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22 साल पूरे, सपने अधूरे

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By JagranEdited By: Published: Fri, 03 May 2019 12:20 AM (IST)Updated: Fri, 03 May 2019 06:17 AM (IST)
22 साल पूरे, सपने अधूरे
22 साल पूरे, सपने अधूरे

जासं, हाथरस : हाथरस को जनपद बने 22 साल हो गए, लेकिन इसकी जरूरतें आज भी अधूरी हैं। ऐतिहासिक राजा महेंद्र प्रताप व राजा दयाराम के किले को पर्यटन स्थल घोषित करा यहां का विकास कराने के साथ जिले की अपनी अलग पहचान बनाने व जिला अदालत, जिला जेल के अलावा अधिकारियों के आवासों की आज भी दरकार है। शहर की शान घंटाघर का भी सुंदरीकरण अधर में लटका है। जिला विकास प्राधिकरण, जिला सहकारी बैंक, जिला पंचायत कार्यालय का भवन भी अभी कोसों दूर है। जिला अस्पताल आज भी संसाधनों के अभाव में जूझ रहा है।

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अतीत

हाथरस जनपद का सृजन बसपा शासनकाल में तीन मई 1997 को तत्कालीन ऊर्जामंत्री रामवीर उपाध्याय के अथक प्रयासों से तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने महामायानगर के नाम से किया था। इस जिले में अलीगढ़ व मथुरा जिले की तहसील सिकंदराराऊ, हाथरस, सादाबाद, सासनी व इगलास को जोड़ा गया। इगलास के लोगों ने विरोध किया तो छह महीने बाद सत्ता परिवर्तन होते ही कल्याण सिंह सत्ता में आए तो उन्होंने न केवल इगलास को अलीगढ़ से जोड़ दिया बल्कि जिले का नाम बदलकर महामायानगर से हाथरस कर दिया। जिले के नाम को लेकर लंबी सियायत चली। नाम परिवर्तन की राजनीति पर तो ध्यान दिया लेकिन जिले की विकास की ओर नहीं। नाम परिवर्तन के चले इस खेल में लाखों रुपया का नुकसान हुआ।

जिले को झटका :

वर्ष 2002 में प्रदेश की सत्ता ने फिर से करवट ली और सपा की सरकार आयी तो मुख्यमंत्री बने मुलायम सिंह यादव ने इस जिले को ही समाप्त कर दिया। 13 जनवरी 2004 को इस जिले को समाप्त कर अलीगढ़ से जोड़ दिया गया। महीनों प्रदर्शन धरना का दौर चला। हाईकोर्ट तक पैरवी हुई तब कहीं जाकर यह जिला समाप्त होने से बच सका और आज तक जिला कायम है।

नहीं पूरा हो सका ढांचा :

जिले के बने बेशक 22 साल हो गए लेकिन जिला स्तरीय ढांचा अधर में है। यहां पर ट्रांसपोर्टनगर की स्थापना, विकास प्राधिकरण, जिला सहकारी बैंक, जिला पंचायत का कार्यालय भवन आज भी कोसों दूर है। यहां पर स्टेडियम है तो वह चालू नहीं है। जिला स्तरीय अधिकारियों के आवास तक नहीं है। 32 साल से अटकी पड़ी महायोजना लागू नहीं हो सकी है और न ही संगठित विकास पर ही जोर दिया गया। जिला अस्पताल तो है लेकिन यहां पर संसाधन पर्याप्त नहीं है। चिकित्सकों का टोटा है। यही कारण है कि यहां से मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। इतना ही नहीं निजी क्षेत्र में भी बेहतर चिकित्सा के इंतजाम नहीं किए गए है।

ये भी अधूरे :

कई ऐसे कार्यालय व आवास हैं जो नहीं बन सके हैं। जिला कारागार, जिला,जिला अदालत, सीएमओ का आवास, उप श्रमायुक्त नेडा, हाथरस विकास प्राधिकरण, जिला डाक अधिकारी, जिला दूर संचार अधिकारी तक नहीं है। जिला पंचायत कार्यालय तमन्ना गढ़ी स्कूल भवन में चल रहा है। शहर की शान घंटाघर का सुंदरीकरण भी अधर में लटका हुआ है। किला रेलवे स्टेशन पर मात्र एक एचएडी ट्रेन ही संचालित है। हाथरस सिटी रेलवे स्टेशन पर एक्सप्रेस ट्रेन के ठहराव की आवश्यकता है।


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