मुआवजे की साजिश में फंसेंगे किसान और अफसर
कृषि भूमि को आबादी में दिखाकर मुआवजे का दावा खारिज कर डीएम ने एडीएम को दिए हैं जांच के आदेश खुलेंगी परतें आंकड़ों का आईना 55 हेक्टेयर भूमि का हाथरस जिले में हुआ है अधिग्रहण 3400 के करीब किसानों से ली गई है उनकी जमीन 22 किलोमीटर जीटी रोड का हिस्सा है हाथरस जिले की सीमा में 131 करोड़ रुपये मुआवजा बांट चुका है एनएचएआइ
जासं, हाथरस : नेशनल हाईवे 91 जीटी रोड के चौड़ीकरण में जमीन देने वाले किसानों की जालसाजी तो जिला मजिस्ट्रेट प्रवीण कुमार लक्षकार ने पकड़ ली और मुआवजे का दावा खारिज कर दिया, मगर अब वे अधिकारी-कर्मचारी भी निशाने पर आ गए हैं जिनके जरिये जालसाजी की गई। कृषि भूमि को आबादी क्षेत्र में दर्शाकर पेश किए गए प्रपत्रों की जांच एडीएम को सौंपी गई है। माना जा रहा है कि जांच के बाद जालसाजी की परतें खुलेंगी। इसमें किसानों के साथ-साथ कई विभागीय अधिकारी और कर्मचारी भी फंस सकते हैं। ऐसे पकड़ी गई गड़बड़ी
जिला मजिस्ट्रेट ने 25 किसानों के बैनामों की जांच की, जिसका रकबा 0.28 हेक्टेयर है। जिला मजिस्ट्रेट ने देखा कि इन किसानों ने वर्ष 2015 में अन्य किसानों से जमीन खरीदी थी। उस दौरान इसका बैनामा कृषि भूमि के रेट में किया गया था। वर्ष 2017-18 में किसानों ने मुआवजे के लिए दावा किया तो उसमें आबादी के रेट में मुआवजा मांगा। आबादी दर्शाने के लिए धारा 143 की कार्रवाई दिखानी होती है। किसानों ने बैक डेट में 143 की कार्रवाई दर्शायी है। इससे जिला मजिस्ट्रेट को शंका हुई। उन्होंने लेखपाल, कानूनगो को मौके पर भेजकर जांच कराई। जांच में सामने आया है कि मौके पर भूमि पर केवल बाउंड्रीवाल थी, जबकि वहां कोई औद्योगिक, आवासीय और व्यवसायिक गतिविधि नहीं हो रही हैं। किसानों ने जालसाजी कर जमीन को आबादी में दर्शाकर ज्यादा मुआवजा लेने की कोशिश की। इसके बाद जिलाधिकारी ने सभी दावों को निरस्त कर दिया और जांच एडीएम को सौंपी है। बचा 3.40 करोड़ का राजस्व
जिला मजिस्ट्रेट की सतर्कता के चलते 3.40 करोड़ रुपये का राजस्व बच गया। सिकंदराराऊ क्षेत्र में कृषि भूमि का सर्किल रेट के अनुसार 2682 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मुआवजा दिया गया है, वहीं आबादी क्षेत्र में मुआवजे की दर 14,500 प्रति वर्ग मीटर है। 25 किसानों की 0.28 हेक्टेयर कृषि भूमि का मुआवजा करीब 77.24 हजार रुपये होता है, जबकि आबादी के रेटों में इसी भूमि का मुआवजा 4 करोड़ 17 लाख 60 हजार बन रहा है। एनएचएआइ के विधि सलाहकारों की मानें तो यह आदेश यूपी ही नहीं अन्य प्रदेशों भी में चर्चाओं में बना हुआ है। हाईकोर्ट जाने से बच रहे किसान
जिला मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ किसान अब हाईकोर्ट जाने से बच रहे हैं। किसानों के कागजात की जालसाजी उन्हें भारी पड़ सकती है। कृषि भूमि को आबादी में दिखाने के लिए की गई धारा 143 की कार्रवाई में गड़बड़ी के चलते किसान उच्च न्यायालय जाने में घबरा रहे हैं। इन्हीं 11 गांवों के किसानों से ली जमीन
बिलार, पहाड़पुर, रतनपुर हुसैनपुर, महामई सलावत नगर, सिकंदराराऊ देहात, चांदनपुरा, बरई शाहपुर, फुलरई मुगलगढ़ी, भिसी मिर्जापुर, इकबालपुर, पिपलगवां।