दुश्मनों से मोर्चा ले रही हरदोई की बेटी
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हरदोई: किसी से मत डरो, खूब मेहनत करो, अपने निर्णय स्वयं लो। सफलता के साथ स्वतंत्रता सह-उत्पाद के रूप में मिलती है। अधिकारों के साथ साथ कर्तव्यों को समझो और अपनी जिम्मेदारी स्वयं लो। जिस भी क्षेत्र में रुचि हो स्वयं को संपूर्णता से झोंक दो, सफलता किसी जाति, लिग, सामाजिक स्तर में भेद नहीं करती है। सीआरपीएफ की सहायक कमांडेंट हरदोई की बेटी प्रज्ञा बाजपेई बेटियों को यही संदेश दे रही है। बचपन से ही देश भक्ति का जुनून रखने वाली प्रज्ञा को वर्दी से प्रेम था और उसने ठान लिया था कि उसे देश की सेवा करनी है। उसे खतरों से खेलने का शौक था, कश्मीर में तैनात प्रज्ञा इन दिनों ऑन डेपुटेशन नागपुर में संबद्ध है। तैनाती के दौरान कई ऐसे मौके आए जिसमें उसने देश के दुश्मनों से मोर्चा संभाला।
हरदोई शहर के बहरा सौदागर पूर्वी निवासी दिवाकर बाजपेई निजी स्कूल में शिक्षक हैं। उनकी बेटी प्रज्ञा में बचपन से ही नेतृत्व की क्षमता थी। कक्षा में मॉनीटर से इसकी शुरुआत हुई। मां संतोष बाजपेई बताती हैं कि प्रज्ञा के दिल में देश भक्ति का जज्बा रहता था। सेना की वर्दी से उसे विशेष प्रेम था। सीमित संसाधनों में उसने पढ़ाई शुरू की। इतना सामर्थ नहीं था कि उसे अच्छी कोचिग कराई जा सके। बाल विहार स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा के बाद श्री वेणी माधव विद्यापीठ बालिका इंटर कालेज में वर्ष 2006 में हाई स्कूल और 2008 में इंटर कर 2011 में लखनऊ विश्वविद्यालय से बीएससी की, 2013 में भौतिक विज्ञान से एमएससी किया, जिसमें उसने सात गोल्ड मैडल हासिल किए और पीएचडी करना शुरू कर दिया। प्रज्ञा बताती है कि सभी चाहते थे कि वह प्रोफेसर बने, लेकिन उसने बचपन से ही सोंच लिया था कि वह सेना या अर्धसैनिक बल में जाएगी और वर्ष 2017 में उसका सपना पूरा हो गया। माता-पिता ने हौसला बढ़ाया और बतौर असिस्टेंट कमांडेंट उसका चयन हो गया। ट्रेनिग के दौरान पूरे देश में मात्र चार महिला अधिकारी थीं। वह अधिकतर पुरुष अधिकारियों को भी सारे शारीरिक अभ्यास में पीछे छोड़ देती थी। ट्रेनिग के दौरान उसे लेडी सुपरमैन नाम दिया गया था। लक्ष्य बनाकर आगे चलें
प्रज्ञा बताती है कि अमूमन लड़कियां शिक्षा, स्वास्थ्य क्षेत्र को ही अपना कैरियर मान लेती हैं। उनके मन में तो कई क्षेत्र होते हैं, लेकिन मन मारकर रह जातीं, ऐसा नहीं करना चाहिए। जो मन में हो उसे खुलकर कहो और उसी को लक्ष्य मानकर आगे बढ़ो। सफलता जरूर मिलेगी। बचपन में जब वह देश की सुरक्षा की बात करती थी तो सहेलियां मजाक बनाती थीं, अब वही उसके ऊपर नाज करती हैं।