समाज में सम्मान की राह दिखला रहीं अनु
तंत्र के गण- चिकित्सा के क्षेत्र को छोड़ किया मलिन बस्तियों का रुख -महिलाओं को शिक्षा व रोजगार की ओर किया अग्रसर
कमल वाष्र्णेय, हाथरस :
दबे-कुचले वर्ग को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। मलिन बस्तियों में रह रहे लोगों के समान अधिकार व सम्मान के लिए वे आज भी प्रयासरत हैं। हम बात कर रहे हैं डा. अनु विमल की जो शहर की मलिन बस्तियों में अपनी संस्था की मदद से महिला सशक्तीकरण, प्रौढ़ व बाल संस्कार केंद्र चलाती हैं। विभिन्न आयोजन व प्रतियोगिताओं के माध्यम से मलिन बस्तियों में रह रहे लोगों के जीने का सलीका बदल रही हैं।
संक्षिप्त परिचय : बरेली की रहने वाली डॉ.अनु का विवाह वर्ष 1987 में शहर के प्रतिष्ठित डा. टीएन विमल के बेटे चंद्रशेखर विमल के साथ हुआ था। डा. टीएन विमल ने ही शहर में हरि आई हॉस्पिटल की नींव रखी थी। शादी के बाद ससुर के साथ मुरसान गेट स्थित हॉस्पिटल में आप्टोमेट्री (नेत्र चिकित्सा) की प्रेक्टिस शुरू कर दी। कॉलेज के समय से ही समाज सेवा में उनकी रुचि थी। इसलिए वर्ष 1994 में जन कल्याण समिति की शुरुआत की। वर्ष 1995 में नौकरी के लिए कुवैत भी गईं, लेकिन दूसरा देश रास नहीं आया। यहां आकर फिर से चिकित्सकीय कार्य किया। लगभग एक दशक डॉक्टरी पेशे को देने के बाद वे पूरी तरह से मलिन बस्तियों के लोगों की हालत सुधारने में जुट गईं। समिति के बैनर तले मलिन बस्ती के लोगों को शिक्षा व रोजगार के प्रति प्रेरित करना शुरू किया। इसके बाद वर्ष 2010 में सेवा भारती के मातृ मंडल से जुड़ीं।
शिक्षा व रोजगार : किसी भी वर्ग को सशक्त करने के लिए सबसे पहले उसे शिक्षित और फिर रोजगार के काबिल बनाना जरूरी होता है। मातृ मंडल के जरिए इसी थीम पर अनु विमल ने काम शुरू किया। रोजगार के लिए सिलाई, कढ़ाई-बुनाई केंद्र संचालित किए। प्रौढ़ शिक्षा केंद्र व बाल संस्कार केंद्रों का भी संचालन किया। इन केंद्रों के जरिए नगला ¨सघी, लाला का नगला, नगला अलगर्जी आदि क्षेत्रों की महिलाओं को पढ़ना व हस्ताक्षर करना सिखाया। प्रौढ़ शिक्षा व सिलाई केंद्र निर्धारित समयावधि के लिए खोले जाते हैं, जबकि बाल संस्कार केंद्र लगातार संचालित रहते हैं। वर्तमान में आधा दर्जन बस्तियों में बाल संस्कार केंद्र संचालित हैं।
जारी हैं प्रयास : मलिन बस्तियों के लोगों की स्थिति सुधारने के लिए आज भी वे प्रयासरत हैं। वर्तमान में नगला अलगर्जी, नगला ¨सघी, मधुगढ़ी में बाल संस्कार केंद्र संचालित हैं। केंद्र में दो घंटे की क्लास लगती है। पहले घंटे बच्चों को संस्कार दिए जाते हैं तथा दूसरे घंटे में पढ़ाई कराई जाती है। केंद्र पर हर वर्ग का बच्चा पढ़ता है। इसी समान भाव से अन्य केंद्र चलते हैं। महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतियोगिताएं भी होती हैं। कुछ दिन पहले आदर्श गृह साज-सज्जा प्रतियोगिता हुई। इनमें विभिन्न बस्तियों ने प्रतिभाग किया तथा उन्हें पुरस्कृत भी किया गया। इन छोटे-छोटे प्रयासों से अनु विमल अब तक दर्जनों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर समाज में समान अधिकार दिला चुकी हैं।