रफ्तार पकड़ेगी उम्मीदों की रेल?
केंद्र के अंतरिम बजट में हाथरस की रेल सेवाओं के विस्तार की आस
आकाशदीप भारद्वाज, हाथरस : एक फरवरी को केंद्र के अंतरिम बजट में रेल बजट भी होगा। बी ग्रेड के हाथरस सिटी रेलवे स्टेशन से आवागमन करने वाले यात्रियों और कारोबारियों को अंतरिम बजट से इसलिए भी ढेरों उम्मीदें हैं, क्योंकि यह चुनावी साल का बजट है। पिछले बजटों में भी हाथरस को कुछ खास नहीं मिला है, इसलिए इस बार के अंतरिम बजट से नई ट्रेन मिलने की उम्मीद की जा रही है।
ब्रज की देहरी हाथरस शहर कभी विकास की दृष्टि से काफी समृद्ध और विकसित रहा है, लेकिन शासन की अनदेखी से आज जनपद चौतरफा विकास को तरस रहा है।
यातायात की दृष्टि से भी काफी पिछड़ा है। बी ग्रेड में शामिल हाथरस सिटी स्टेशन पर ट्रेनें तो कई गुजरती हैं, लेकिन पर्याप्त नहीं हैं। यहां से पार्सल भेजने की भी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे हींग, दाल का कारोबार प्रभावित हो रहा है। जीआरपी-आरपीएफ भी संसाधनों व स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं।
हाथरस से करीब 20 मेल एक्सप्रेस ट्रेनों और 20 ही मालगाड़ियों का यहां से आवागमन है। हाथरस दाल, हींग, बर्तन, चूरन और दवा के कारोबार के लिए मशहूर है। लेकिन अब कारोबार में नुकसान होता है। ------------
हाथरस स्टेशन एक नजर में
अनुमानित डेली यात्री, 6000
गुजरने वाली ट्रेनें, 20
आय प्रतिदिन, 1.50 लाख रुपये
प्लेटफार्म, 2
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प्रमुख मांगें
- कर्मचारियों का ड्यूटी रोस्टर ठीक से लागू हो।
-यहां रुकने वाली एक्सप्रेस ट्रेनों में पार्सल की व्यवस्था हो।
-आगरा फोर्ट-कोलकाता ट्रेन का ठहराव हो।
-हाथरस जंक्शन की रेल लाइन मैंडू स्टेशन तक जोड़ी जाए।
-गेटमैन के लिए रेलवे फाटक पर सुरक्षा के साथ शौचालय व शुद्ध पानी का इंतजाम हो।
-------------- इनका कहना है-
पुरानी पेंशन बहाली, गेटमैनों की सुरक्षा, डयूटी रोस्टर लागू करने आदि मांगे हैं, कर्मचारी हित में रेल मंत्री पीयूष गोयल से इन मांगों पर कुछ निर्णय लेने की उम्मीद है।
-यतेंद्र पांडेय, शाखा अध्यक्ष, पूर्वोत्तर रेलवे मेंस यूनियन -------- कारोबार की दृष्टि से लंबी दूरी की ट्रेनों का ठहराव बहुत जरूरी है। यह शहर हींग की मंडी के नाम से मशहूर है और यहां का हींग पूरे देश में जाता है। रेलवे को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।
-प्रदीप कुमार अग्रवाल, मुख्य वाणिज्य निरीक्षक, हाथरस
-------- यहां गुजरात, अहमदाबाद समेत अन्य प्रदेशों से दाल का आवागमन होता है। पहले रेल से दालों का आवागमन का आराम से होता था, लेकिन अब कारोबारियों को दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं। इस ओर कोई निर्णय होता है तो बहुत राहत होगी।
-राधेश्याम अग्रवाल, दाल कारोबारी