माता-पिता का भरण पोषण न करने पर हो सकता है मुकदमा
गठित न्यायालय के समक्ष याचिका करने पर 90 दिन के भीतर राहत दिलवाने का प्रावधान।
जासं, हाथरस : वृद्धाश्रम, ग्राम नगला भुस में वृद्धों के अधिकार व भरण-पोषण, निश्शुल्क विधिक सहायता साक्षरता शिविर का आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव चेतना सिंह की अध्यक्षता में किया गया। सचिव के अनुसार मां-बाप का भरण पोषण न करने पर मुकदमा हो सकता है।
सचिव ने वरिष्ठ नागरिकों को बताया कि यदि किसी पुत्र या पुत्री के द्वारा माता-पिता का भरण पोषण नहीं किया जाता है तो उसके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया जा सकता है। भरण-पोषण के संबंध में वृद्धों को बताया कि ऐसे माता-पिता जिनकी अनदेखी हो रही हो अथवा संतानहीन वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण का विशेष प्राविधान किया गया है। अधिनियम के तहत गठित न्यायालय के समक्ष याचिका दायर करने की तिथि से 90 दिन के भीतर राहत दिलवाने का प्राविधान है। ऐसे वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा स्वैच्छिक संगठनों द्वारा भी की जा सकती है। न्यायाधिकरण दावे को मध्यस्थता के लिए भी भेज सकता है या स्वयं निर्णय कर सकता है।
बताया गया कि यदि किसी प्रकार की कानूनी सहायता की आवश्यकता हो तो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से निश्शुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। वरिष्ठ नागरिकों को रेलवे टिकट, हवाई टिकट में छूट मिलती है। बैंकों में वृद्धजन के लिए अलग से लाइन होती है जिससे वृद्ध व्यक्तियों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो। न्यायालयों में लंबित मुकदमों में वृद्धजनों के मुकदमों को वरीयता के आधार पर सुना जाता है। बेटा-बेटी, पोता-पोती के साथ-साथ बहू व दामाद को भी भरण पोषण के लिए उत्तरदायी बनाए जाने के संबंध में जानकारी प्रदान की। इसके अतिरिक्त सचिव ने उप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ द्वारा तैयार की गई ई-पुस्तक कोविड-19 के संबंध में कोरोना महामारी से बचाव के लिए दिए गए सुझावों के संबंध में उपस्थित वृद्धजनों से जानकारी ली गई। मिक्की सिंह अपर सिविल जज, मुकेश अधीक्षक, शिवानी श्रीवास्तव सहायक अधीक्षिका एवं अन्य की उपस्थिति में शिविर का आयोजन किया गया।