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जन्माष्टमी पर बालकृष्ण व राधा की पोशाक में सजेंगे बच्चे

बाजारों में दुकानों पर सजीं तरह-तरह पोषाक पर्व को लेकर बाजार में जोरों पर है खरीदारी

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 12:52 AM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 12:52 AM (IST)
जन्माष्टमी पर बालकृष्ण व राधा की पोशाक में सजेंगे बच्चे
जन्माष्टमी पर बालकृष्ण व राधा की पोशाक में सजेंगे बच्चे

संवाद सहयोगी, हाथरस : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व का रंग शहर के बाजारों में छा गया है। दुकानों पर राधा-कृष्ण प्रिटेड व पीले रंगों में कढ़ाई की हुई लड्डू गोपाल और राधा की पोशाकें सजी हुई हैं। इस बार मंदिरों में जन्माष्टमी पर कपाट बंद होने से महिलाओं ने घर में ही मंदिर सजाने के लिए रंग बिरंगे कागज व अन्य सामान की खरीदारी की है।

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रक्षाबंधन के साथ जन्माष्टमी के पर्व के लिए भी सामान की बिक्री बाजारों में शुरू हो जाती है। दो दिन के लॉक डाउन के बाद सोमवार को शहर के बाजारों में खूब भीड़ रही। शहर के बागला मार्ग, रामलीला ग्राउंड, पंजाबी मार्केट आदि बाजारों की दुकानों पर राधा व कृष्ण की अलग-अलग पोशाकें सजी हुई थीं। पीले रंग में प्रिटेड व कारीगरी की गई धोती के साथ बगलबंदी कान्हा के रूप में एवं चोली व घांघरा की पोशाक राधा के रूप में बच्चों को सजाने के लिए सजी हुई थीं। बच्चों से युवाओं तक के लिए पोशाक

बाजार में इस बार पीले रंग की यह पोशाक छह माह के बच्चों से लेकर बीस वर्ष तक के युवाओं के लिए मौजूद हैं। इन पोशाकों को विशेष रूप से कोलकाता, दिल्ली, जयपुर व मथुरा आदि शहरों से मंगाया गया है। जन्माष्टमी के दिन घरों में बच्चों को इन्हीं पोशाकों में सजाया जाएगा। इस बार घरों में ही सजेंगे मंदिर

वैश्विक महामारी के चलते इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व घरों में ही मनाया जाएगा। मंदिरों में तो सिर्फ पुजारियों द्वारा पूजा की जाएगी। इसलिए घरों में मंदिरों को सजाने के लिए बाजार से रंग-बिरंगे कागज, लाइटिग आदि सजावटी सामान की भी खरीदारी श्रद्धालुओं ने शुरू की है। जन्माष्टमी के सामान और उनकी कीमत रुपये में

सामान, कीमत

धोती व बगलबंदी, 100 से 500

राधा की ड्रेस, 150 से 600

माला, 10 से 100

मुकुट, 30-100

बांसुरी, 20- 150

रंगबिरंगी लड़ियां, 20-200

इनका कहना है

इस बार कोरोना के चलते मंदिरों पर विशेष आयोजन नहीं होंगे। बच्चों को घरों में राधा व कृष्ण के स्वरूप में सजाया जाएगा। इसके लिए बाजार में उनकी पोशाक व सजावट का सामान खरीदा गया है।

-अनीता गोयल

जन्माष्टमी का पर्व इस बार भी हर्षोल्लास के साथ मनाएंगे, पर इसे अपने घरों में ही मनाएंगे। इसीलिए बाजारों में कान्हा व राधा जी की ड्रेस बच्चों के लिए लेने आए हैं।

- लज्जावती

रक्षा बंधन के साथ ही जन्माष्टमी से संबंधित सामान की बिक्री शुरू कर दी गई थी। इस बार राधा व कृष्ण की ड्रेस की खूब डिमांड है। इसे कोलकाला व दिल्ली से मंगाया है।

-अनिल कुमार गुप्ता, दुकानदार

बारिश नहीं रोक सकी

ग्राहकों का उत्साह

फोटो- 17 व 18

संस, हाथरस : सोमवार को बाजारों में खूब भीड़ रही। दो दिन के लॉक डाउन के बाद बाजार खुलने व जन्माष्टमी पर्व की खरीदारी को लेकर बाजार में ग्राहक दुकानों पर आए हुए थे। सुबह से शहर के कमला बाजार, बेनीगंज, घंटाघर, हलवाई खाना, पसरट्टा बाजार, नयागंज, सादाबाद गेट, मुरसान गेट आदि बाजारों भीड़ लगी हुई थी। बागला मार्ग, बेनीगंज, गुड़हाई आदि बाजारों में तो दिन में कई बार वाहनों के चलते जाम लगता रहा। शाम के समय बाजार में ग्राहकों की संख्या और बढ़ गई। त्योहार को लेकर लोगों पूजा-अर्चना की सामग्री, सौंदर्य प्रसाधन सामग्री, वस्त्र, मिष्ठान, किराना के अलावा खानपान से संबंधित सामग्री की भी खरीदारी की गई। दोपहर के समय हुई बारिश भी ग्राहकों के उत्साह को रोक नहीं पाई।

अष्टमी युक्त नवमी होने के कारण बुधवार को ही जन्माष्टमी मनाएं

फोटो- 51

संसू, सिकंदराराऊ : नगर के लोगों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 11 अथवा 12 अगस्त को मनाने को लेकर भ्राति फैली हुई है। चर्चाओं पर विराम लगाने तथा लोगों की भ्रातिया दूर करने के लिए नगर के आचार्य पंडित सुभाष चंद्र दीक्षित ने कहा है कि श्रीकृष्ण का जब जन्म हुआ था तब चंद्रमा वृषभ राशि में था, जबकि 11 अगस्त को चंद्रमा मेष राशि में है। 12 अगस्त को चंद्रमा वृषभ राशि में रहेगा। वैसे भी अष्टमी युक्त नवमी श्रेष्ठ एवं कल्याणकारी होने के कारण बुधवार को ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाना शुभ रहेगा।

दीक्षित ने बताया कि 11 अगस्त को सप्तमी युक्त अष्टमी होने के कारण मुहूर्त चिंतामणि एवं भृगु संहिता द्वारा वर्जित है, जबकि बुधवार को अष्टमी प्रात: 11 बज कर 16 मिनट तक है। तत्पश्चात नवमी एवं चंद्रमा वृष राशि में प्रात: सात बजकर छत्तीस मिनट पर आ जाएगा। रात्रि में जन्मोत्सव अभिषेक के समय वृष लग्न भी शुभ है। अत: सभी के लिए बुधवार की श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाना शुभ एवं कल्याणकारी है। अष्टमी युक्त नवमी को ही सर्वथा ग्रंथों में शुभ बताया गया है। अत: सभी लोग बुधवार 12 अगस्त को ही श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाएं।


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