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लॉकडाउन के शोर में दबा मलेरियारोधी अभियान

(विश्व मलेरिया दिवस पर विशेष) जिले के तीन इलाके हैं हाईरिस्क इस बार इन इलाकों में नहीं हो पाया मछर मार दवा का छिड़काव विडंबना पिछले साल तक लगातार किया गया छिड़काव फिर भी नहीं मरे मछर 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस पर अभियान की सुगबुगाहट शुरू

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Apr 2020 12:26 AM (IST)Updated: Sat, 25 Apr 2020 12:26 AM (IST)
लॉकडाउन के शोर में दबा मलेरियारोधी अभियान
लॉकडाउन के शोर में दबा मलेरियारोधी अभियान

संवाद सहयोगी, हाथरस : पिछले साल डेंगू और मलेरिया का काफी प्रकोप था। स्वास्थ्य विभाग ने कीटनाशक का छिड़काव खूब कराया, लेकिन न मच्छरों का प्रकोप थमा और न मलेरिया के रोगी घटे। इस साल भी मच्छरों का प्रकोप थामने के लिए कीटनाशक के छिड़काव का व्यापक अभियान बना मगर लॉकडाउन के चलते इसपर अमल नहीं हो पाया। 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाए जाने की चर्चा हुई तो विभाग में अभियान की सुगबुगाहट शुरू हुई।

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पूरे साल चलता है अभियान

मलेरिया को लेकर हसायन, सिकंदराराऊ आदि इलाके हाईरिस्क वाले हैं। पूरे साल मलेरिया विभाग जरूरत के हिसाब से विभिन्न इलाकों में डीडीटी आदि कीटनाशक का छिड़काव कराता है मगर अधूरी सफाई और जलभराव की समस्या के समुचित समाधान न होने से मच्छरों से निजात नहीं मिलती। दो विभागों की लापरवाही का लाभ हाईरिस्क इलाके के झोलाछाप और निजी चिकित्सालय उठाते हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीमें जहां स्लाइड बनाने तक खुद को सीमित कर लेती हैं, नहीं ग्राम पंचायतें और नगर निकाय सफाई के नाम पर खानापूरी करती हैं। वायरल व मलेरिया रोगी साल-दर-साल बढ़ते रहते हैं। अस्पतालों की व्यवस्था

जिला अस्पताल के अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मलेरिया और डेंगू के मरीजों को भर्ती करने के लिए अलग से व्यवस्था कराई गई है। जिला अस्पताल में दस व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर पांच-पांच बेड का वार्ड बनाया गया है। मलेरिया वार्ड के अलावा जिला अस्पताल व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर फीवर हेल्प डेस्क बनाई जाती है, जहां बुखार से पीड़ित होने वाले मरीजों को देखा जाता है।

इनकी सुनो

मलेरिया की रोकथाम के लिए समय-समय पर फॉगिग कराई जाती है। इसके साथ ही मलेरिया वार्ड के अलावा फीवर हेल्प डेस्क भी है। लोगों को जागरूक करके बताया जाता है कि वे अपने आसपास साफ सफाई रखें।

-मुकेश कुमार जौहरी, जिला मलेरिया अधिकारी। आंकड़ों का आईना

-144 मरीजों को जनरल मलेरिया प्लाज्मोडियम वाइवेक्स की पुष्टि हुई।

-27 डेंगू के पॉजीटिव केस मिले।

-07 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं हाथरस जनपद में

-25 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 194

उप केद्र बनाए गए हैं

-पिछले साल 4.50 मीट्रिक टन मिली डीडीटी

-पिछले साल कुल 92 चिकित्सा शिविर लगाए गए

ली गई स्लाइड का ब्योरा

सीएचसी केंद्र, स्लाइड, मलेरिया पॉजिटिव

सादाबाद, 4817, 16

सहपऊ, 3404, 05

मुरसान, 2544, 25

महौ, 5164, 19

हसायन, 3326, 15

सि.राऊ, 3253, 31

सासनी, 5957, 20

जिला अस्पताल, 11161,13

(जनवरी से दिसंबर 2019 तक के आंकडे़)

वीडियोकॉल से क्षय

रोगियों का रखें ध्यान

सब हेड-

प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने सीएमओ को जारी किए दिशा-निर्देश स्वास्थ्य सेवाएं

क्षय रोग से होने वाली जटिलताओं व मृत्यु पर नियंत्रण रखने के लिए जरूरी

हर माह मिलने वाले 500 रुपये उनके बैंक खाते में भेजते रहें संस, हाथरस : कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन में क्षय रोगियों के उपचार को निर्बाध रूप से जारी रखने के निर्देश दिए गए हैं। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र लिखकर कहा है कि क्षय रोग से होने वाली जटिलताओं व मृत्यु पर नियंत्रण के लिए यह जरूरी है।

वीडियो कॉल से संपर्क रखें : लॉकडाउन में सभी क्षय रोगियों को एक-एक महीने की दवा दी जाए। दवा का सेवन सुनिश्चित करने और दवा के एडवर्स रिएक्शन पर नजर रखने के लिए निरंतर फोन कॉल, वाट्सएप, वीडियो कॉल के जरिए संपर्क रखा जाए। उपचारित क्षय रोगियों का फॉलोअप भी किया जाए। संदिग्ध क्षय रोगियों की जांच सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जारी रखी जाए। सभी माइक्रोस्कोपी सेंटर, सीबी नाट प्रयोगशाला और कल्चर एंड डीएसटी लैब का काम चालू रखा जाए, सैंपल कलेक्शन, हैंडलिग व सैंपल ट्रांसपोर्टेशन के लिए सभी मानकों का पालन किया जाए।

कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए भी सभी मानकों का सख्ती से पालन किया जाए। मास्क का प्रयोग, हाथ धोने, हैंड सैनिटाइजर, शारीरिक दूरी और बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार किया जाए। प्रयोगशाला में जांच और इलाज के दौरान पर्सनल प्रोटेक्शन इक्युपमेंट (पीपीई), एन-95 मास्क और दस्ताने का इस्तेमाल जरूर करें।

500 रुपये हर माह दें : इलाज के दौरान निक्षय पोषण योजना के तहत हर माह मिलने वाले 500 रुपये क्षय रोगी के बैंक खाते में भेजी जाती रहे। सभी सूचनाओं को निक्षय पोर्टल और निक्षय औषधि पोर्टल पर अपडेट किया जाए। यह भी सुनिश्चित करें कि इस दौरान औषधियों की कोई कमी न होने पाए। इस पर भी नजर रखें कि निजी क्षेत्र से इलाज करा रहे रोगियों की सेवाएं भी निर्बाध रूप से चलती रहें । वर्जन-

क्षय रोगियों को इस संकट के समय बेहतर सेवाएं दिए जाने के निर्देश मिले हैं। सारी जरूरी सेवाएं पहले से दी जा रहीं है और आगे भी दी जाती रहेंगी।

-डॉ. ब्रजेश राठौर, सीएमओ


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