टीबी उन्मूलन में रोड़ा बने 855 केमिस्ट
टीबी मरीजों की जानकारी नहीं दे रहे जनपद के ज्यादातर दवा दुकानदार हालात -पूरे जनपद में दवाइयों की 863 दुकानें हैं, जिन्हें जानकारी देनी है -सिर्फ 08 मेडिकल स्टोर संचालकों ने ही टीबी मरीजों की सूचना दी
संवाद सहयोगी, हाथरस : सरकार 2025 तक टीबी उन्मूलन की तैयारी में है, लेकिन जिले के मेडिकल स्टोर संचालक इस कोशिश को पलीता लगा रहे हैं। जिले भर में 855 मेडिकल स्टोर संचालक टीबी की दवा खरीदने वाले मरीजों का ब्योरा स्वास्थ्य विभाग को नहीं दे रहे हैं।
घर-घर मरीजों की तलाश :
टीबी संक्रामक और जानलेवा बीमारी है। हर साल करीब पांच लाख लोगों की मौत टीबी से हो जाती है। 70 फीसद टीबी मरीज सरकारी अस्पताल में इलाज को नहीं पहुंचते। स्वास्थ्य विभाग घर-घर जाकर टीबी के मरीजों को खोज रहा है। अक्सर टीबी के मरीज कुछ समय दवा लेकर बंद कर देते हैं, जिससे इन्हें मल्टी ड्रग रजिस्टेंस यानी एमडीआर का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे ज्यादातर मरीजों की मौत हो जाती है। टीबी उन्मूलन के लिए छिपे मरीजों का सामने आना जरूरी है।
सूचना न देने पर जेल संभव :
सरकार ने टीबी मरीजों की जानकारी छिपाने वालों को जेल भेजने तक का प्रावधान कर रखा है। निजी अस्पताल, डॉक्टर, दवा की दुकान संचालकों को टीबी मरीजों की जानकारी नोडल अधिकारी और स्थानीय स्वास्थ्य कर्मचारी को देनी होगी। ऐसा न करने वालों पर कार्रवाई हो सकती है। उन्हें 6 महीने से लेकर 2 साल तक की जेल की सजा या जुर्माना हो सकता है। इसके बावजूद जिलेभर के 863 में से केवल आठ ड्रग स्टोर ही विभाग को टीबी मरीजों की जानकारी दे रहे हैं। इनकी शिकायत औषधि निरीक्षक से भी की गई है। स्वास्थ्य विभाग ने केमिस्टों को जागरूक करने के लिए सेमिनार की योजना भी बनाई थी लेकिन बजट के अभाव में नहीं हो पाया। सूचनात्मक रोग घोषित :
वर्ष 2012 में ही टीबी को सूचनात्मक रोग घोषित किया गया था। मरीजों की जानकारी देने के लिए सरकार ने एक प्रारूप जारी किया, जिसके तहत लैब, डॉक्टर, अस्पताल, क्लीनिक, नर्सिंगहोम आदि को टीबी की दवा लेने वाले मरीजों के नाम, पता, संपर्क सूत्र सहित सभी जानकारियां देनी होगी। 20 डॉक्टर भी छिपा रहे जानकारी
जिले में करीब 50 निजी चिकित्सक मरीजों के इलाज में जुटे हैं। इनमें से 30 चिकित्सक इलाज को पहुंचने वाले टीबी मरीजों की पूरी जानकारी विभाग को दे रहे हैं, लेकिन 20 चिकित्सकों ने अभी तक किसी मरीज की जानकारी विभाग को नहीं दी है। उन्हें कई बार सख्त चेतावनी दी जा चुकी है। वर्जन-
छिपे टीबी मरीजों की जानकारी नोडल ऑफिसर या स्थानीय प्रशासन को न देने वालों पर कार्रवाई होगी। इस मामले में ड्रग एसोसिएशन के साथ बैठक कर उन्हें इस बारे में अवगत कराया जाएगा। सभी दवा के दुकानदारों को टीबी उन्मूलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करना चाहिए।
-दीपक कुमार, औषधि निरीक्षक।