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स्वच्छ ईंधन से संवरा जीवन

केंद्र की योजना ने दिलाई 105330 महिलाओं को धुएं से राहत बदला स्तर -ईंधन की चिंता में डूबे गरीब परिवारों के लिए तिनके सा सहारा बना उज्ज्वला -धुएं से मुक्ति तो मिली लेकिन महंगे गैस सिलेंडर का रोना अभी बरकरार है

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 01:02 AM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 01:02 AM (IST)
स्वच्छ ईंधन से संवरा जीवन
स्वच्छ ईंधन से संवरा जीवन

आकाशदीप भारद्वाज, हाथरस

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बेहतर जीवन कौन नहीं जीना चाहता? यह बात आजादी के बाद की तमाम सरकारों ने महसूस किया होता तो लाखों लोगों का जीवन स्तर बहुत पहले बदल चुका होता। देर आए दुरुस्त आए। मोदी सरकार ने उज्ज्वला योजना से जनपद के भी एक लाख से ज्यादा परिवारों को ऐसी खुशियां दी हैं जिन्हें वे कभी भुला नहीं पाएंगे। एक जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के जीवन में सुधार को उज्ज्वला योजना शुरू की तो विपक्षी भी तारीफ करते नजर आए। इसका एहसास उनसे बेहतर भला कौन बता सकता है, जो ईंधन के इंतजाम में आधा दिन भटकने के बाद फूंकनी से चूल्हा फूंकते हुए हांफने लगती थीं। गैस सिलेंडर पाने की खुशी व्यक्त करने के साथ ऐसे परिवारों के लोग अब महंगे सिलेंडर का दर्द साझा करना नहीं भूलते।

हर योजना की तरह उज्ज्वला भी अफसरशाही के गलियारों से निकलकर ग्रामीणों तक पहुंची है। पात्रों के लिए योजना का लाभ देरी से ही मिला, लेकिन इससे उनके जीवन में काफी कुछ बदल गया है।

सुबह ईंधन जुटाने से शुरू होने वाली दिनचर्या में सिलेंडर ने जगह बना ली है। इससे पात्र लाभार्थियों की जिदगी सरल बनी है। अब पात्र लाभार्थियों को यह चिता नहीं की चूल्हे की राख बुझ गई हुई तो उसे दोबारा जलाना पड़ेगा। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत जनपद हाथरस में 1,05,330 पात्रों को गैस कनेक्शन के साथ गैस सिलेंडर व चूल्हा भी मिला है। इनमें आइओसी ने 25,832, बीपीसी ने 68846 व एचपीसी ने 10652 लोगों को एलपीजी कनेक्शन दिए हैं। पहले अनुसूचित जाति के लोगों को ही इसका लाभ मिलता था मगर अब सामान्य व पिछड़ा वर्ग को भी इसमें मुफ्त गैस कनेक्शन दिए जा रहे हैं।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक करीब तीन हजार लोगों ने ही गैस सिलेंडर दोबारा रिफिल करवाया है। यही बात चुभती है। दरअसल योजना के पात्र लाभार्थी ऐसे भी हैं जो काफी गरीब हैं और झोंपड़पट्टी में गुजर बसर कर रहे हैं। इनको उज्ज्वला से गैस कनेक्शन तो मिल गया लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वे गैस सिलेंडर रिफिल नहीं करा पाए और फिर से लकड़ी कंडे का चूल्हा जला रहे हैं। कुछ परिवारों को महंगा गैस सिलेंडर भी अखर रहा है। अन्य योजनाओं से पहले

पहुंचा घरेलू गैस सिलेंडर

शहर से सटे गांव गंगचौली की महिला कश्मीरा ने बताया कि वह परिवार के साथ कच्चे मकान में रहती है। प्रधानमंत्री आवास योजना में उनका नाम है, लेकिन अभी तक आवास बनना शुरू नहीं हुआ लेकिन उससे पहले उज्ज्वला योजना का लाभ मिल गया। वह स्वयं व उनके पांच बच्चे गोबर से लिपे कच्चे मकान में ही रहते हैं। महिला ने बताया कि उन्हें गैस कनेक्शन आठ माह पूर्व मिला था, लेकिन दो माह बाद गैस सिलेंडर खाली होने के बाद आर्थिक तंगी के चलते दोबारा नहीं भरा सकीं। लाभार्थियों के बोल

उज्ज्वला योजना से काफी राहत मिली है। भोजन के लिए दो किलोमीटर दूर से लकड़ियां इकट्ठा कर लानी पड़ती थी, लेकिन गैस कनेक्शन मिलने यह कवायद बची है।

-बॉबी, पात्र ग्रामीण उज्ज्वला योजना धुएं के बीच चाय व खाना बनाना किसी चुनौती से कम नहीं लगता था, लेकिन जब से उज्ज्वला के तहत गैस कनेक्शन मिला है तब से इस चुनौती का हल भी मिल गया है।

राजकुमारी, पात्र ग्रामीण सिलेंडर मिलने तक तो ठीक है, लेकिन इस कनेक्शन पर सब्सिडी ज्यादा होनी चाहिए। क्योंकि ज्यादा महंगा सिलेंडर गरीबों को खरीदना बहुत अखरता है।

सुख देवी, ग्रामीण महिला वर्जन -

शत-प्रतिशत पात्र लोगों को मुफ्त गैस कनेक्शन दिए जा रहे हैं। कुछ लोगों के सामने गैस रिफिलिग की समस्या आ रही है। आर्थिक तंगी के कारण लोग गैस रिफिल नहीं करा पा रहे हैं।

-सुरेंद्र यादव, जिलापूर्ति अधिकारी, हाथरस


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