निर्जला एकादशी पर दान कर कमाया पुण्य
सब हेड जगह-जगह लगाए गए प्याऊ महिलाओं ने व्रत रखे
जागरण टीम हाथरस : हिदू संस्कृति में निर्जला एकादशी पर्व का विशेष महत्व है। इसमें जगत पालनकर्ता भगवान विष्णू की पूजा-अर्चना की जाती है। इस व्रत को रखने से पूरे साल का फल एक साथ मिल जाता है। मंगलवार को यह पर्व श्रद्धाभाव से मनाया गया।
एकादशी व्रत को सर्व समृद्धि देने वाला वाला माना गया है। पूरे साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं। निर्जला एकादशी को सभी एकादशियों में श्रेष्ठ माना गया है। इसे ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में गंगा दशहरा के अगले दिन मनाया जाता है। इसमें जल का त्याग करने से ही इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। इस एकादशी व्रत में जल का त्याग किया जाता है। इसे महिला, पुरुष सहित सभी इस व्रत रख सकते हैं।
इस मौके पर लोगों ने शर्बत की प्याऊ लगा कर शर्बत वितरण किया। खरबूज, तरबूज, बर्तन, शर्बत आदि भेंट किए। जगह जगह पूजा अर्चना एवं दान पुण्य किया गया। शहर में जगह-जगह प्याऊ लगाए गए। महिलाओं ने निर्जला वृत रखकर भगवान विष्णु की पूजा की। हरिचितन कर दिन बिताया। पूरे दिन और रात तक महिलाएं व्रत रहीं और भगवान से आशीर्वाद लिया। देहात में भी लगाए प्याऊ
सासनी में कोतवाली चौराहे कस्बा के बस स्टैंड, गांधी चौक एवं पारस सिनेमा जैसी जगहों पर शर्बत की प्याऊ लगाई गईं। गांव रुदायन में भी समाजसेवी प्रशांत पाठक ने निर्जला एकादशी के मौके पर उपवास रख कर लोगों को शर्बत पिलाया फल खरबूजे वितरण किए। सादाबाद, मुरसान, हाथरस जंक्शन, सहपऊ, बिसाबर आदि में भी प्याऊ लगाए गए।
कोरोना महामारी के अंत की कामना की
संस, सिकंदराराऊ : निर्जला एकादशी पर श्रद्धालुओं ने निर्जला उपवास रखकर भगवान विष्णु की आराधना की और देश में फैली कोरोना महामारी के अंत की कामना की। निर्जला एकादशी के पावन पर्व पर श्रद्धालुओं ने खरबूज, पंखा, घड़ा आदि का दान कर पुण्य लाभ कमाया। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि जेष्ठ माह में पड़ने वाली एकादशी को निर्जला एवं भीमसेनी एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी साल में एक बार पड़ती है और 24 एकादशी में सबसे बड़ी होती है। निर्जला एकादशी का उपवास रखने पर सभी एकादशी का भक्तों को फल मिलता है।