मेड़बंदी और तालाब से जल संरक्षण और संग्रहण को बढ़ावा
-जल ही जीवन का सभी को समझना होगा महत्व -भू-गर्भ के घटते जलस्तर के ²ष्टिगत अंधाधुंध जलदोहन पर लगाना होगा विराम
हरदोई : जल ही जीवन है, जानते भी सभी हैं, पर इसके संरक्षण और संग्रहण की जिम्मेदारी भी हम सब की होनी चाहिए। वर्ष 2021 में सभी को संकल्प लेने की आवश्यकता है कि भू-गर्भ जल का अंधाधुंध दोहन नहीं, बल्कि जरूरत भर ही करेंगे। वैसे तो जल संरक्षण और संग्रहण के लिए लोगों में जागरूकता लाई जा रही है। सरकारी तौर पर जल संरक्षण और संग्रहण के लिए किसानों के खेतों में मेड़बंदी और ग्राम समाज के तालाबों के जीर्णोद्धार का लक्ष्य रखा गया है।
जल संरक्षण और संग्रहण के लिए सरकारी तौर पर खेत तालाब और मेड़बंदी के लिए किसानों को आर्थिक मदद दी जा रही है। छोटी खेती वाले किसानों में आपस के जुड़े खेतों के मध्य में खेत तालाब के निर्माण की व्यवस्था दी गई है। इन खेतों से बरसात के पानी को संग्रहीत और संरक्षित किया जाता है और जरूरत पर सिचाई के लिए किसानों को भटकना नहीं पड़ता और भू-गर्भ रीचार्ज का भी अप्रत्यक्ष रूप से काम होता रहता है। जल संरक्षण और संग्रहण में मनरेगा ने बड़ी भूमिका निभाई है। वर्ष 2021 में जल संरक्षण और संग्रहण के लिए 1306 ग्राम पंचायतों में तालाबों, जलाशयों, पोखरों के निर्माण और जीर्णोद्धार एवं खेतों की मेड़बंदी कराए जाने की कार्ययोजना को धरातल पर उतारने की रणनीति है।
जल संरक्षण और संग्रहण के प्रति सभी को जागरूकता से काम लेना चाहिए। घटते भू-गर्भ जलस्तर पर भू-विज्ञानियों ने चिता जाहिर की है। भू-गर्भ में भंडारित जल का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। लोगों को चाहिए कि वह अपनी छतों के बारिश के पानी को धरती की कोख में पहुंचाने के लिए भू-गर्भ रीचार्ज सिस्टम बनवाने चाहिए। 20 सरकारी भवनों में भू-गर्भ रीचार्ज यूनिट की स्थापना कराई गई है। 24440 हैंडपंपों के निकट सोकपिट बनवाए और 92 किलोमीटर सई पर काम कराया गया है। वर्ष 2021 में बारिश से पहले जल संरक्षण और संग्रहण के लिए और काम कराए जाने का लक्ष्य है। अविनाश कुमार, जिलाधिकारी जल संरक्षण के लिए कराए गए कार्यों पर एक नजर
188 किसानों की 37600 मीटर में मेड़बंदी
1409 तालाबों का जीर्णोद्धार
18 वेटलैंड का सु²ढ़ीकरण