जनसंघ का जला था पहला दीपक, कांग्रेस का भी मजबूत रहा था पंजा
-पिहानी और अहिरोरी का क्षेत्र काटकर बनाया गया गोपामऊ -सबसे ज्यादा डा. अशोक बाजपेई ने जीते थे चुनाव
हरदोई: 157 गोपामऊ विधान सभा क्षेत्र का इतिहास और भूगोल बदलने के साथ ही मतदाताओं का रुझान भी बदलता गया। परिसीमन में पिहानी और अहिरोरी का कुछ क्षेत्र काटकर गोपामऊ विधान सभा क्षेत्र नाम दिया गया। मतदाता नेता को बुलंदी पर पहुंचाकर जमीन भी दिखाते रहे। इस क्षेत्र में जनसंघ का एक बार दीपक जला तो कांग्रेस का पंजा भी मजबूत रहा। देखा जाए तो मतदाताओं ने हर दल को मौका दिया, लेकिन सबसे खास बात यह रही कि इस क्षेत्र के छह बार विधायक बने डा. अशोक बाजपेई जब जब मंत्री बने, उसके अगले चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2017 में भाजपा से चुनाव जीते विधायक श्याम प्रकाश हैट्रिक लगाने के प्रयास में लगे हुए हैं।
गोपामऊ विधान सभा क्षेत्र के इतिहास उठाकर देखें तो 1962 में गोपामऊ सीट सुरक्षित थी। जनसंघ की टिकट पर परमाई लाल ने 10,534 वोट हासिल कर पहले विधायक चुने गए। 1967 में सीट का नाम बदलकर पिहानी (सुरक्षित) हो गया और कन्हैया लाल बाल्मीकि ने 12,053 वोट हासिल कर कांग्रेस का खाता खोला। 1969 में फिर कन्हैयालाल बाल्मीकि ने 12,955 वोट पाकर निर्वाचित हुए। 1974 में पिहानी सीट अनारक्षित हो गई। कांग्रेस के महेश सिंह 20,890 वोट हासिल कर विधायक बने। 1977 में अशोक बाजपेयी ने जनता पार्टी से 22,932 वोट हासिल कर विधायक बने और उन्हें बाबू बनारसी दास गुप्ता सरकार में राज्यमन्त्री बनाया, लेकिन 1980 में कांग्रेस की कमला देवी यहां से विधायक चुनी गई और 17,659 वोट लेकर विधानसभा पहुंच गईं। 1985 में जनता पार्टी के अशोक बाजपेयी फिर 35,073 वोट हासिल कर दूसरी बार निर्वाचित हुए। तो 1989 में जनता दल से मैदान में आए अशोक बाजपेयी 37,286 वोट पाकर फिर जीते और मुलायम सिंह यादव की पहली सरकार में मंत्री बने। 1991 में हुए चुनाव में कांग्रेस के खालिद गौरी 26,644 वोट हासिल कर विधायक चुने गए। 1993 में अशोक बाजपेयी ने फिर वापसी की और हैट्रिक लगाई। नवगठित समाजवादी पार्टी की साइकिल पर सवार अशोक बाजपेयी 34,576 वोट पाकर जीते। 1996 में सपा के अशोक बाजपेयी 39,947 वोट हासिल कर जीते। 2002 में सपा के अशोक बाजपेयी ने 49,838 वोट हासिल कर लगातार तीसरी जीत दर्ज कराई और मुलायम सिंह यादव सरकार में फिर कैबिनेट मंत्री बने, लेकिन 2007 में वह हार गए और इस सीट पर बसपा के दाऊद अहमद को 51,184 वोट हासिल कर बसपा को सीट दिलाई। सिटिग विधायक और मंत्री रहे सपा के अशोक बाजपेयी 48,591 मत लेकर दूसरे स्थान पर रहे। इसके बाद इस सीट का नाम फिर बदल गया और गोपामऊ सुरक्षित सीट हो गया। पिहानी का स्वरूप और अहिरोरी का कुछ क्षेत्र काटकर नई विधान सभा बनी और 2012 के चुनाव में सपा से श्याम प्रकाश ने 67430 वोट हासिल कर विधान सभा पहुंचे तो बसपा की उम्मीदवार जिला पंचायत अध्यक्ष की पूर्व अध्यक्ष अनीता वर्मा 61,227 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहीं। 2017 के चुनाव में यह सीट भाजपा की झोली में आई और श्याम प्रकाश दूसरी बार विधायक बने। अब 2022 से वह भाजपा विधायक के रूप में वह हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में हैं। सपा से यहां पूर्व विधायक राजेश्वरी देवी दावेदार हैं, हालांकि सपा के साथ ही बसपा और कांग्रेस ने अभी अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है लेकिन इस सीट पर भी चुनावी घमासान होने के आसार हैं। वर्ष -- विधायक --पार्टी
1962- पूरन लाल -जनसंघ
1967 - कन्हैया लाल - कांग्रेस
1969- कन्हैया लाल - कांग्रेस
1974 - महेश - कांग्रेस
1977- डा. अशोक बाजपेई- जनता पार्टी
1980 - कमला देवी - कांग्रेस
1985 - डा. अशोक बाजपेई- जनता पार्टी
1989- डा. अशोक बाजपेई - जनता दल
1991 - खालिद गौरी - कांग्रेस
1993 - डा. अशोक बाजपेई - सपा
1996 - डा. अशोक बाजपेई - सपा
2002 - डा. अशोक बाजपेई - सपा
2007- दाऊद अहमद - बसपा
2012- श्याम प्रकाश - सपा
2017--श्याम प्रकाश----भाजपा गोपामऊ विधान सभा क्षेत्र से मतदाताओं पर एक नजर
कुल मतदाता--343252
पुरुष मतदाता---184949
महिला मतदाता---158283
थर्ड जेंडर---20