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शाहाबाद क्षेत्र के मतदाताओं का अपना अलग ही रहा मिजाज

-पूर्व मंत्री स्वर्गीय रामौतार दीक्षित व पूर्व विधायक बाबू खां ने बनाई थी हैट्रिक -राजनीतिक दलों के साथ ही निर्दलीयों को भी दिया मौका

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 10:21 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 10:21 PM (IST)
शाहाबाद क्षेत्र के मतदाताओं का अपना अलग ही रहा मिजाज
शाहाबाद क्षेत्र के मतदाताओं का अपना अलग ही रहा मिजाज

हरदोई: 155 शाहाबाद विधान सभा क्षेत्र के मतदाताओं का अपना अलग ही मिजाज रहा, वे लहरों के विपरीत चले। इसे समझाने के लिए दो नजीर काफी हैं। 1962 में जब पूरे प्रदेश में पंजे की मजबूत पकड़ थी तो यहां के मतदाताओं ने जनसंघ का दीपक जलाया। 1977 के आपातकाल हो या फिर 1991 की रामलहर, दोनों में निर्दलीय को दिल दिया। परिसीमन के बाद क्षेत्र का स्वरूप बदला, लेकिन मतदाताओं ने अपना स्वभाव नहीं बदला। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा ने सवायजपुर की विधायक रजनी तिवारी को शाहाबाद भेजा। तो क्षेत्रीय एक पूर्व विधायक और दूसरे पूर्व विधायक के पुत्र पर ध्यान न देकर रजनी तिवारी को विधायक चुनकर तीसरी बार सदन भेजा।

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आजादी के बाद से ही चुनावों पर नजर डालें तो 1952 में यह सीट शाहाबाद (पश्चिम) नाम से जानी जाती थी। इस चुनाव में कांग्रेस के एजाज रसूल 11759 वोट हासिल कर पहले विधायक बने थे तो जनसंघ के डा. प्यारेलाल दूसरे स्थान पर रहे। 1957 में कांग्रेस की विद्यावती बाजपेयी ने 41781 वोट पाकर जनसंघ के कालिका बख्स सिंह पर विजय पाई। 1962 में कांग्रेस की जबरदस्त लहर पर ध्यान न देकर मतदाताओं ने जनसंघ के डा. प्यारे लाल को 23655 वोट देकर विधायक बनाया। 1967 में फिर रुझान बदला और कांग्रेस के हरिहर बख्स सिंह को 20664 वोट देकर विजय माला पहनाई। 1969 के चुनाव में भी कांग्रेस के हरिहर बक्स सिंह 20538 मत पाकर विजयी हुई। जनसंघ के डॉ. प्यारेलाल दूसरे स्थान पर रहे थे। 1974 में फिर जनसंघ की घर वापसी हुई और दधीचि सिंह ने 14267 मत हासिल कर कांग्रेस के हरिहर बख्स सिंह की हैट्रिक रोक दी। आपातकाल के दौर में 1,977 के चुनाव में सेठ बाबूराम भारतीय इंटर कालेज पाली के प्रधानाचार्य रहे ब्रज वल्लभ सिंह को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 15,673 वोट देकर विजय माला पहनाई। इस चुनाव में कांग्रेस के रामौतार दीक्षित दूसरे स्थान पर रहे। 1980 के चुनाव में 11 वर्ष कांग्रेस की न केवल घर वापसी हुई बल्कि रामौतार दीक्षित ने हैट्रिक भी बनाई। 1980 के बाद 1985 और 1989 में लगातार तीसरी बार विधायक बने। इस पर बाबू खां जनता दल से आए थे। 1991 में तो यहां के मतदाताओं ने तो रिकार्ड ही कायम कर दिया। रामलहर में किसी पर भरोसा न कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में बाबू खां को 22,894 मत देकर पहली बार विधान सभा पहुंचाया। हैट्रिक बनाने वाले विधायक रामौतार तीसरे स्थान पर पहुंच गए थे। 1993 में बाबू खां सपा से चुनाव लड़े और 41,478 वोट पाकर जीते। दिग्गज भाजपा नेता गंगाभक्त सिंह दूसरे स्थान पर रहे। 1996 में फिर बाबू खां सपा से जीतकर अपनी हैट्रिक बनाई। 2002 के चुनाव में मुकाबला दिलचस्प रहा। विधायक बाबू खां, कांग्रेस से रामौतार दीक्षित, भाजपा से गंगाभक्त सिंह, बसपा से पालिकाध्यक्ष आसि़फ खां और राष्ट्रीय क्रान्ति पार्टी से पूर्व भाजपा सांसद सुरेन्द्र पाल पाठक मैदान में आए थे। इस चुनाव में गंगाभक्त सिंह 41,602 पाकर विजय हुए। 2007 के चुनाव में बसपा ने आसिफ खां बब्बू को फिर मैदान में उतारा और वह 41,727 मत हासिल कर पहली बार विधान सभा पहुंचे। 2012 में सपा के बाबू खां ने फिर घर वापसी की और 89,947 वोट हासिल कर विधायक बने। इस चुनाव में बसपा के आसिफ खां को भी 78,813 मत मिले। वर्ष 2017 के चुनाव में तत्कालीन विधायक बाबू खां के बजाए उनके पुत्र सरताज खां मैदान में आए। बसपा से आसिफ खां ने ही चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में जनता ने दोनों को किनारे किया और सवायजपुर से शाहाबाद आईं विधायक रजनी तिवारी को विधायक बनाकर उनकी हैट्रिक बनवाई। अब 2022 के चुनाव में विधायक रजनी तिवारी चौथी बार विधायक बनने के लिए मैदान में हैं तो पूर्व विधायक आसिफ खां सपा से दावेदारी कर रहे हैं। बसपा ने एबी सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है। हालांकि अभी न कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी घोषित किया और न ही अन्य दलों ने प्रत्याशी घोषित किए हैं। इस बार जनता किसे मौका देकर सदन पहुंचाती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा, फिलहाल शाहाबाद का चुनाव दिलचस्प है। शाहाबाद विधान सभा क्षेत्र से चुने गए विधायक और उनके राजनीतिक दलों पर एक नजर वर्ष - विधायक- पार्टी

1951- सैय्यद एजाज रसूल- कांग्रेस

1957- कन्हैयालाल- कांग्रेस

1957- विद्यावती बाजपेई- कांग्रेस

1962- डा. प्यारेलाल- जनसंघ

1967- हरिहर बक्स सिंह - कांग्रेस

1969- हरिहरबक्स सिंह - कांग्रेस

1974- दधीचि सिंह- जनसंघ

1977- ब्रजवल्लभ सिंह- निर्दलीय

1980- रामौतार दीक्षित- कांग्रेस

1985- रामौतार दीक्षित- कांग्रेस

1989- रामौतार दीक्षित- कांग्रेस

1991- बाबू खां- निर्दलीय

1993- बाबू खां- सपा

1996- बाबू खां- सपा

2002- गंगाभक्त सिंह- भाजपा

2007- आसिफ खां बब्बू- बसपा

2012- बाबू खां- सपा

2017------रजनी तिवारी------भाजपा


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