Move to Jagran APP

'विद्या' ने तोड़ा अंधविश्वास, उबरा शराब में 'डूबा' गांव

ह्यह्वष्ष्द्गह्यह्य ह्यह्लश्रह्म4 ह्यह्वष्ष्द्गह्यह्य ह्यह्लश्रह्म4 ह्यह्वष्ष्द्गह्यह्य ह्यह्लश्रह्म4

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Sep 2019 09:55 PM (IST)Updated: Sun, 29 Sep 2019 09:55 PM (IST)
'विद्या' ने तोड़ा अंधविश्वास, उबरा शराब में 'डूबा' गांव
'विद्या' ने तोड़ा अंधविश्वास, उबरा शराब में 'डूबा' गांव

हरदोई: वह खुद तो ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थीं, लेकिन संघर्ष की कलम से सफलता की कहानी लिख दी। जो कभी मैडम कहकर संबोधित करते थे, एक वक्त में उन्हें ही पलटकर साहब कहना पड़ा। इसलिए क्योंकि, अफसर पति की मौत के बाद चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नौकरी स्वीकार करनी पड़ी। जिंदगी के इन उतार चढ़ाव पर भी हिम्मत न हारी। खुद और बेटियों को पढ़ाकर काबिल बनाने का प्रयास जारी रखा। तरक्की पाई। नौकरी से रिटायर्ड हुईं तो गावों की तकदीर बदलने की ठानी। जीवनभर जमा की 'विद्या' के दम पर गांव में अंधविश्वास का तिलिस्म तोड़ डाला। कुलदेवता को शराब चढ़ाने के नाम पर हर वक्त नशे में डूबे रहने वाले गांव को उबारा।

loksabha election banner

यह संघर्ष गाथा है हरदोई के टड़ियावा विकास खंड के पुरवा देवरिया निवासी विद्याभारती की। जिनके जज्बे को राष्ट्रीय स्तर पर सलाम करने की तैयारी है। उन्हें नेशनल ग्लोबल अचीवर्स अवार्ड के चुना गया है। 10 नवंबर को भोपाल में उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा। शाहजहापुर के सुनौआ गाव में जन्मी विद्याभारती कक्षा पाच तक ही पढ़ सकी थीं। इस बीच रेलवे में तैनात हरदोई के पुरवा देवरिया निवासी बघन्नेलाल से उनकी शादी हो गई। वक्त के साथ पदोन्नति पाकर बघन्नेलाल रेलवे अधिकारी बन गए। उन्हें चार पुत्रिया और एक पुत्र हुए। विद्याभारती अधिकारी की पत्नी थीं, तो कर्मचारी उन्हें मैडम करते थे। 1984 में बघन्ने लाल का असमय निधन हो गया। विद्याभारती के ऊपर मानों दुख का पहाड़ टूट पड़ा। छोटे बच्चों की परवरिश करना उनके लिए मुश्किल हो गया। कम पढ़ा-लिखा होने की वजह से विद्याभारती को मृतक आश्रित कोटे में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नौकरी से संतोष करना पड़ा।

नहीं हारी हिम्मत, पूरी की पढ़ाई

हालांकि, विद्याभारती ने हिम्मत नहीं हारी। छह साल चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नौकरी करते हुए उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। 1996 में वह लिपिक बन गईं, फिर अपनी लगन से आगे बढ़ते हुए कई पदोन्नति पाईं। इस बीच उनकी चार पुत्रियों में सीमा भारती आदि और पुत्र गजेंद्र को उच्च शिक्षा दिलाई। सीमा शिक्षिका हैं। अन्य बच्चे भी पढ़ लिख गए।

नौकरी के बाद भी जारी रखा संघर्ष

31 अक्टूबर 2014 को विद्याभारती सेवानिवृत्त होकर 30 वर्ष बाद गाव आईं। नटविरादरी के गाव की तस्वीर ही दूसरी थी। पूरा गाव शराब पीता था। पुरुष नशे में पड़े रहते थे, महिलाओं का उत्पीड़न होता था। विद्याभरती की बड़ी बेटी सीमा भारती राजस्थान में सामाजिक आदोलन चलाती थीं। उससे सीखकर गाव की तस्वीर बदलने को कदम उठाया। गाव की अन्य महिलाओं को जोड़ा। मई 2016 में गाव में लगे कुलदेवता के मेले में महिलाओं के साथ वह शराब बंदी के लिए आदोलन पर उतर आईं। विद्याभारती कहती हैं कि शुरू में उन्हें कष्ट उठाने पड़े लेकिन, धीरे धीरे पूरा गाव उनके समर्थन में आ गया। तीन साल से ज्यादा समय हो गया, गाव में कोई शराब नहीं पीता है। कोई दूध डेयरी करता है तो कोई अपना पुस्तैनी काम बैंडबाजा बजाता। महिलाएं भी खुश हैं। शराब बंदी के इसी आदोलन के लिए विद्याभारती को ग्लोबल अचीवर्स अवार्ड 2019 के लिए चुना गया है। विद्याभारती की कामयाबी पर पूरा गांव खुश है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.