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सिचाई से लहलहा रहीं फसलें, बुझ रही बेजुबानों की प्यास

सूख रही धरती की कोख को हरा भरा करने के लिए हर बूंद को बचाना होगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Apr 2021 11:59 PM (IST)Updated: Thu, 08 Apr 2021 11:59 PM (IST)
सिचाई से लहलहा रहीं फसलें, बुझ रही बेजुबानों की प्यास
सिचाई से लहलहा रहीं फसलें, बुझ रही बेजुबानों की प्यास

हाथरस: सूख रही धरती की कोख को हरा भरा करने के लिए हर बूंद को बचाना होगा। ऐसा नहीं किया तो मानव ही नहीं जीव जंतुओं के लिए भी संकट होगा। इसका समाधान बारिश की हर बूंद को सहेजने से ही होगा। जीर्णोद्धार कराने से बिजाहरी के गांव बनगढ़ के तालाब में जल संचयन का सपना साकार हो रहा है।

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सासनी क्षेत्र के गांव बिजाहरी के माजरा बनगढ़ में दो एकड़ में तालाब बना हुआ है। तालाब की सफाई न होने से हालत अच्छी नहीं थी। इसमें लोग कूड़ा करकट डाल रहे थे। आसपास के लोगों की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही थी। पशु भी पानी नहीं पी रहे थे और किसान भी सिचाई नहीं कर पा रहे थे। तीन साल पहले पूर्व प्रधान ने तालाब की सफाई कराकर जीर्णोद्धार कराया गया। इसके चारों ओर पौधारोपण भी कराया गया था। अब तालाब बेजुबान जानवरों व परिदों की प्यास बुझा रहा है। यह तालाब आसपास गांवों के पशुपालकों व पशु-पक्षियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। गर्मी के मौसम में भी तालाब में लबालब पानी भरा रहता है। तालाब में बारिश का पानी संचयन भी होता है। साथ ही किसान खेतों की सिचाई भी करते हैं।

बोले ग्रामीण

पहले तो पोखर काफी गंदी थी। पोखर का पानी सड़क पर आ जाता था। जब से खोदाई करवाई है तब से पानी तालाब में ही संचय हो रहा है।

इंद्रपाल सिंह, ग्रामीण

पोखर में पानी होने से पशु पक्षियों के साथ किसानों को भी लाभ हो रहा है। सिचाई के समय इधर-उधर नहीं भटकना पड़ता। किसान अपने खेतों में इसी तालाब से सिचाई करते हैं।

रामबाबू, ग्रामीण


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