बड़े शहरों को भा रहे हाथरस में बने बच्चों के सूट
लोकल फॉर द वोकल सब हेड हाथरस से होता है हर साल बचों के सूट का 50 करोड़ का कारोबार बाजार सामान्य होने पर कारोबारियों को कारोबार बढ़ने की बढ़ी उम्मीदें
जागरण संवाददाता, हाथरस: लॉक डाउन से अनलॉक हुए गारमेंट्स बाजार भले ही कुछ दिनों के लिए लॉक हो गया हो, मगर कारोबार के बढ़ने की उम्मीदें बरकरार हैं। यहां के बच्चों के सूट की बात करें तो टू पीस से लेकर थी्र पीस बड़े शहरों में खूब भा रहा है। एक अनुमान के अनुसार यहां करीब 70 कारोबारी बच्चों के सूट को बनाने के कारोबार से जुड़े हैं और करीब 50 करोड़ रुपये का कारोबार तक है।
यूं तो अभी रेडीमेड कारोबार धीमा है मगर आने वाले दिनों में ये कारोबार रफ्तार पकड़ेगा। पटरी पर बाजार के लौट आने की उम्मीदें बाकी हैं। कारोबारियों को भरोसा है कि आज तक नहीं कारोबार बढ़ेगा। फिलहाल कारोबार ठंडा है। मगर डिमांड में कोई कमी नहीं है।
कारोबारियों के बोल
बच्चों के सूट का कारोबार हाथरस में दूर दूराज के शहरों में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। कारोबार भी अच्छा खासा है। देश भर में यहां के सूट की सप्लाई है। मगर जब तक पूरी तरह से सामान्य नहीं होंगे तब बाजार रफ्तार नहीं भरेगा।
अजीत कुमार, अध्यक्ष, रेडीमेड कपड़ा एसोसियेशन।
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हाथरस में करीब 70 यूनिट हैं जो बच्चों के सूट बनाने का काम कर रही है। यहां से माल यूपी के अलावा अन्य प्रांतों मध्य प्रदेश और राजस्थान आदि जाता है। यहां के सूट का अभी तक दूसरा विकल्प नहीं है। राजेश अग्रवाल, रेडीमेड कपड़ा कारोबारी
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हाथरस में बच्चों के सूट बरसों से बनाए जा रहे हैं। यहां के सूटों की डिमांड सामान्य दिनों में खूब रहती है। इस कारोबार से सैकड़ों मजदूर भी जुडे़ हैं। आने वाले दिनों में कारोबार के रफ्तार पकड़ने की पूरी संभावना है।
कमल अग्रवाल, रेडीमेड कपड़ा कारोबारी। 50 करोड़ का सालाना कारोबार
100 शहरों सप्लाई होता है सूट
01 साल से लेकर पांच साल के सूट
70 यूनिट हैं हाथरस में सूट बनाने वाली
10-20 मजदूर काम करते हैं हर यूनिट में