने महिला से किनारा कर लिया। महिला के पास सबसे बड़ी बिटिया थी, जिसकी उस समय उम्र 12 वर्ष थी। उसके बाद पुत्र विष्णु कुमार 10 वर्ष, ब्रह्मा 8 वर्ष तथा महेश 6 वर्ष के पालन पोषण तथा शिक्षित करने की जिम्मेदारी बखूबी निभाई। हालांकि कठिन हालात में बच्चों को पालने के साथ उन्हें पढ़ाने की चुनौती थी, मगर ार नहीं मानी। हालात से लड़ती रहीं। कुछ समाजसेवी लोगों ने महिला की मदद की और बच्चों को शिक्षित करने में सहयोग दिया।

सामाजिक सद्भाव के चलते कुरसंडा के एक बुकसेलर ने बच्चों को कक्षा 10 तक पाठ्य पुस्तकें निश्शुल्क दीं। कक्षा 8 तक की शिक्षा भावना विद्यालय के प्रबंधक ने निशुल्क प्रदान कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इसके बाद कक्षा 12 तक की शिक्षा गांव के कुरसंडा के इंटरमीडिएट कालेज में निश्शुल्क होने के बाद तीनों ही लड़कों ने बीएससी तक शिक्षा ग्रहण की। बैचलर डिग्री में बच्चों की आर्थिक मदद स्कालरशिप से भी हुई और उसका नतीजा यह निकला कि इनके बड़े बेटे विष्णु की नौकरी सेना में लग गई। इसके बाद आर्थिक स्थिति सुधरने लगी। इसी बीच महिला ने अपनी बेटी के हाथ पीले किए। महिला के पास जो टूटा, फूटा कच्चा मकान था, उसे पक्का कराया और अब वह समाज में सिर उठाकर जीने की कोशिश कर रही हैं। उनके दूसरे पुत्र ब्रह्मा तथा महेश भी सेना की तैयारी में जुट गए हैं। महिला के बुलंद हौसलों के कारण उनको आर्थिक प्रगति का मार्ग मिला। वे अब हालात के मारों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं।


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