हौसलों ने बनाया क्रिकेट का राजा
संवाद सूत्र, हाथरस : 'मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं हो
संवाद सूत्र, हाथरस : 'मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है।' इसी बात को सार्थक कर रहे हैं उत्तर प्रदेश दिव्याग क्रिकेट एसोसिएशन की टीम के कप्तान राजा बाबू शर्मा।
बचपन में ट्रेन की चपेट में आकर एक पैर गंवा चुके राजा के लिए क्रिकेट जुनून बन गया है। सही मायने में राजा क्रिकेट का राजा बन चुका है। क्रिकेट के मैदान में यह बल्लेबाज जब बल्ला थामता है तो दोनों पैर वाले खिलाड़ी बॉल को पकड़ते-पकड़ते थक जाते हैं।
शनिवार को जब यह खिलाड़ी सिकंदराराऊ के कीड़ा स्थल में खेलने पहुंचा तो लोगों को भी उसने अपना मुरीद बना लिया। भारतीय दिव्याग टीम में स्थान पा चुके उत्तर प्रदेश दिव्याग क्रिकेट एसोसिएशन टीम के कप्तान राजा बाबू शर्मा कानपुर के रहने वाले हैं। बचपन में पैर कटने के बावजूद राजा बाबू के हौसले कभी कम नहीं हुए। राजा बाबू ने अपने क्रिकेट के शौक को ही अपना मकसद बना लिया। राजा बाबू का कहना है कि परिवार में कई बार परिस्थितियों को देखकर लगा कि शायद अब क्रिकेट का सपना अधूरा रह जाएगा। लेकिन जुनून के आगे कोई मुसीबत नहीं टिक सकी।
वहीं गाजियाबाद निवासी कमल बचपन से क्रिकेट खेलते रहे हैं। उनका भारतीय दिव्याग क्त्रिकेट टीम में चयन भी हो चुका है। इनको एक दुर्घटना में अपना हाथ गंवाना पड़ा था। हाथ खोने के बाद कमल को भी लगा कि अब सब कुछ खत्म हो जाएगा। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और एक हाथ से ही गेंदबाजी करने लगे। राजा के साथ कमल भी राष्ट्रीय टीम में स्थान पा चुके हैं।